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Showing posts from 2011

यादगार ऐ ग़ालिब

यादगार ऐ ग़ालिब के नाम से इस साल गालिब की हवेली को दिल्ली की विरासत के तौर पर पर्यटन राह की पर एक महत्वपूर्ण हवेली बनाने के उद्देश्य से हवेली में उल्लेखनीय परिवर्तन की तैयारी है-------मिर्ज़ा ग़ालिब के जन्म दिन के मोके पर पुरानी दिल्ली के बल्लीमारान की तंग ओर गलियों में रौनक आ गई---दिल्ली की मुख्यमंत्री ओर फ़िल्मी गीतकार गुलजार ने इस हवेली में जाकर ग़ालिब को याद किया ----- इंडियन काउन्सिल फॉर कल्चरल रिलेशन के सोजन्य से प्रायोजित प्रदर्शनी और गालिब के जीवन ओर उनसे जुड़े पहलुओ को साउंड ट्रैक द्वारा प्रायोजित करने की योजना का मुख्यमंत्री ने उद्घाटन किया ---- तीन दिनों तक मनाए जाने वाले जश्न यादगार ऐ ग़ालिब के दोरान मुश्यारा, गीत ओर नाटकों का आयोजन भी किया जायेगा ----यादगार ऐ ग़ालिब के नाम से इस साल गालिब की हवेली को दिल्ली की विरासत के तौर पर पर्यटन राह की पर एक महत्वपूर्ण हवेली बनाने के उद्देश्य से हवेली में उल्लेखनीय परिवर्तन की तैयारी है-------मिर्ज़ा ग़ालिब के जन्म दिन के मोके पर पुरानी दिल्ली के बल्लीमारान की तंग ओर गलियों में रौनक आ गई---दिल्ली की मुख्यमंत्री ओर फ़िल्मी गीतकार गुलजा

हिन्द के मुसलमां है हम

हिन्द के मुसलमां है हम शुक्रे खुदा करते हैं हम सजदा-ए - हक़ अदा करते है हम दिल में बसा है मादरे वतन तुझसे मोहब्बत ए वतन करते है हम हिन्द के मुसलमां है हम इस शोरो गुल के गुबार में इन इधर उधर की पुकार में इन रंगे हुए सियार में तेरी सियासत समझते है हम हिन्द के मुसलमां है हम हिन्द के दिलो जिगर और जां है हम तिरंगे की शान है हम खुद क़ाबिज़ो मुखतार है हम वतन की पहचान है हम फिर सोचते है कुछ क्यों बिन बुलाए मेहमां है हम हिन्द के मुसलमां है हम इज्ज़त अमन और रोज़गार बस चंद अपने अरमां है जितने हम में हैं उतने ही तुम में है इतेहापसंद कुछ यहां है कुछ वहां हैं हिन्द के मुसलमां है हम इसकी मिट्टी में दफन है हम ही इसकी ख़ाक से बने है हम ही इसके गली कूचों मे चले हैं हम ही अपने पुरखों की यहीं आशियां है वासी यहां के हम हैं ये अपना मकां है हिन्द के मुसलमां है हम ....

जिन्दगी का रिश्ता

जिन्दगी का रिश्ता ..जिन्दगी से कुछ ऐसा हुआ की जिन्दगी को ही भुला दिया .ज़िन्दगी जो दायरों और मिनारों और चौखटों से कभी बाहर नहीं आई ..वो आज कूचों और मौहल्लों में सफर करती नज़र आ जाती है..। कुछ सोच कर करना कुछ मुनासिब तरीके से पेश करना शायद इसका शऊर ज़िन्दगी को कभी हुआ ही नहीं... जिन्दगी कितने लंबे ग्रंथ में कही जा सकती है या फिर कितने कम शब्दों में बयान की जा सकती है इसका एहसास एक जिन्दगी गुज़ारने के बाद ही होता है.पर हां ज़िन्दगी होती बड़ी दिलचस्प है ..क्योंकि एक जिन्दगी से कई ज़िन्दगियां जुड़ी होती हा और हर जुड़ी हुई ज़िन्दगी से कई और और ज़िन्दगिया... हर का तार एक दूसरे से .. दिलचस्प ये नहीं कि हर तार एक दूसरे तार से जुड़ा होता है दिलचस्प ये कि हर तार एक दूसरे से जु़ड़े नही रहना चाहता पर फिर भी जुड़ा रहता है .. जैसे पानी की वो धारा जो किनारे पर सिर्फ दम तोड़ने आती है ...पानी की मुख्य धारा से अलग हो कर मिट्टी को सीचने के लिए और फिर अपने साथियों से हमेशा हमेशा के लिए जुदा होकर फसाना बन हो जाती है ... धारा जिन्दगी नहीं बन सकती पर ज़िन्दगी को धारा की ज़रूरत हमेशा रहती है । क्योंकि ज़िन्द

कब कहां और कैसे

कब कहां और कैसे काग़ज़ की एक कश्ती पानी में कुछ यूं चली लोगों ने कहा क्या खूब बढ़ी.. फिर न जाने किस सैलाब में बह गई कब कहां और कैसे.. एक छोटा दीया था कुटिया को रोशन किया करता था अपनो के लिए जीया करता था फिर न जाने किस तूफान में बुझ गया कब कहा और कैसे एक नन्हा बूटा था अपने बगीचे में रहता था खूब खुशबू देता था सब को अच्छा लगता था फिर न जाने किस आंधी मे टूट गया कब कहा और कैसे एक प्रेमी जोड़ा था बहुत खुश रहता था एक दूसरे के साथ चल था फिर न जाने किस मोड़ पे मुड़ गया कब कहा और कैसे...

