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Showing posts from 2009

इस बार

इस बार जो बुरा हुआ उसे भूल जा जो है उस के साथ चल जिसने दर्द दिया उसे दवा दे जिसने ज़ख्म दिया उसे मरहम दे जिसने आंसू दिए उसे सब्र दे जिसने बाण छोड़ा उसे बांह दे जो बुरा हुआ उसे भूल जा जो है उस के साथ चल।। इस बार बदले गी सूरत इस बार बदले गी मुर्त इस बार बदले गी तस्वीर इस बार बदले गी तकदीर जो बुरा हुआ उसे भूल जा जो है उस के साथ चल ।। शान....

मैं अपनी भतीजी से क्या कहूं।..एक दुखियारी

लड़कियों के लिए क्या बदला जन्म दिल्ली में हुआ और यहीं पर मैं पढ़ी बड़ी ..शहर के साथ मैने औऱ मेरे परिवार दोनो ने तरक्की की ..जैसा आप सब जानते है जो हाल नौकरी पेशे में होता है वो ही हमारे परिवार का था ना बहुत अच्छा कहेंगे ना बहुत बुरा । ठीक ठीक जिंदगी गुज़र बसर हुई। पर शहर में रहते और बड़े होते मैने यहां अपने साथ बहुत बदसलूकी और बदतमिजी सही। कभी किसी का विरोध किया तो वहां मौजूद लोगों ने मेरा मज़ाक ऊड़ाया। यहां तक की दोस्तों और रिश्तेदारों ने भी कहा क्यों बात को बढ़ावा देती हो क्या होगा उल्टे बदनामी होगी। मैं खून के घूंट पीकर सब्र कर लेती कि वक्त के साथ सब कुछ ठीक हो जाएगा। मेरी दिल्ली सही हो जाएगी। बसों में मर्दों जिनमें छिछोरे नौजवान हो या पढ़े लिखे या फिर मनचले बुजुर्ग जो मेरे दादा कि उम्र के हुआ करते थे अक्सर मेरे पीछे चिपक जाया करते थे। जब मैं कहती ज़रा ठीक से खडे हो तो उनका जवाब आता अगर बस मे इतनी परेशानी हैं तो टैक्सी में चलाकर उनकी बात सुनकर पूरी बस हंसती । और मैं बिना गल्ती के शर्मिंदा हो जाती। बाज़ार में कोई सामान लेने जाऊं और दुकानदार बेईमानी करें और मैं उसे टोक दूं तो वो उल्टा

ऱूख्सत

ऱूख्सत मुझ को दर्द है ज़माने से मैं यूही ग़मगीन रहता हूं तुझसे मिलना है हसरत मेरी हर शाम ये सोच कर सोता हूं।। दर्द का रिशता पुराना है अश्कों का दरिया बहाना है मैं कई बार टूटा यूही इस बार टूट के बिखर जाना..।। न संभालो मुझको न दो सहारा दूर कर दो साहिल को अब की बार मुझको डूब ही जाना है।। कई बार चढा, कई बार उतरा रंग हिना का हाथो से इस बार खून- ने- रंग को भी आज़माना है ।। मुझसे नफरत करो तो कर ले ऐ दोस्त मुझसे गिरया करे तो न कर ऐ दोस्त मुझसे रश्क करे तो कर ले ऐ दोस्त.. मुझसे गमोरंज करे तो न कर ऐ दोस्त.. बहुत हुई नमाज़े शुक्रआना.. शुक्र अल्लाह का कर के जाता हूं.. फिर न आऊंगा इस दुनिया में ऐ शान” पढ़ दो ऐ दोस्त मेरा नमाज़े जनाज़ा ।। शान,,

शान का प्रेम पत्र -3

शान का प्रेम पत्र -3 प्रिय काफी दिनों के बाद तुम को पत्र लिख रहा हूं । इस उम्मीद के साथ जहां हमारी बात और मुलाकात खत्म हुई थी..। वहा पर तुम आज भी रोज़ जाती होगी ..याद आता होगा तुम्हे हर गुज़रा हुआ वक्त ..मेरा भी वो ही हाल है ... उन जगहों और उन लम्हों को मैने समेट कर रखा हुआ है ..जब भी अकेला होता कुछ परेशान होता तो वो गुज़रे हुए पल को अपनी यादों से निकाल कर थोड़ा मुस्कुरा लेता ...अच्छा लगता, शायद ज़िन्दगी में वो जो पल बीत चुकें हैं..उन से अच्छा वक्त न जाने मैं कब देंखू... कल कुछ अजीब हुआ..दिन रात मेरी आंखों से आसू बहते गए..ज़ोर ज़ोर और ज़ार ज़ार रोने का दिल करने लगा..चाहा रहा था बहुत से ज़ोर से रोऊं, चिल्लाऊं ,चीखूं..पर आवाज़ न जाने कहां दब गई औऱ दबी हुई आवाज़ दबी हुई भावनाओं ने अश्कों का दरिया बना दिया... ज़हन कुछ काम नही कर रहा था ..बस मैं रोता जा रहा था ..क्यों.. मालुम नही शायद मैने जीवन में सिर्फ सिर्फ खोया है ..औऱ लगातार खोता ही जा रहा हूं... बहुत कुछ पाने की चाहत है .पर जब दर्पण देखता हूं..तो अपने को अकेला पाता हूं.. सब अपनी अपनी ज़िन्दगी और दिनचर्या मे व्यस्त हो जाते हैं... सब के

