Posts

Showing posts from October, 2009

लो फिर बात चली

लो फिर बात चली एक हल्की हवा फिर चली लो तेरी बात फिर चली ।। हर झोका एक एहसास जगाता है हर बार एक तमन्ना फिर जग जाती है कोई कुछ कहता है पर मन तेरे बारे मे ही सोचता है।। चलता हूं गुज़रता हूं जब उन बीते रास्तों से हर तरफ वो पल नज़र आता है।। सादगी थी, मसूमियत थी हम में न जाने कौन सी रौनक थी ..।। वो ही तारीख वो ही दिन, पर साल बदलते देखे हमने वक्त के साथ सारे, रिश्ते बदलते देखते ..।। फिर जब भी कोई ज़िक्र हो जाता है ... एक एहसास फिर उठ जाता है... शायद तू भी वो ही सोचता होगा शायद तुझ को भी वो ही याद आता होगा...।। लो फिर बात चली एक हल्की हवा फिर चली लो तेरी बात फिर चली ....।।

मां.....

मां..... क्यों चली गई बहुत याद आती है आंख अक्सर भर जाती है कुछ कहूं ,कुछ करूं तेरी शबी नज़र आती है आज मलाल है तेरे जाने का तेरे लिए कुछ न कर पाने का मैं नाकारा रहा निक्मा रहा फिर भी तेरा दुलारा रहा.. वो शब्द अब भी गूंजते है मैं चली जाऊंगी जब पता चलेगा वो शायद तब मज़ाक था पर उस हकीक़त का एहसास अब हो रहा है... सच मैं मां बहुत याद आती है शान....

तेरे जाने के बाद

तेरे जाने के बाद बदल गए हम बदल दी हर तस्वीर बदल दी हर याद बदल दी हर बात बदल दिए रास्ते बदल दिए चौहराए बदल दी हर गली बदल दिए हर नुक्कड बदल दी हर पसंद बदल दिए जो थे संग बदल दिया अपना रंग बदल दिया अपना ढंग बदल दी महफिल बदल दिए उसूल बदल दिया इमान बदल दिया फरमान बदल दिया माकान बदल दिया भगवान फिर भी रहे गया अरमान काश तुम होते तो मै न बदलता तेरे जाने के बाद शान....