हम क्या करते हैं TAI

theatre artiste of india थियेटर आर्टिस्ट ऑफ इंडिया ... नाटक के क्षेत्र में पूर्ण संस्था है ..। यहां नाटक की हर शैली में कार्य होता है ..और रंगमंच की नई शैली को जन्म दिया जांता है ।यहां कलाकार का जन्म भी होता है और कलाकार बनाया भी जाता है। रंगमंच को समाज का आईना कहते है ..इस समाज में क्या हो रहा है ,क्या होना चाहिए ..कौन क्या कर रहा किसे क्या करना चाहिए ये सब हम नाटक में प्रस्तुत करते हैं। विशेषकर ऐसी सरकारी, समाजिक योजनाए और नीतियां जो आम लोगों के लिए आती हैं लेकिन उसकी जानकारी उन तक नहीं पहुच पाती ..इन्ही योजनाओ और कार्यक्रम को हम छोटे छोटे नाटक स्किट हास्य और मंनोरंजन की शैली में इस तरह पीरोते हैं कि जो भी देखे उसे हर बात समझ में आ जाए। थियेटर आर्टिस्ट ऑफ इंडिया के पास देश के प्रसिद्ध कलाकार, निर्देशक, लेखक की एक लंबी टीम है जो किसी भी विष्य को अच्छे सीधे सरल और मंनोरंजन के साथ बनाती है कि अधिक से अधिक सोचना और ज्ञान लोगों तक पहुचए। जो बात आप न कहे सके न समझा सके ..वो आप हमे बताए ..आपकी बात लोगो तक हम नए अंदाज़ से पहुचाएगें थियेटर आर्टिस्ट ऑफ इंडिया ने अभी भारत के कृषि मंत्रालय

न जाने क्यों

न जाने क्यो हर बात एक बात से बढ़ जाती है न जाने क्यों तेरी याद हर याद में बस जाती है न जाने क्यों तेरी तस्वीर हर आंख में बन जाती है न जाते क्यों तेरी मूर्त हर सूरत में दिख जाती है न जाने क्यों तेरी आवाज़ हर नज़्म बन जाती है न जाने क्यों हर जगह तुझ पर ही नज़र जाती है

IMAM HUSSAIN

Mahatma Gandhi “My faith is that the progress of Islam does not depend on the use of sword by its believers, but the result of the supreme sacrifice of Hussain (A.S.), the great saint.” Pandit Jawaharlal Nehru “Imam Hussain’s (A.S.) sacrifice is for all groups and communities, an example of the path of rightousness.” ... Rabindranath Tagore “In order to keep alive justice and truth, instead of an army or weapons, success can be achieved by sacrificing lives, exactly what Imam Hussain (A.S.) did Dr. Rajendra Prasad “The sacrifice of Imam Hussain (A.S.) is not limited to one country, or nation, but it is the hereditary state of the brotherhood of all mankind.” Dr. Radha Krishnan “Though Imam Hussain (A.S.) gave his life almost 1300 years ago, but his indestructible soul rules the hearts of people even today.” Swami Shankaracharya “It is Hussain’s (A.S.) sacrifice that has kept Islam alive or else in this world there would be no one left to take Islam’s name.” Mrs. Sarojini Naidu “I congr

कलयुग का श्रवण

कलयुग का श्रवण एक युवक अपनी मां को कांवड़ में बिठाकर पिछले चौदह साल से पैदल तीर्थ यात्रा करा रहा है। कलयुग में इस श्रवण कुमार को देखकर लोग हैरान हैं और इसके संकल्प की सराहना भी कर रहे हैं। यह श्रवण कुमार हैं मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर के कैलाश। बदरीनाथ धाम में दर्शन के बाद अब वे अपनी मां को लेकर केदारनाथ की यात्रा पर निकले हैं ... अ॥धे माता-पिता को कांधे पर बैठा कर तीर्थ यात्रा पर ले जाने वाले श्रवण कुमार के बारे में सबने पढ़ा या सुना होगा। वह श्रवण कुमार त्रेता युग में था। अभी कलयुग चल रहा है और इस दौर में किसी श्रवण कुमार की कल्पना भी नहीं की जा सकती। लेकिन जबलपुर के कैलाश गिरी को जो भी देखता है श्रवण कुमार कहने लगता है। कैलाश अपनी अंधी और बूढ़ी मां को चार धाम यात्रा पर लेकर आए हैं वह भी पैदल। कैलाश पिछले चौदह साल से अपनी मां को कांधे पर बैठाकर तीर्थ यात्रा करा रहे हैं। वह अब तक रामेश्वरम, जगन्नाथ तथा बदरीनाथ धाम के दर्शन कर चुके हैं। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले पवित्र धाम बदरीनाथ में भी कलयुग का यह श्रवण कड़कड़ाती ठंड एवं बारिश में ही कंधों के सहारे अपनी मां को यहां तक लाया। कैलाश के इ