85 साल के तिवारी .... सेक्स के शहंशाह ( कुछ पुरानी बात)

85 साल के तिवारी .... सेक्स के शहंशाह ( कुछ पुरानी बात) 85 साल के एन डी तिवारी तीन जवान लड़कियों के साथ एक स्टिंग आपरेशन में पकडे गए.. कहा जा रहा है तीनो लड़किया देहरादून से आंध्र प्रदेश के राजभवन लायी गयी थी .. जो औरत उन्हे लायी थी उस को तिवारीजी से कुछ काम था ..काम के बदले तिवारी जी को शबाब चाहिये था । रात में सेक्स और दिन में मसाज तिवारीजी का शगल है और ये शगल आज का नहीं बहुत पुराना है.. और केवल तिवारी ही नहीं बाकि भी कई सफेद पोश है जिनका कमरे में अपना असली रूप में दिखता है....पर बात पहले 85 साल के सेक्स के शंहशाह एन डी तिवारी की... बात 2002 की है उस दौरान रिपोर्टिंग के चलते उंत्तराचल का काफी दौरा रहता था स्थानीय पत्रकारों औऱ साथी पत्रकारों से तिवारीजी की रंगीन मिज़ाजी के किस्से सुनने को मिलते रहते थे ... बाद में चुनाव हुए तिवारी जी उत्तरॉचल के मुख्यमंत्री बने ..तब तो मुख्यमंत्री निवास पर शाम और रगीन रातों की खबर आती ही रहती है.. उन के मंत्रीमंडल का संचालन जो मंत्री जी करती थी .. उनके साथ उनके संबध को शायद ही कोई ऐसा पहाडी हो जो जानता न हो ..उन महिला मंत्री का नाम फिर कभी .. कहते ह

71साल (भाग-८)8

71साल (भाग-8) घर में खामोशी का माहौल था ...रामनरेश दिल पर हाथ रखे बैठे थे... पास में दोनो लड़कियां मां..बेटा थे। बड़ी लड़की दूसरे कमरे की चौखट पर खड़ी थी .उस जगह जहां से उस कमरे की सारी आवाज़े आसानी से सुनी जा सके जहा परिवारवाले बैठे थे। कुछ देर तक घर मे सांसे, जलती बुझती टूयब लाइट और पंखे की आवाज़ के सिवा कुछ नहीं सुनाई दे रहा था... किसी की हिम्मत नही हो रही थी की रामनरेश से कुछ पुछें...धीरे से रामनरेश की पत्नी बोली अरे बताऊ क्या कहा भाई ने ... कुछ देर तक रामनरेश चुप रहे फिर बोले लड़के वालों ने मना कर दिया .... सब के मुंह से एक साथ निकला मना कर दिया ....पर क्यों.... रामनरेश से सारी बात बताई.... शादी हमारे समाज मे कितनी अहमियत रखती है ..हर एक संबध जोडने के लिए हम कितने उतावले होते हैं ..हर खुशी हमारी उसी के आसपास रहती है ..हर पल हम उसी सपने के साथ जीते है... औऱ लडकी का ब्याह मानो एक पहाड अपने सिर में लादे हुए हो ... फिर रिश्ता टूट जाना तो किसी अपऱाध से कम नही.. वो सज़ा जिसमें आंसू और मातम से ही पुरसा दिया जा सके.. न आसू और न ही मातम रामनरेश के घर वालों के लिए नये नहीं थे ..क्यों कुछ

71 साल (भाग-7)

71 साल (भाग-7) रामनेऱश अपने भाई के पास जा कर बैठ गए... भाई लेटा रहा वो उनके सिरहाने बैठे रहे..दोनो में काफी देर तक कोई बात नहीं हुई... फिर कुछ देर बाद भाई की पत्नी नीता रामनरेश के लिए चाय ले आई... चाय रखते हुए बोली भाभी-भई वो मना कर गए.... रामनरेश-मना कर गए.. भाभी-हां उन्हे पसंद नही आया न तुम्हारा घर न तुम्हारे बच्चे और न ही लड़की ... रामनरेश ने भाई से पुछा ..भाई क्या कहे रहीं है भाभी...भाई ने अब जा कर मुंह खोला ..ठीक कहे रही हैं... रामनरेश – आपको मुझे बताना चाहिए था.. भाई – क्या करता तू ..और मैं.. रामनरेश – पर फिर भी.. भाई- ठीक है और देखेगे.. रामनरेश – पर क्या कहा भाई-बता तो दिया तेरी भाभी ने...उन्हे पसंद न आई..लड़की..देख रामनरेश ये रिश्ते तो सब भगवान की मर्जी से होते हैं... रामनरेश को चक्कर आने लगा..आंखे बंद होने लगी ज़िन्दगी फिर वही चली गई जहां से शुरू हुई थी...चाय वही रखी रही ...रामनरेश उठे..बोलते हुए....मैं घर में क्या कहूंगा...भाई और भाभी ..दोनो ने रामनरेश की तरफ देखा ... रामनरेश ने अपने घर की राह ली... रामनरेश से साइकिल नही चल पा रही थी... क्या क्या ज़हन में विचार आ रहे थे ...क

काश.....

