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Showing posts from February, 2010

कुत्ते( dog)

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कुत्ते ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते कि बख्शा गया जिनको ज़ौके-गदाई(भीख मांगने की अभिरूचि) ज़माने की फटकार सरमाया इनका जहां भर की दुत्तकार इनकी कमाई न आराम शब को न राहत सवेरे ग़लाज़त में घर नालियों में बसेरे जो बिगड़ें तो इक दूसरे से लड़ा दो ज़रा एक रोटी का टुकड़ा दिखा दो ये हर एक की ठोकर खाने वाले ये फ़ाकों से उकता के मर जाने वाले ये मज़लूम मखलूक गर सर उठाये तो इंसान सब सरकशी भूल जाए ये चाहें तो दुनिया को अपना बना लें ये आकाओं की हड्डियां तक चबा लें कोई इनको एहसासे ज़िल्लत दिला दे कोई इनकी सोई हुई दुम हिला दे।. फैज़ अहमद फैज़

अकसर सोचता हूं।।

अकसर सोचता हूं इससे पहले की हम बेवाफा हो जाए क्यों न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाए।। बंदगी छोड़ दी हमने ऐ फराज़ क्या करें लोग जब खुदा हो जाए।। शमां हूं फूल हूं या रेत पर कदमों के निशान आप को हक है मुझे जो चाहे कहे ले।। सांस भरने को तो जीना नहीं कहते या रब दिल ही दुखता है न अब आस के दर होती है जैसे जागी हुई आंखों में चुबन कांच के खव्वाब रात इस तरह दिवानो की बसर होती है ।। गम ही दुशमन मेरा ग़म को ही दिल ढूढ़ता है एक लम्हे की जुदाई भी अगर होती है।.।

2014 नितिन गडकरी की प्रधानमंत्री बनने की तैयारी ?

2014 नितिन गडकरी की प्रधानमंत्री बनने की तैयारी ? बीजेपी के नए अध्यक्ष नितिन गडकरी का कहना है कि काग्रेस ने देश के मुस्लमानो को क्या दिया रिक्शा पैंचर टप्पर बेरोज़गारी ..मैने अपने महाराष्ट्र के शासन में मुस्लमान लड़कियो के लिए कॉलेज बनवाया ..उन्होने ने कहा अरे हमारे पास आकर तो देखो ...देखो हमे और हमारे सिंद्धातों को यानि मुस्लमानो को लुभाने की पूरी कोशिश की .. उनसे ठीक पहले पूर्व बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह कहे चुके कि हम मुस्लमानो को आरक्षण देने का विरोध करते हैं मुस्लमानो ने हिन्दुओ पर बड़े जुल्म किए हैं हमें अपनी विचारधारा पर कायम रहना चाहिए क्योकि इतिहास गवाह है जिसने अपनी विचारधारा छोड़ी वो पार्टी खत्म हो गई... एक विचार पू्र्व अध्यक्ष के और एक विचार वर्तमान अध्यक्ष के ..एक तरफ हिन्दु और एक तरफ मुस्लमान ।तो क्या अपनी विचारधारा छोड़ कर गडकरी बीजेपी को खत्म करने की तैयारी कर रहे हैं । या फिर एक नई पार्टी की तैयारी कर रहे हैं । हिन्दु मुस्लमान गडकरी का ख्वाब ‘सत्ता 2014’ पाना क्या आसान होगा या बीजेपी फिर से दो सीटों पर पहुच जाएगी । गडकरी के बारे में कहा जाता है की वो संघ की पंसद है। स

सिर्फ 1411 .... हम शर्मिदा है...

सिर्फ 1411 .... हम शर्मिदा है... वो गरजता था तो बिजली चमकती थी वो चलता था तो हवा रूक जाती थी उसके रंग से रोशनी शर्माती थी उसकी धारियों से घटा को रशक होता था उसकी आंखो से डर भी डरता था उसके दांतो में धार थी उसके नाखूनो में पकड़ थी इसकी जकड़ से बच पाना मुश्किल था पर वो ज़ालिम नहीं था वो मश्कत करना जानता था अपना पेट भरना जानता था इस दुनिया को बनाने वाले के नियम जानता था अपने घर में रहना जानता था इस का बहुत बड़ा कुनबा था खुश थे सब जब साथ थे लेकिन न जाने किसकी इनको नज़र लग गई एक दिन एक बड़े हैवान ने देख लिया जिसे इंसान कहते हैं उस शैतान ने देख लिया घर उजाडना शुरू कर दिया कुनबे को खत्म करना शुरू कर दिया एक एक को मारना शुरू कर दिया इनको मार कर वाह वाही लूटी आलीशान बंगलो में लटका कर शान समझी आगे की नस्लो को क्या बताएगे ये बात न समझी अभी भी वक्त है संभल जाना चाहिए 1411 सिर्फ बचे है इन्हे संभालना चाहिए हे बाघ हम शर्मिदा है अपनी भूल को हम सुधारेगे 1411 से और आगे ले जाएगे... हम इस प्रयास को ज़रूर सफल बनाएगे।। शान