Pre-Islamic Arabic Poetry Talks About Vedas

Pre-Islamic Arabic Poetry Talks About Vedas Amit Dua Arabic is known as an Islamic language. But you know about pre-Islamic Arabic poetry. Pre-Islamic Arabic poetry clearly talks about Vedas. Here is poetry by an ancient Arabic poetry by Labi-Bin-E- Akhtab-Bin-E-Turfa with English Translation (Poetry in red, translation in bold black): [Taken from "Vedic History of Pre-Islamic Mecca" by Shrimati Aditi Chaturvedi] "Aya muwarekal araj yushaiya noha minar HIND-e Wa aradakallaha manyonaifail jikaratun" "Oh the divine land of HIND (India) (how) very blessed art thou! Because thou art the chosen of God blessed with knowledge" "Wahalatijali Yatun ainana sahabi akha-atun jikra Wahajayhi yonajjalur -rasu minal HINDATUN " "That celestial knowledge which like four lighthouses shone in such brilliance - through the (utterances of) Indian sages in fourfold abundance." "Yakuloonallaha ya ahal araf alameen kullahum Fattabe-u jikaratul VEDA bukkun

theatre artiste of india

theatre artiste of india (ACT THAT IMPACT) थियेटर आर्टिस्ट ऑफ इंडिया एक प्रयास है देश के सारे रंगकर्मियो को एक छत के नीचे लाने का ..जैसा कि हमे पता है कि रंगमंच कितना फैला हुआ है कोई न कोई कहीं न कहीं कुछ न कुछ रंगमंच से जुडा कर ही रहा होता है लेकिन उसकी खबर सिर्फ उसे या फिर उससे जुड़े कुछ लोगों को ही होती है । थियेटर आर्टिस्ट ऑफ इंडिया में तकरीबन हर रंग कर्मियों की गतिविधियों की जानकारी रखी जायेगी और दूसरे सहयोगियों और साथियों को बांटी जायेगी .. नेट और मोबाइल के ज़रिये ।हर राज्य में थियेटर आर्टिस्ट ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि मौजूद होगें जो वहां के रंगकर्मियों के हाल और कार्यक्रम के बारे में थियेटर आर्टिस्ट के पोर्टल में सूचित करते रहेगें..। थियेटर आर्टिस्ट ऑफ इंडिया सरकारी टेंडर, सरकारी योजना, सरकारी कार्यक्रम की जानकारी और उसमें भागेदारी के साथ काग़ज़ी कार्यवाही के बारे में भी अपने रजिस्टर सहयोगियों को सूचित करता रहे गा । थियेटर आर्टिस्ट ऑफ इंडिया को ये मालुम है कोई भी रंगकर्मी रंगमंच रोटी रोज़ी के लिए छोड़ता है इस लिए हम पहली बार इस उद्देश्य के साथ आ रहे हैं कि हर रंगमंच के साथी को उच

इमाम हुसैन एंड hindu

Brahmins Fought for Imam Hussain in the Battle of Karbala by Rakesh Sharma Hindus have a long association with Iraq and Muslims. Please read the article below: The presence in Arabia of many Hindus. mostly Brahmins. before the rise of Islam, has been recorded by the historian Sisir Kumar Mitra, in his book ‘The Vision of India’. page 183. These people observed Hindu religious customs, including the worship of Shiva and Makresha from which the name of Mecca is said to have been derived. The famous astrologer Yavanacharya was born of one such Brahmin family. It was from these Brahmins that the Arabs learnt the science of Mathematics, Astrology, Algebra and decimal notation which were first developed in India. At the time of the war of Karbala (Oct. 680 AD). Rahab Sidh Datt, a potentate of Datt sect, was a highly esteemed figure of Arabia due to his close relations with the family of Prophet Mohammed. In the holy war when no Muslim King came to help Hussain. Rahab fought On his side mld s

किसी ने कहा

व्यक्तित्व निर्माण के कार्यक्रम की तुलना कृषक द्वारा किए जाने वाले कृषि कर्म से की जा सकती है । जैसे जुताई, बुआई, सिंचाई और विक्रय की चतुर्विधि प्रक्रिया सम्पन्न करने के बाद किसान को अपने परिश्रम का लाभ मिलता है, व्यक्तित्व निर्माण को भी इस प्रकार जीवन साधना की चतुर्विधी प्रक्रिया सम्पन्न करनी पड़ती है, यह है आत्म-चिंतन, आत्म-सुधार, आत्म-निर्माण और आत्म-विकास । मनन और चिंतन को इन चारों चरणों का अविच्छिन्न अंग माना गया है । इन चतुर्विधि साधनों को एक-एक करके नहीं, समन्वित रूप से ही अपनाया जाना चाहिए । आत्म-चितंन अर्थात्‌ जीवन विकास में बाधक अवांछनीयताओं को ढूँढ़ निकालना । इसके लिए आत्म समीक्षा करनी पड़ती है । जिस प्रकार प्रयोगशालाओं मे पदार्थों का विश्लेषण, वर्गीकरण होता है और देखा जाता है कि इस संरचना में कौन-कौन से तत्व मिले हुए हैं । रोगी की स्थिति जानने के लिए उसके मल, मूत्र, ताप, रक्त, धड़कन आदि की जाँच-पड़ताल की जाती है और निदान करने के बाद ही सही उपचार बन पड़ता है । आत्म-चितंन, आत्म-समीक्षा का भी यह क्रम है । इसके लिये अपने आप से प्रश्न पूछने और उनके सही उत्तर ढूँढ़ने की चेष्टा की जान