दिल में ग़म आंखे नम किससे बयां करूं अपना हाल कौन सुने मेरी कौन है मेरा अपनो को मैने छोड़ा औरों ने मुझको को छोड़ा कैसे चलूं मैं इस पथ जिसमे बसी है तेरी याद वो याद जो रहती हर पल मेरे साथ काश तो होती मेरी और मै होता तेरा... काश..काश ...काश...

लुटरों ,चोरों औऱ हत्यारों की दिल्ली.....thanks to bihar

लुटरों ,चोरों औऱ हत्यारों की दिल्ली.....thanks to bihar कहते हैं दिल्ली कई बार लुटी औऱ बसी ..ये बात पहले भी सही थी आज भी सही है .आज भी दिल्ली रोज़ लुट रही है ..रोज़ यहां डाका डाला जा रहा है रोज़ यहां हत्याए और वारदाते हो रही हैं... क्या मैं क्या वो सब एक खौफ के साये में जी रहे हैं...आए दिन यहां अवैध कब्ज़े हो रहे हैं... मुबंई की तरह दिल्ली में भी बिहारियों का बोल बाला होता जा रहा है..नतीजा बिहार में अपराधिरक आकडे कम हो रहे हैं ... और दिल्ली के आकडे बढ़ते जा रहे हैं... कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने साफ साफ बिहारियों का नाम भी लिया था पर राजनीति के चलते माफी मागनी पड़ी ... जितनी तेज़ी से आबादी बढ़ रही है उतनी हमारे पास फोर्स नही है जिसके कारण इन पर लगाम लगाना मुश्किल होता जा रहा है,,,, आइये पिछले कुछ दिनो में दिल्ली मे हुई वारदातों के बारे में आपको बताए...घर सड़क,बाज़ार,ट्रेन कहीं भी दिल्ली वाला सुरक्षित नहीं है ..कोई है जो उन्हे देख रहा है उनके समान पर नज़र रखे हुए है... 16 दिसंबर 2009 दिल्ली का आशोक विहार इलाका.. जौहरी पूरणचंद बंसल के डेढ़ करोड रूपये का बैग लेकर बदमाश फरा

दंगों के लिए तैयार रहिए....मुस्लमानों को आरक्षण मिलने वाला है....(RANGNATH COMMISSION)

दंगों के लिए तैयार रहिए....मुस्लमानों को आरक्षण मिलने वाला है....(रंगनाथ मिश्रा आयोग) 2006 में रंगनाथ मिश्रा ने अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंप दी थी.... जिसमें अल्पंसंख्यक समुदायो की भागेदारी पढ़ाई लिखाई और रोज़गार में बढाने के लिए सिफारिश की गई है.... अब क्या क्या सिफारिशे है इसको भी पढ़ ले.... ओवीसी कोटे में अल्पसंख्यक पिछड़े भी शामिल किए जाए... मौजूदा 27 फीसदी कोटे में 6 फीसदी मुस्लिम पिछड़े हो... 2.4 फीसदी कोटा दूसरे अल्पसंखयक पिछड़ो को दिया जाए.... रंगनाथ मिश्रा कहते हैं ... हर धर्म और नस्ल के पिछड़े लोगों को आरक्षण मिलना चाहिए जिन पैमानो पर हिन्दुओ पिछड़ों को आरक्षण मिलता है उसी तरह मुस्लमानों और इसाईयो के पिछड़ो को आरक्षण मिलना चाहिए.. गैरमुस्लिम और इसाई शैक्षणिक संस्थानों मे अल्पसंख्यक पिछड़ो का 15 फीसदी कोटा (आरक्षण ) होना चाहिए...जिसमे 10 फीसदी मुस्लिम और 5 फीसदी दूसरे अल्पसंख्यक हों... सरकार इसे संसद में रखने की हिम्मत नही जुटा पा रही है क्योंकि जो हाल वीपी सिंह का हुआ वो इस सरकार का न हो जाए... और फिर से मंडल कमंडल की राजनीति का दौर शुरू हो जाएगा..क्योंकि मंड

71 साल (भाग-6)