अब क्या देखें राह तुम्हारी (फैज़ अहमद फैज़)

अब क्या देखें राह तुम्हारी (फैज़ अहमद फैज़) अब क्या देखे राह तुम्हारी बीत चली है रात छोड़ो छोड़ो ग़म की बात थम गये आंसू थक गई अंखियां गुज़र गई बरसात बीत चली है रात छोड़ो छोड़ो ग़म की बात कब से आस लगी दर्शन की कोई न जाने बात बीत चली है रात छोड़ो गम की बात तुम आओ तो मन मे उतरे फूलो की बारात बीत चली है रात अब क्या देखे राह तुम्हारी बीत चली है रात

युसूफ मिया अपना उल्लू सीधा करें कौम की फ्रिक्र न करें...(चैनल वन)

युसूफ मिया अपना उल्लू सीधा करें कौम की फ्रिक्र न करें...(चैनल वन) आजकल खबर है कि युसूफअंसारी जो पहले ज़ी में थे चैनल वन के मैनेजिंग एडिटर बन गए... और अपने अलिगढ़ के दौरे में चैनल वन का प्रचार करते वक्त उन्होने कहा ये कौम का चैनल है औऱ कौंम की आवाज़ को उठाया जाएगा.. युसूफसाहब कौम से आपका मतलब पत्रकार है या मुस्लमान..पत्रकार तो होगा ही नहीं क्योंकि आपने आजतक कभी पत्रकार वाला कोई काम किया नहीं हां अहमद बुखआरी से आपका झगड़ा ज़रूर सुर्खियों में रहा.. रही नेता बनने की तमन्ना वो शायद ज़रूर पूरी हो जाए.जिसकी तैयारी में आप पहले से लगे हुए हैं और अब आपकी भाषा भी वैसी ही सुनाई पड़ रही है ... आपकी छोटी सोच पत्रकारिता और कौम दोनो को छोटा बनाती है..आप अगर अपना काम इमानदारी से करें तो कौम का भी नाम होगा और कौम वाले आपके साथ जुड़े गे भी .. आपको पता है जिस चैनल से आप जु़ड़े हैं वो किस लिए सुर्खियों में रहा है और ऐसे में जहा कौम को वैसे ही अलग नज़र से देखा जाता है वहा ऐसे चैनल के बैनर के तहत ऐसा छोटा ब्यान आपकी कौम को कितना नीचे गिरा देता है क्या आपने सोचा है... अगर कौम की बात करनी है तो किसी अच्छे प्ले

मुझसे एक लड़की बात करने लगी है

मुझसे एक लड़की बात करने लगी है बुझे दीपों में लौ जलने लगी है मुरझाई कलियां खिलने लगी हैं मुझसे एक लड़की बात करने लगी है।। रूखा मौसम अचानक सुहाना हुआ है रेत में दरिया नज़र आने लगा है गुलशनो में महक उठने लगी है मुझसे एक लड़की बात करने लगी है।। सजना संवरना शुरू फिर से किया है खुद को देखना शुरू फिर से किया है हर वक्त मुस्कुराना शुरू फिर से किया है अचानक दिल की धड़कने बढ़ने लगी है मुझसे एक लड़की बात करने लगी है।। हाल क्या है मेरा इस वक्त न पुछो क्या कर रहा हूं मै इस वक्त न पुछो दुनिया से दूर होने लगा हूं खुद को अच्छा लगने लगा हूं मन में शरारत उठे लगी है मुझसे एक लड़की बात करने लगी है ।। बात कुछ होगी बताऊंगा मुलाकात होगी बताऊंगा सपनों में फिर से जीने लगा हूं ज़िन्दगी अच्छी लगने लगी है मुझसे एक लड़की बात करने लगी है।।

एक औरत की तस्वीर

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यकीन किजिये ये इस की ही तस्वीर है