हिन्दू इन पाकिस्तान

I am really shocked to hear the horrible incident that On Holy Occasion of Eid Ul Azza that 03 Doctors have been Murdered and one is seriously injured in Chak. This is matter of very painful for all Hindu brothers who are living in Pakistan, this was announced in Breaking news on GEO TV & KTN Tv. Islam is religion of peace,Hazarat Mohammad had given message of peace, but some Extremist are Misuse ...on the name of Religion killing man, In the morning 04 Muslim brothers were killed in Pakhtunistan by societ Bomb on happy occasion of Eid, That message goes very bad in world that what is happening with minority in Pakistan. We must Urge and Emphasize and condemned so such incident may not happened in future. In the eyes of European Pakistan is very dangerous country. 500 families from Jackabad,Kashmore and kandhkot had migrated to India last month. This is a matter of shame. you all must condemned such incident, Hindus may not afraid because Muslims are killed in Mosques by societ Bom

बाड़मेर

बाड़मेर के बहुचर्चित ए एन एम यौन शोषण एवं अश्लील सी डी बनाने के मामले के आरोपी प्रकाश दर्जी को न्यायिक हिरासत में भेजने के बाद उसकी जेल में ही जबरदस्त पिटाई हुई और उसका नाक काटने का प्रयास हुआ हैं ! घटना के बाद जेल में सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं ! बाड़मेर के बहु चर्चित नर्स योंन शोषण और असलील सी दी प्रकरण के मुख्य आरोपी को आज जेल में प्रवेश करते ही कैदियों के समूह ने जान लेवा हमला कर बुरी तरह घायल कर दिया कैदियों ने उसका नाक काटने का प्रयास किया जिसके चलते चार टाँके भी आये उसे बदहवास तथा बेहोशी की हालत में राजकीय अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया हें ,जब बाड़मेर हॉस्पिटलमें प्रकाश दरजी को बेहोशी की हालत में अस्पताल लाया गया जन्हा उसे इमरजेंसी वार्ड में उपचार के लिए भर्ती किया गया

प्रधानता वातावरण की

प्रधानता वातावरण की प्रतिभाएँ वातावरण विनिर्मित भी करती हैं, पर उनकी संख्या थोड़ी सी ही होती है । हीरे जहाँ-तहाँ कभी-कभी ही निकलते हैं, पर काँच के नगीने ढेरों कारखाने में नित्य ढलते रहते हैं । अधिकांश लोग ऐसे होते हैं जो वातावरण के दबाब से भले या बुरे ढाँचे में ढलते हैं । सत्संग, कुसंग का प्रभाव इसी को कहते हैं । ऐसे लोग अपवाद ही हैं जो बुरे लोगों के सम्पर्क में रह कर भी अपनी गरिमा बनाये रहते हैं, साथ ही अपने प्रभाव से क्षुद्रों को महान बनाने, बिगड़ों को सुधारने में समर्थ होते हैं । प्रधानता वातावरण की है । सामान्यजन प्रवाह के साथ बहते और हवा के रुख पर उड़ते देखे जाते हैं । पारस के उदाहरण कम ही मिलते है । सूरज चाँद जैसी आभा किन्हीं बिरलों में ही होती है, जो अँधेरे में उजाला कर सकें । आत्मोत्कर्ष का लक्ष्य लेकर चलने वालों को तो विशेष रूप से इस आवश्यकता को अनुभव करना चाहिए । उसे जुटाने के लिए प्रयत्नशील भी रहना चाहिए । इसके दो उपाय हैं । एक यह कि जहाँ इस प्रकार का वातावरण हो, वहाँ जाकर रहा जाय । दूसरा यह कि जहाँ अपना निवास है, वहीं प्रयत्नपूर्वक वैसी स्थिति उत्पन्न की जाय । कम से

हरियाणा रोडवेज व प्राइवेट बस

हरियाणा रोडवेज व प्राइवेट बस में आमने सामने की टक्करमें आज कैथल के हिसार - चंडीगड़ हाई वे पर डेरा सच्चा सोद्दा के नजदीक करीब दोनों बसों के ४० यात्री घयल हो गए है , बस में सवार यात्रियों का कहना है की दुर्घटना प्राइवेट बस चालक द्वारा एक अन्य वाहन को overtake करने के कारण हुई है , जिसमे सामने से आ रही रोडवेज की बस प्राइवेट बस से जा टकराई ! आसपास के लोगो ने तुरंत घायलों को कैथल के सरकारी हस्पताल पहुँचाने में मद्दद की ! कैथल में आज डेरा सच्चा सोद्दा के नजदीक हिसार - चंडीगड़ हाई वे पर हरियाणा रोडवेज व प्राइवेट बस में आमने सामने की टक्करहो गयी जिसमे दोनों बसों में सवार करीब ४० यात्रियों को चोटें आई है , जिनमे ८ लोगो को गंभीर चोटें आई है , इस दुर्घटना में कोई हताहत नहीं हुआ है , बस में सवार यात्रियों का कहना है की दुर्घटना प्राइवेट बस चालक द्वारा एक अन्य वाहन को overtake करने के कारण हुई है , जिसमे सामने से आ रही रोडवेज की बस प्राइवेट बस से जा टकराई !