71 साल (भाग-6) बाहर राम नरेश के भाई मेहमनों के साथ खड़े थे ..रामनरेश ने सब को अंदर बुलाया औरतों को औरतों के साथ भेज दिया आदमियों को मुख्य कमरे में ले गए... आने वालों में लड़का था ,लड़के का भाई , और लड़के का मामा... औरतों में लड़के की भाभी और मामी थी । कुछ इधर ऊधर की बाते हुई..पुछा मम्मी पापा नहीं आए .रामनरेश के भाई बोले भई बस मामा जी हैं जो सब फाइनल करेगें.. इन्ही पर सब छोडा है..एक हंसी ने माहौल को थोड़ा अच्छा किया .. फिर बातों का दौर शुरू हो गया... लड़का काम काज ठीक ठाक करता है ..किसी एम्बेसी में सही जगह पर नियुक्त है... देखने में उसका भाई भी सही था ... वो भी किसी आफिस मे काम करता है..दो भाई है ..एक बहन जो दोनो भाईय़ों से छोटी है ..पिता खेती बाढ़ी से जुडे हुए है...कहने का अर्थ है ..एक अच्छा नही तो खराब भी नहीं, ऐसा परिवार .पर रामनरेश और उसके परिवार के लिए एक अच्छा रिश्ता ...और वो भी ऐसा रिश्ता जो रामनरेश के भाई की तरफ से आया हो .. जिससे उनके संबध सही नहीं चल रहे थे ... तभी धर में आया छोटा बच्चा जो अंदर औरतों के साथ था, दौड़ता दौड़ता आया और बोला चाचा चाचा चाची बहुत सुंदर है।... फिर ज़ोर

मस्जिद और दरगाहों के आसपास ही क्यों होते है फरेबी लोग...

मस्जिद और दरगाहों के आसपास ही क्यों होते है फरेबी लोग... माजिद मियां पांच वक्त के नमाज़ी हैं..और जुम्मे की नमाज़ तो उन्होने शायद ही कभी न पढी हो ..ऐसा मुम्किन नहीं....सिगेरिट पीने का शौक है और वो क्लासिक सिगेरिट पीते हैं जिसकी कीमत पांच रूपए है... एक बार उनका एक हिन्दु दोस्त अजमेर शरीफ से लौटा तो दरगाह में और आसपास के ठगों के बारे में बताने लगा ..कि कैसे ठगों ने अजमेर स्टेशन से ही उनका पीछा ले लिया ..बड़ी मुशिक्ल से बच कर वो दरगाह के अंदर पहुचा तो देखा की अंदर तो बहुत बडे बडे ठग और लूटरे मौजूद थे ..हर शख्स उन्हे चिश्ती साहब के आज़ाब का डर दिखा कर नोट ऐठने को तैयार था.. एक दरवाज़े जिसे जन्नत का दरवाज़ा कहा जाता है ..उस पर तो बहुत ही बड़ा शातिर लूटेरा हाथों में लठ और ज़मीन पर चादर बिछाए खड़ा था ..चादर पर रूपए पड़े हुए थे .. और लोगों को वो उस चादर पर ही रूपए डालने को कहे रहा था .. सरकारं ने वहा हिदायत लिख रखी है की आने वाले लोग सरकारी पेटी में ही चढावा डालें.. किसी और को न दे.. दान पेटी में डाला गया पैसा दरगाह की देख रेख में लगाया जाएगा... तो उसने 100 रूपए निकाले और दान पेटी में डालने ल

71 साल

71 साल (भाग-5) सब कुछ जल्दी जल्दी हुआ ... रामनरेश ने अपनी इज्ज़त बचाने के लिए अपनी बड़ी बेटी की शादी की तैयारी शुरू कर दी ..पर ज़िन्दगी इतनी आसान होती तो ... भगवान और अल्लहा की दुकानों पर इतनी रौनक कभी नहीं होती ,,,,,। आज रिश्तेवालों को आना हैं रामनरेश के बड़े भाई ने रिश्ता करवाया है ..रामनरेश की बीवी को जब रात मे रामनरेश ने ये बात बताई थी ..तभी से वो बहुत परेशान थी।.क्योकि जिस भाई से कभी न बनी जिसने ..रात ही रात को अपना माकान खाली करा लिया वो इतना कैसे मेहरबान की अपने भाई की बेटी के लिए कोई अच्छा रिश्ता लाए...। पर घर का माहौल ऐसा था की कोई कुछ नही बोल रहा था .. खामोश ज़बा..आंखे नम , दिल भारी .. पर हो रही थी मेहमानों के आने की तैयारी ...। पैसे जो़ड़ जोड़ कर अपने बच्चों का पेट काट काट कर रामनरेश की पत्नी ने घर की चीज़े जोडी और बनाई थी .. नई चादरें ,पर्दे.खाने के बर्तन ... और भी मेहमानो की खातीर दारी के लिए बाकी सामान....। नाशते और खाने का प्रबंध किया गया था ...बाथरूम और टायलेट को भी अच्छी तरह से साफ कर दिया गया, नया तौलिया, नया साबुन... शीशे से लेकर फर्श और खिड़की दरवाज़े सब चमक रहे थ