शिया मुस्लिम

150201980.. Shia [By Syed Iqbal Husain Rizvi] www.shia?e?ali.com [2011] Shia Islam hia Islam is the second largest denomination of Islam, after Sunni Islam. The followers of Shia Islam are called Shi'ites or Shias. "Shia" is the short form of the historic phrase Sh?’atu Al?, meaning "followers of Ali", "faction of Ali", or "party of Ali" Similar to other schools of thought in Islam, Shia Islam is based on the teachings of the Islamic holy book, the Qur?n and the message of the final prophet of Islam, Muhammad. In contrast to other schools of thought, Shia Islam holds that Muhammad's family, the Ahl al-Bayt ("the People of the House"), and certain individuals among his descendants, who are known as Imams, have special spiritual and political authority over the community. Shia Muslims further believe that Ali, Muhammad's cousin and son-in-law, was the first of these Imams and was the rightful successor to Muhammad and thus rej

किसी ने कहा

समाजनिष्ठा का विकास करें स्वयं क्रियाकुशल और सक्षम होने के बावजूद भी कितने ही व्यक्ति अन्य औरों से तालमेल न बिठा पाने के कारण अपनी प्रतिभा का लाभ समाज को नहीं दे पाते । उदाहरण के लिए फुटबाल का कोई खिलाड़ी अपने खेल में इतना पारंगत है कि वह घण्टों गेंद को जमीन पर न गिरने दे परन्तु यह भी हो सकता है कि टीम के साथ खेलने पर अन्य खिलाड़ियों से तालमेल न बिठा पाने के कारण वह साधारण स्तर का भी न खेल सके । अक्सर संगठनों में यह भी होता है कि कोई व्यक्ति अकेले तो कोई जिम्मेदारी आसानी से निभा लेते हैं, किन्तु उनके साथ दो चार व्यक्तियों को और जोड़ दिया जाए तथा कोई बड़ा काम सौंप दिया तो वे जिम्मेदारी से कतराने लगते हैं । कुछ व्यक्तियों को यदि किसी कार्य की जिम्मेदारी सौंप दी जाय तो हर व्यक्ति यह सोचकर अपने दायित्व से उपराम होने लगता है कि दूसरे लोग इसे पूरा कर लेगें । बौद्ध साहित्य में सामूहिक जिम्मेदारी के अभाव का एक अच्छा प्रसंग आता है । किसी प्रदेश के राजा ने कोई धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए राजधानी के निवासियों को निर्देश दिया कि सभी लोग मिलकर नगर के बाहर तैयार किए गए हौज में एक-एक लोटा दूध डालें

दिपावली मुबारक

हर साल की तरह इस साल भी आपकी दिवाली पिछली दिवालियों से बेहतर हो.. मां लक्षमी हम सब पर अपनी कृप्या बनाये रखें और मां सरस्वती भी हम से खुश रहें...उम्मीद करता हूं अगले साल भी दिवाली की मुबारक मैं आपको दूं... धन्यवाद

मुतुअल फुंद SELECTION

. Before you begin looking for the best mutual funds, you'll need a good tool to help you do the research. You can find and use all of the basic mutual fund selection criteria with Morningstar's Fund Screener. This fund screener is free if you sign up for their basic membership. Use the Appropriate Benchmark for Measuring Performance To choose the best mutual funds, you'll need to know how to judge performance. Compare each fund's historical returns to an appropriate benchmark, such as the fund's relative category average or an index. For example, performance for most stock mutual funds is compared to the S&P 500 Index. Keep in mind that mutual funds are best used for long-term investing (more than 3 years). Therefore put the heaviest weight in your selection criteria on the 5-year return. Also look at the 10-year return if the fund has been around that long. If the fund outperforms the benchmark for the 5-year returns, keep it on your radar. Otherwise remove it

कर्मफल भी किश्तों में

कर्मफल भी किश्तों में बाजारू व्यवहार नकद लेन-देन के आधार पर चलता है । 'इस हाथ दे, इस हाथ ले' का नियम बनाकर ही छोटे दुकानदार अपना काम चलाते हैं । 'आज नकद, कल उधार' के बोर्ड कई दुकानों पर लगे होते हैं । इतने पर भी यह नियम अकाट्‌य और अनिवार्य नहीं है। सर्वदा ऐसा ही होता हो, सो बात भी नहीं है। बैंक पूरी तरह उधार देने-लेने पर ही अवलम्बित हैं । बैंक कर्ज भी देता है और उसे किश्तों में चुकाने की सुविधा भी । उपरोक्त दोनों व्यवहारों के उदाहरण जीवन में अपनाई गई गतिविधियों के परिणाम उपलब्ध करने के सम्बन्ध में लागू होते हैं । ठीक यही प्रक्रिया मनुष्य शरीर में प्रवेश करने के उपरान्त भी किए गए दुष्कर्मों के सम्बंध में है । उनका सारा प्रतिफल तत्काल नहीं मिलता । यदि मिलने लगे, तो उसी दबाव में जीव दबा रह जाएगा । जीवनक्रम चलाने के लिए या प्रगति की व्यवस्था करने के लिए कोई अवसर ही हाथ न रहेगा, दण्ड की प्रताड़ना से ही कचूमर निकल जाएगा । कर्मफल का अवश्यम्भावी परिणाम चट्‌टान की तरह अटल है, पर उनके सम्बन्ध में यही नियति निर्धारण है कि यह उपलब्धि किश्तों में हो । जिसने दुष्कंर्म किए ह

पाकिस्तानी अगेंट

पंजाब के फरीदकोट में पुलिस ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई एस आई के लिए काम करने वाले दो एजेंटों को ग्रिफ्तार कीया है, पुलिस को इनसे काफी एहम दस्तावेज भी बरामद हुए हैं, ये दोनों पिशले करीब बीस वर्ष से आर्मी के कैंट में ही नौकरी कर रहे थे, पुलिस को इनसे और भी कई एहम खुलासे होने की उम्मीद है | फरीदकोट में पुलिस ने भोला सिंह और लेलु राम नाम के दो लोगों को ग्रिफ्तार कर इनके आई एस आई के एजेंट होने का दावा कीया है, पुलिस के मुताबिक ये दोनों पिशले करीब बीस वर्ष से आर्मी के कैंट में ही नौकरी कर रहे थे, भोला सिंह कारपेंटर था जबके लेलु राम प्लंबर था, अपने इसी काम की वजह से दोनों आर्मी के पूरे कैंट में कहीं भी आ जा सकते थे,बस इसी का फाईदा उठा यह लोग आर्मी की जासूसी करते रहे और पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं को फ़ौज की सारी खुफिया जानकारी देते रहे, पुलिस को इनके पास से आर्मी के कई अहम् दस्तावेज, आर्मी के नक़्शे, और कुश किताबें भी मिली हैं | पुलिस के मुताबिक ये लोग पिशले काफी समय से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई एस आई से जुड़े हुए थे, लगातार फोन पर ये लोग अपने पाकिस्तानी आकाओं के संपर्क में रहते थे,

मोदी रेफुसेमुस्लिम कैप

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modi refusing muslim cap topi se parhaiz..

क्या आपके पास है..

ह्रदय राम का बल रावण का साहस हनुमान का प्रेम लक्षमण का मार्ग विभिषण का त्याग सीता का इनमे से आपके पास क्या है.?

किसी ने कहा-9

तैरना सीखने के लिए तालाब चाहिए । निशाना साधने के लिए बंदूक, पढऩे के लिए पुस्तक चाहिए और वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए प्रयोगशाला । यों अपनी आस्थाएँ, मान्यताएँ एकाकी भी बनाई, बदली जा सकती हैं । पर वे खरी उतरी कि नहीं, परिपक्व हुई कि नहीं, इसका परीक्षण भी होना चाहिए । इसके लिए उपयुक्त कसौटी परिवार ही हो सकता है । फिर वह ईश्वर का सींचा हुआ एक बगीचा भी है । उसे भी कर्मठ और कुशल माली की तरह सम्भाला सॅंजोया जाना है ।

इस शाम ऐसे ही

मुझे हर बार एक बात का ग़म है मुझे हर रात उस उस बात का ग़म है.. सुब होते ही खो जाते हैं जब अपने मुझे बिखरे हुए गुलिस्तां का ग़म है सजो न पाया मैं कोई रिश्ता मुझे अपनो को, खोने का ग़म है.. ग़म न करो ऐ ग़मगीन हैदर इस दुनिया को तुम्हारे आने का ग़म है.।।

किसी ने कहा -8

मनुष्य भगवान की सर्वोत्तम कलाकृत्ति है । भगवान ने अपना यह सृजन बड़े मनोयोग और अरमानों के साथ किया है । वे उसे देर तक दयनीय स्थिति में रहने नहीं दे सकते । माली को बगीचा सौंपा तो जाता है पर उसके हाथों बेच नहीं दिया जाता । इस विश्व की व्यवस्था मनुष्य के हाथों सौंपी जरूर गई थी, वह उसे सुन्दर, सुरक्षित और समुन्नत रखे, यह उत्तरदायित्व दिया अवश्य गया था । पर यदि वह उसे सँभालता नहीं - व्यतिक्रम करता है, तो उसी की मनमर्जी नहीं चलती रहने दी जा सकती । माली बदलेगा, क्रम सुधरेगा या व़ह जो भी करेगा, अपने अरमानों के इस सुरम्य दुनियां को इस प्रकार अस्त-व्यस्त नहीं होने देगा, जैसा की हो रहा है, किया जा रहा है ।

मुंह चिढ़ाते गांधी जी

मुंह चिढ़ाते गांधी जी .... मन बार बार और ज़ार ज़ार रो रहा है । बहुत दिनों के बाद कुछ लिखने बैठा पर ऐसा लिखूंगा और क्या लिखूंगा कुछ पता नहीं ..पर वो ही ज़िंदगी के ऊतार चढ़ाव ..दुख दर्द का सिलसिला और खुशी के बस कुछ पल जो न जाने कब आते हैं और कब चले जाते हैं कुछ पता ही नहीं चलता ..ज़िन्दगी की एक सच्चाई एक हकीक़त ..पैसा ..न जाने ज़िन्दगी में कहां से आया और इतना महत्वपूर्ण हो गया कि कुछ भी और कोई भी इसके आगे सोचता ही नहीं ..तकलीफ होती है किसी के दर्द को देख कर और दुख होता है उस दर्द को कम न कर पाने का । क्यों इस दुनिया में लोग परेशान है क्यों लोग तकलीफ में हैं..जब जानने की कोशिश करते हैं तो अंत में काग़ज़ में छपे गांधी जी ही कारण दिखते हैं ..क्या बापू ने कभी सोचा होगा कि जो उन्होने सारे आंदोलन जिन गरीबों के लिए किये उन्ही गरीबों को नोटो में छपी उनकी शक्ल देखना नसीब भी न होगी ।।