बरसी की तैयारी

बरसी की तैयारी 26\11 को पूरा एक साल हो जाएगा .. मुझे याद है जब तकरीबन दस बजे मैने टीवी खोला तो मुंबई के कैफे में किसी लड़कों का ज़िक्र हो रहा था .. शायद कोई दिवाने या नशे में लड़के कैफे में गोली चला रहें है ऐसी खबर थी..फिर धीरे धीरे बात खुलती गई ..और वो बुधवार 26\11 के नाम से दर्ज हो गया.. अब पूरा एक साल होने को है ..26\11 के बाद देश का क्या हाल है और खबर दिखाने वाले चैनलों का क्या हाल है ये बात किसी से छुपी नहीं.. एक साल के बाद हमारे देश का गृह मंत्री सिर्फ माफी मांग रहा है .. सॉरी बोल रहा है...छगन भुजबल आरआर पाटिल पर इल्ज़ाम लगा रहे हैं ।ये सच है की इस के बाद कोई आंतकी हमला नहीं हुआ ..पर हमारी सींमाएं असुरक्षित हो गईं..इंसानों के अंदर खौफ बैठ गया है ... इस के लिए नेता और सुरक्षा ऐजेंसिया जितनी ज़िम्मेदार है उतने ही टीवी चैनल .क्योंकि इस हमले के बाद हर चैनल में एतिहासिक बदलाव आया है ..आंतकवाद एक बीट हो गई .. इसके लिए पत्रकार और लोगों को अलग से रखा जाने लगा या सिर्फ इस पर ध्यान देने को कहा जाने लगा. टीवी चैनलों ने देश में एक क्रांति लाने का काम किया ... तालिबान, पाकिस्तान , लश्कर

अब नही रहा जाता खामोश

अब नही रहा जाता खामोश दरिया भर गया है .. तूफान बस रूका है बरस जाए गा बादल गिर जाएगी बिजली छलक जाएगा पैमाना बंद जंबा खुलने वाली है शायद प्रलय आने वाली .. क्यों सहूं ज़िल्लत क्यों सुनु उसकी इस पेट के खातिर ये भी अब मुझ को समझ गया है.. बस बुहत हुआ अब खमोश नही रहा जाता .... शान....

लो फिर बात चली

लो फिर बात चली एक हल्की हवा फिर चली लो तेरी बात फिर चली ।। हर झोका एक एहसास जगाता है हर बार एक तमन्ना फिर जग जाती है कोई कुछ कहता है पर मन तेरे बारे मे ही सोचता है।। चलता हूं गुज़रता हूं जब उन बीते रास्तों से हर तरफ वो पल नज़र आता है।। सादगी थी, मसूमियत थी हम में न जाने कौन सी रौनक थी ..।। वो ही तारीख वो ही दिन, पर साल बदलते देखे हमने वक्त के साथ सारे, रिश्ते बदलते देखते ..।। फिर जब भी कोई ज़िक्र हो जाता है ... एक एहसास फिर उठ जाता है... शायद तू भी वो ही सोचता होगा शायद तुझ को भी वो ही याद आता होगा...।। लो फिर बात चली एक हल्की हवा फिर चली लो तेरी बात फिर चली ....।।

मां.....

मां..... क्यों चली गई बहुत याद आती है आंख अक्सर भर जाती है कुछ कहूं ,कुछ करूं तेरी शबी नज़र आती है आज मलाल है तेरे जाने का तेरे लिए कुछ न कर पाने का मैं नाकारा रहा निक्मा रहा फिर भी तेरा दुलारा रहा.. वो शब्द अब भी गूंजते है मैं चली जाऊंगी जब पता चलेगा वो शायद तब मज़ाक था पर उस हकीक़त का एहसास अब हो रहा है... सच मैं मां बहुत याद आती है शान....

तेरे जाने के बाद

तेरे जाने के बाद बदल गए हम बदल दी हर तस्वीर बदल दी हर याद बदल दी हर बात बदल दिए रास्ते बदल दिए चौहराए बदल दी हर गली बदल दिए हर नुक्कड बदल दी हर पसंद बदल दिए जो थे संग बदल दिया अपना रंग बदल दिया अपना ढंग बदल दी महफिल बदल दिए उसूल बदल दिया इमान बदल दिया फरमान बदल दिया माकान बदल दिया भगवान फिर भी रहे गया अरमान काश तुम होते तो मै न बदलता तेरे जाने के बाद शान....

सीवीआई सरकार की रखेल (भाग-1)

सीवीआई सरकार की रखेल (भाग-1) शायद कई लोगों को मेरी भाषा पर गुस्सा आए ..मेरे शब्दों से एतराज़ हो ... ये शब्द सख्त ज़रूर हैं लेकिन हैं सच... सीबीआई बनी थी सरकार के काम काज पर नज़र रखने के लिए..उसमें हो रहे भ्रष्टाचार को रोकन के लिए ..पर सीबीआई की हालत देख कर यही लगता है की सरकार तय करती है सीबीआई कैसे और किस तरह से काम करे...सीबीआई की ऑटोनॉमी की बातें खोखली और बेमानी लगती है.. आईये उदाहरणों से अपनी बात को पेश करते हैं...औऱ चलते हैं 6दिंसबर 1992 बाबरी मस्जिद गिरा दी गई...और बीजेपी और वीएचपी के कई बड़े नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज हुआ. जिनमे लाल कृष्ण आडवाणी ,मुरली मनोहर जोशी ,उमा भारती और विनय कटियार के नाम सामने आए.. विशेष सीबीआई अदालत में मामले चलते रहे,एनडीए की सरकार बनी और आडवाणी जी गृह मंत्री बन गए ...और फिर शुरू हुआ खेल .. जब आरोप तय होने थे उस समय के मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने कहे दिया अगर मुझ पर आरोप तय हुए तो मैं इस्तीफा दे दूंगा..ये बात आडवाणी पर दबाव बनाने के तौर पर कही गई..अगले दिन आडवाणी जी छूट गए और बाकी सब नप गए...। पूरे देश में आडवाणी के छूटने पर ह

सरकारी आदमी काम क्यों नहीं करता ...

सरकारी आदमी काम क्यों नहीं करता ... आज भी किसी सरकारी दफतर जाते वक्त रूह कांप जाती है ..एक डर और खौफ अंदर होता है न जाने क्या होगा ... मुझे पता है इस लेख से कुछ नहीं होगा ... 62 साल से कुछ नहीं हुआ तो अभी कुछ होगा इसकी मुझे उम्मीद नहीं है पर मैं इसे अपना फर्ज़ समझता हूं की इस बात को आप सब के सामने लाया जाए.. शायद सरकारी महकमे में जाने से पहले हम मानसिक रूप से तैयार रहें.. यहां भाई कुछ भी काम एक बारी में बिना रिश्वत दिए बिना बहस और परेशानी लिए..और बिन ब्लड परेशर की गोली खाए नहीं हो सकता । आज ये बात मेरे अकंल ने मुझे बताई जिन की उम्र देश की आज़ादी के बराबार ही है...दुख की बात ये है..ये उस महकमें की बात है.. जो दावा करता है की वो आपकी परेशानी और दुख में आपके साथ है और रहेगा ..जी एलआईसी (LIC).. अंकल ने रिटार्यरमेंट से पहले एलआईसी का यूलीप प्लान लिया था .15,000 हज़ार सलाना का .. जिसके भुगतान का आज आखिरी साल था और तारीख भी आखिरी थी ... तो अंक्ल ठीक समय से घर से निकल पड़े .. दिल्ली के जगतपुरी के दफ्तर पहुचें तो पता चला की यहां से ऑफिस हटा दिया गया है ...जिसकी सूचना उन्होने अपने ग्राहकों को न

जंसवत शहीदे -आज़म

जंसवत शहीदे -आज़म जसवंत सिंह की बीजेपी से विदाई हो गई है और विदाई भी ऐसी वैसी नही पार्टी ने बड़ा ही बेआबरू कर के उन्हे निकाला हैं । ऐसा सलूक तो आज के ज़माने में किसी स्कूली बच्चे के साथ भी नही किया जाता है। लेकिन जसवंत सिंह के साथ बीजेपी ने किया और जसवंत सिंह ने उसे बर्दाशत भी कर लिया, आप सोच रहे होंगे कि बर्दाशत ना करते तो और करते क्या , तो आप भी सही हैं। बीजेपी की मुख़ालफत करने वाले जसवंत सिंह के साथ हुए ऐसे सलूक पर बीजेपी को कोसने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे। अगर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान कि अगर बात की जाए तो वहा के मीडिया ने तो जसवंत को शहादत का दर्जा तक दिलवा दिया , एक ऐसा शहीद जिसे सच सामने लाने के लिए उसके अपनों ने ही बलि चढ़ा दी । ये बात भी खूब ज़ोर शोर से उठाई जा रही है कि जसवंत की संघ से नज़दीकी ना होना भी उनकी पार्टी से विदाई की वजह बनी । लेकिन एक बात जो कोई समझ नही रहा कि जसवंत को दरअसल उनका लालच ले डूबा। ..... ज़रा सोचिए, जसवंत सिंह क्या आपको इतनी कच्ची गोलियां खेले हुए लगते हैं कि जिस पार्टी और विचारधारा के लिए उन्होंने एक उम्र गुज़ार दी उसे समझने में उनसे इतनी बड़ी गल्ती ह

कुछ अधूरे काम बचें...

कुछ अधूरे काम बचें... उम्र साठ साल .. नौकरी से मुक्त बच्चों की ज़िम्मेदारियों से रिहा.. न कर्ज़ न कोई फर्ज़.. जी लूं तो ठीक.. न रहूं तो भी सही.. कोई आए तो अच्छा न मिले तो बेहतर.. भगवान की शरण में तीर्थ स्थानों में मंदिर में, दरगाहों में इस से, उस से जहा और जिससे वक्त गुज़र जाए वो बेहतर पर कुछ पूरा करने की चाहत में कुछ हसरतों के एहसास में उम्र के कुछ दिन बचें हैं.. कुछ अधूरे काम बचें हैं.. कभी किसी का दिल तोड़ा कभी कोई रिश्ता छोड़ा कभी इस फिराक में कभी उस जुगाड़ में इससे लिया उसको दिया वहां अच्छा बना तो वहां बुरा बना किसी का भला किया तो किसी की भुला दिय़ा .. ज़िन्दगी के इस मुकाम पर कुछ अधूरे काम पड़े हैं... मां की गोद से कब ज़मी पर चला बाप की उंगली से कब छूट गया जाने किस रिश्तो से घीरा किस बंधन में बंधा .. सोचता हूं मैं क्या मैने सब कुछ पूरा किया .. सागर की लहरों में मोतियों की खोज से ज़िन्दगी के इस पल में कुछ अधूरे काम बचें है....... शान.....