दुर्भावों का उन्मूलन

कई बार सदाचारी समझे जाने वाले लोग आश्चर्यजनक दुष्कर्म करते पाए जाते हैं । उसका कारण यही है कि उनके भीतर ही भीतर वह दुष्प्रवृति जड़ जमाए बैठी रहती है । उसे जब भी अवसर मिलता है, नग्न रूप में प्रकट हो जाती है । जैसे, जो चोरी करने की बात सोचता रहता है, उसके लिए अवसर पाते ही वैसा कर बैठना क्या कठिन होगा । शरीर से ब्रह्मज्ञानी और मन से व्यभिचारी बना हुआ व्यक्ति वस्तुत: व्यभिचारी ही माना जाएगा । मजबूरी के प्रतिबंधों से शारीरिक क्रिया भले ही न हुई हो, पर वह पाप सूक्ष्म रूप से मन में तो मौजूद था । मौका मिलता तो वह कुकर्म भी हो जाता । इसलिए प्रयत्न यह होना चाहिए कि मनोभूमि में भीतर छिपे रहने वाले दुर्भावों का उन्मूलन करते रहा जाए । इसके लिए यह नितान्त आवश्यक है कि अपने गुण, कर्म, स्वभाव में जो त्रुटियॉं एवं बुराइयॉँ दिखाई दें, उनके विरोधी विचारों को पर्याप्त मात्रा में जुटा कर रखा जाय और उन्हें बार-बार मस्तिष्क में स्थान मिलते रहने का प्रबंध किया जाए । कुविचारों का शमन सद्विचारों से ही संभव है ।

किसी ने कहा-6

भीतरी दुनियाँ में गुप्‍त-चित्र या चित्रगुप्‍त पुलिस और अदालत दोनों महकमों का काम स्‍वयं ही करता है। यदि पुलिस झूठा सबूत दे दे तो अदालत का फैसला भी अनुचित हो सकता है, परंतु भीतरी दुनियाँ में ऐसी गड़बड़ी की संभावना नहीं। अंत:करण सब कुछ जानता है कि यह कर्म किस विचार से, किस इच्‍छा से, किस परिस्थिति में, क्‍यों कर किया गया था। वहाँ बाहरी मन को सफाई या बयान देने की जरूरत नहीं पड़ती क्‍योंकि गुप्‍त मन उस बात के संबंध में स्‍वयं ही पूरी-पूरी जानकारी रखता है। हम जिस इच्‍छा से, जिस भावना से जो काम करते हैं, उस इच्‍छा या भावना से ही पाप-पुण्‍य का नाप होता है। भौतिक वस्‍तुओं की नाप-तोल बाहरी दुनियाँ में होती है। एक गरीब आदमी दो पैसा दान करता है और एक धनी आदमी दस हजार रूपया दान करता है, बाहरी दुनियाँ तो पुण्‍य की तौल रुपए-पैसों की गिनती के अनुसार करेगी। दो पैसा दान करने वाले की ओर कोई आँख उठाकर भी नहीं देखेगा, पर दस हजार रूपया देने वाले की प्रशंसा चारों ओर फैल जाएगी। भीतरी दुनियाँ में यह नाप-तोल नहीं चलती। अनाज के दाने अँगोछे में बाँधकर गाँव के बनिए की दुकान पर चले जाएँ, तो वह बदले में गुड़ देगा, पर उ

किसी ने कहा-6

भीतरी दुनियाँ में गुप्‍त-चित्र या चित्रगुप्‍त पुलिस और अदालत दोनों महकमों का काम स्‍वयं ही करता है। यदि पुलिस झूठा सबूत दे दे तो अदालत का फैसला भी अनुचित हो सकता है, परंतु भीतरी दुनियाँ में ऐसी गड़बड़ी की संभावना नहीं। अंत:करण सब कुछ जानता है कि यह कर्म किस विचार से, किस इच्‍छा से, किस परिस्थिति में, क्‍यों कर किया गया था। वहाँ बाहरी मन को सफाई या बयान देने की जरूरत नहीं पड़ती क्‍योंकि गुप्‍त मन उस बात के संबंध में स्‍वयं ही पूरी-पूरी जानकारी रखता है। हम जिस इच्‍छा से, जिस भावना से जो काम करते हैं, उस इच्‍छा या भावना से ही पाप-पुण्‍य का नाप होता है। भौतिक वस्‍तुओं की नाप-तोल बाहरी दुनियाँ में होती है। एक गरीब आदमी दो पैसा दान करता है और एक धनी आदमी दस हजार रूपया दान करता है, बाहरी दुनियाँ तो पुण्‍य की तौल रुपए-पैसों की गिनती के अनुसार करेगी। दो पैसा दान करने वाले की ओर कोई आँख उठाकर भी नहीं देखेगा, पर दस हजार रूपया देने वाले की प्रशंसा चारों ओर फैल जाएगी। भीतरी दुनियाँ में यह नाप-तोल नहीं चलती। अनाज के दाने अँगोछे में बाँधकर गाँव के बनिए की दुकान पर चले जाएँ, तो वह बदले में गुड़ देगा, पर उ