अमरनाथ यात्रा ..एक नज़र

अमरनाथ यात्रा ..एक नज़र पिछले कुछ सालों से अमरनाथ यात्रा के साथ कोई न कोई विवाद जुडता रहा है ।कभी शिव लिंग पिघल जाता था तो कभी ज़मीन को लेकर खूनी संधर्ष शुरू हो जाता था ...पर शुक्र है इस बार आंतकवादियों की धमकियों के बावजूद अमरनाथ यात्रा बिना किसी विवाद और हिंसा के मुकम्मल हुई । दो महीने चली इस यात्रा को मौसम की वजह से श्रद्धालुओं को कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा और यात्रा को बीच में रोकना भी पड़ा पर अंत भला तो सब भला .. सरकार ने कड़ी सुरक्षा का इंतज़ाम किया था 4लाख तीर्थ यात्रियों ने 3880 मीटर ऊंचाई पर शिवलिंग के दर्शन किए ।रास्ते काफी मुश्किल भरे थे दर्शन और कठीन हो जाता है जब वहां का लोकल आदमी अपनी मनमानी करने लगता है.. चलने और अपनी ज़रूरत की चीज़ों के लिए आम श्रद्धालु उन पर ही निर्भर करता है और वो अपनी मनमानी करने से बाज़ नहीं आते ..इस मुद्दे पर हर कोई खामोश है ..ज़ीमन विवाद की एक बड़ी वजह ये भी है तभी वहां का लोकल आदमी अमरनाथ ट्रस्ट को ज़मीन दे जाने का विरोध करता है क्योकि तब उनकी गुंडा गर्दी नहीं चल सकती । केंद्रीय रिजर्व पुलिस के उपमहानिरीक्षक नलिन प्रभात ने पत्रकारों से कह

What an idea सरजी.....

What an idea सरजी..... इस विज्ञापन ने देश में क्रांती लाई हो या न लाई हो पर न्यूज़ चैनल वालों ने इसे अपना गुरूमंत्र मान लिया है । आज एक ऐसे ही आईडिए की तलाश में हर चैनल धूम रहा है..टीआरपी तो बेवफा है एक दिन ठुकरा ही देती है ..इसीलिए एक ऐसा कार्यक्रम चाहिए जिसे दर्शक गले लगा ले और चैनल बाज़ी मार जाए... ज़ोर शोर से तैयारी है इस बार तो कुछ कर जाएगें अपने दिग्गजों को छोड़ा है वो कुछ नया लाएगें..अपने पास जितना दिमाग था उतना लगा दिया ..एक नया कार्यक्रम अपने चैनल पर ला दिया...सब ने बॉस की बहुत तारीफ की सर क्या बात है ,,ये तो हीट है...पर हफ्ते भर बाद नतीजा आया... मामला फिसससससस..... क्या करें जनाब ये भी लोगों को पसंद नहीं आया ... कारण खोजने चले तो जिन्होने तारीफ की थी वो ही अब बुराई करने लगे ..सर ये हो जाता तो अच्छा था ,सर ये कर लेते तो ठीक था ... अबे उस वक्त क्या सांप सूंध गया था या लक्वा मार गया था जो मुंह से आवाज़ नहीं निकली ... जी यही हाल कमोबेश हर चैनल का है ..एक नई चीज़ की तलाश ..अब तो स्टिंग आपरेशन भी नही रहे , साधू पंडित भी लगातर फ्लाप हो रहें है.. तर्क वितर्क में हमारा एंकर अपना ऐसा

इमरान हाशमी को घर नहीं क्योकि वो मुस्लमान हैं....

इमरान हाशमी को घर नहीं क्योकि वो मुस्लमान हैं.... आज सुबह से खबर चली की इमरान हाशमी को बांद्रा की एक सोसायटी मकान नहीं दे रही है क्योंकि वो मुसलमान है। इमरान हाशमी किस तरह के मुस्लमान हैं ये दुनिया जानती है पर ये मुद्दा बहुत संवेदनशील है .. आज से कुछ अरसे पहले एक टीवी चैनल ने भी कई प्रॉपर्टी डीलरों और सोसायटियों मे जाकर ये पता किया था की क्या सच में मुस्लमान या अल्पसंखकों को माकान आप लोग नहीं देते है..आप सच मानिए वहां से जवाब हां ही आया था... इमारन हाशमी ने आज जो मुद्दा उठाया उससे शायद लोगों की सोच में परिवर्तन आए..पर ऐसा होगा ये मुमकिन नहीं लगता .. बात सन 2,000 की है, मुबंई के आधुनिकता की बातें मैने बहुत पढ़ी थी ,,,और मुबंई जाना एक सपना था और सपना मेरी पहली नौकरी ने पूरा किया ... मेरा और मेरे एक सीनियर का ट्रासफर मुंबई हो गया ।.. कुछ दिन हम कंपनी के गेस्ट हाउस में रहे फिर तलाश जारी हो गयी माकान की ... हर जगह अलग बातें दोनो के नाम पूछे जाते फिर एक से अच्छे से बात की जाती और दूसरे को हीकारत की नज़र से देखा जाता .. हम लोग मीडिया में थे तो ये बात कभी ज़हन में नहीं आती की हम भी हिन्दु या म