किसी ने कहा -5

देखा गया है कि जो सचमुच आत्म-कल्याण एवं ईश्वर प्राप्ति के उद्देश्य से सुख सुविधाओं को त्याग कर घर से निकले थे, उन्हें रास्ता नहीं मिला और ऐसे जंजाल में भटक गये, जहाँ लोक और परलोक में से एक भी प्रयोजन पूरा न हो सका । परलोक इसलिए नहीं सधा कि उनने मात्र कार्य कष्ट सहा और उदात्त वृत्तियों का अभिवर्द्धन नहीं कर सके । उदात्त वृत्तियों का अभिवर्द्धन तो सेवा-साधना का जल सिंचन चाहता था, उसकी एक बूँद भी न मिल सकी । पूजा-पाठ की प्रक्रिया दुहराई जाती रही, सो ठीक, पर न तो ईश्वर का स्वरूप समझा गया और न उसकी प्राप्ति का आधार जाना गया । ईश्वर मनुष्य के रोम-रोम में बसा है । स्वार्थपरता और संकीर्णता की दीवार के पीछे ही वह छिपा बैठा है । यह दीवार गिरा दी जाय तो पल भर में ईश्वर से लिपटने का आनन्द मिल सकता है । यह किसी ने उन्हें बताया होता तो निस्सन्देह इन तप, त्याग करने वाले लोगों में से हर एक को सचमुच ही ईश्वर मिल गया होता और वे सच्चे अर्थों में ऋषि बन गये होते ।

किसी ने कहा 4

मन्दिर को सजाने-सँवारने में भगवान को भुला देना निरी मूर्खता है । किन्तु देवालयों को गन्दा, तिरस्कृत, जीर्ण-शीर्ण रखना भी पाप माना जाता है । इसी प्रकार शरीर को नश्वर कहकर उसकी उपेक्षा करना अथवा उसे ही सजाने-सॅंवारने में सारी शक्ति खर्च कर देना, दोनों ही ढंग अकल्याणकारी हैं हमें सन्तुलन का मार्ग अपनाना चाहिए । शारीरिक आरोग्य के मुख्य आधार आत्म-संयम एवं नियमितता ही हैं, इनकी उपेक्षा करके मात्र औषधियों के सहारे आरोग्य लाभ का प्रयास मृगमरीचिका के अतिरिक्त और कुछ नहीं है ।

आपका रिश्ता खतरे में हैं

आपका रिश्ता खतरे में हैं एक महीना कैसे बीत गया पता नहीं चला ... खुशी के साथ नाराज़गी का ज्यादा एहसास..कुछ लोग शायद दुनिया मे खुश रहने के लिए आये ही नहीं और मेरी किस्मत कहिये या बद किस्मती की ऐसे लोगो का वास्ता मेरी दुनिया में मेरे साथ काफी है ... खुश रहना कोई फलसफा है या कोई काहनी या गणित का ऐसा सवाल जिसका हल.. गुरू के भी पसीने छुड़ा दे ।सुबह देखो तो मुंह बना हुआ है शाम को देखो तो फिर से नफरत के भाव झलक रहे हैं कारण क्या है पूछने पर नहीं बताया जाता । माना हर इंसान के पास हर चीज़ नहीं होती पर ये भी तो सच्चाई है कि ऐसे भी इंसान है जिनके पास जो हो वो उसमें ही खुश रहते हैं। हमारा दायरा यानि वो घेरा जिसमें हम अपना ज्यादा वक्त गुज़ारते हैं घर हुआ दफ्तर हुआ या फिर दोस्त ... इनके साथ ,इनके पास रहने से हमे किस चीज़ का एहसास होता है। किसी बंधन का, किसी कर्ज़ का, किसी फर्ज़ का, किसी बोझ का, या फिर खुशी का ... अगर खुशी का एहसास नहीं है तो सच मानिये आपका रिश्ता खतरे में हैं । अब इससे बड़ा सवाल ये उठता है आपको कैसे पता चले कि आप खुश हैं ... जी कई लोग बनावटी और दिखावे को ही खुशी का दरवाज़ा समझते हैं

MRS IRSHAD

मिसेज़ इरशाद लखनऊ के चौक की तंग गलियां और गलियों में धूमती बिटन ..जहां से निकलती मुल्ला मौलवी ब्रुके पहने औरतें या फिर चौहराये पर खड़े लखनऊ के शौदे.. सभी कान में फुस से कहते रियासत की लड़की ज़रूर कोई गुल खिलाए गी।..शायद बिटन की चंचलता तेज़ तरार होना बिना बाज़ू का कुर्ता पहनना और लड़कों की साइकिल चलाना वो भी ऐसे मौहल्ले में जहां औरतों ने सिर्फ मौहल्ले के सब्ज़ी वाले या कसाई के अलावा किसी और गैर शख्स से बात ही न की हो...पर बिटन सब से जुदा और हट के है पर हां इस गलतफहमी में मत रहिए की बिटन पढाई में बहुत अच्छी होगी परिवार वाले बहुत मॉर्डन होगें अब्बा तालिम के समर्थक होगें..ऐसा कुछ नहीं बिल्कुल नहीं.. रियासत तो पांच वक्त के नमाज़ी ज्यादातर वक्त उनका मजलिस मातम रोज़े नज़र नियाज़ में गुज़रता और खाली वक्त मिलता तो वो इस परेशानी में निकल जाता की पांच पांच लड़कियों की शादी कैसे होगी.... .या मौला कोई मौज्ज़ा(चमत्कार) दिखाओ..या इमामे ज़माना तुम्ही अपना करिशमा करो..खैर करिशमा तो वक्त के साथ हो ही जाता है उनमें अगर इन सब को ज़हमत भी न दी जाये तब भी काम तो अपने समय पर ही होता है खैर ये तो आस्था की बात