नज़ीर बनारसी की नज़्म

नज़ीर बनारसी की नज़्म किसने झलक पर्दे से दिखा दी। आंख ने देखा दिल ने दुआ दी।। होश की दौलत उनपे गवां दी। कीमते जलवा हमने चुका दी।। रात इक ऐसी रौशनी देखी। मारे खुशी के शम्मा बुझा दी।। तुमने दिखाए ऐसे सपने । नींद में सारी उम्र गवां दी।। पूछें हैं वह भी वजहे –खमोशी। जिसके लबों पर मोहर लगा दी।। उनको न दे इल्ज़ाम ज़माना । खुद मेरे दिल ने मुझको दगा दी ।। आंच नज़ीर आ जाए न उन पर। दिल की लगी ने आग लगा दी ।।

एक और सच का सामना......हेड ऑफ चैनल

एक और सच का सामना......हेड ऑफ चैनल सुबह सुबह ऑफिस पहुंचा तो दाढ़ी वाला बॉस अर्विन्द पर चिल्ला रहा था... बाहर जो आवाज़े आ रही थी उससे ये ही सुना जा रहा था की आप को बिल्कुल लिखना नहीं आता है..ऐसे नहीं लिखा जाता.. सब कुछ मैं ही बताऊं आपको... कैसे चलेगा, मुझे ये पसन्द नहीं.... ये बाते पढ़ कर आपको लग रहा होगा की अर्विन्द कोई नया लड़का होगा और उसने कोई स्टोरी लिखी होगी जिसे बॉस ने खारिज कर दिया ..ऐसा कुछ नहीं है... हम लोग अर्विन्द को (जी’) यानि अर्विन्दजी कहे कर बुलाते हैं... टीवी में लिखने की समझ उन्हे जितनी है..शायद ही किसी को हो या बहुत कम को हो...तस्वीरों और आवाज़ों के साथ किस तरह शब्दों को पिरोना है उसमें उनकी महारत है ....पर बॉस को नहीं पंसद... अब कुछ बॉस का भी परिचय हो जाए.. बिहार की ट्रेन पर चढ़ कर आ गए.. अपने भाईया के पास जो आई ऐ एस की तैयारी कर रहे थे ।बस सलाह मिल गी ऐ जी आप पत्रकार क्यों नहीं बन जाते है सुरेश भईया मोतिहारी वाले है न चैनल में वो रख लेगें या कही रखवा देगे... बस बॉस ने पत्रकारिता किसी तरह कर ली दाढ़ी रख ली और बन गए पत्रकार ..... किस्मत के तो पहले ही बुलंद थे और दिल्ल

जिन्दगी चल नहीं रही दौ़ड़ रही है

जिन्दगी चल नहीं रही दौ़ड़ रही है काफी दिनो के बाद लिखने बैठा तो जाना की ज़िन्दगी बहुत ते़ज़ दौ़ड रही है ..जब रूक कर देखा तो पाया बहुत कुछ आगे निकल गया है। आज अपनी पोस्ट में उन का ही ज़िक्र करूगां जो आगे निकल गये.. जब अपनी आखिरी पोस्ट लिखी थी तब फ्रांस में बुर्के पर पांबदी लगाई गई थी..उसके बाद ही ज़िन्दगी के चक्र में बहुत व्यस्त हो गया ऑफिस में बजट और घर में बेचैनी। इसी बीच ब्लॉग पर कुछ लिखने का मन तो बहुत किया पर थकान के मारे लिख ना सका। फिर कुछ दुनिया में और देश में ऐसे हादसे और वाक्ए गुज़रे कि ज़िंदगी सुन हो गई । इसी में से माइकल जैक्सन की दुखद मौत भी एक है। माइकल जैक्सन की मौत ने ये सोचने पर मजबूर किया कि इंसान एक लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ता है और उस मुकाम पर पहुंचने पर कितना बिखर जाता है । पैसा दौलत शौहरत सब हासिल हो जाता है पर सब मिलने पर फिर यही सवाल रहता है कि अब क्या , और क्या । माइकल की मौत भले ही दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदी हो पर उसकी मौत एक बात ज़रूर पुख्ता कर देती है कि वाकई एक कलाकार की ही मौत थी, क्योंकि आज तक जितनी भी बड़ी हस्तियों की मौत हुई उन सब की मौत के बाद लोग विभाजि

कहीं बुर्के पर पाबंदी कहीं जीन्स...

कहीं बुर्के पर पाबंदी कहीं जीन्स... आज खबर आई की फ्रांस के राष्ट्रपति सरकोज़ी ने बुर्के पर पांबदी लगा दी है । सरकोज़ी का मानना है कि धर्म के नाम पर महिलाओं के बुर्का पहनने से फ्रांस में धर्मनिरपेक्षता पर असर पड़ता है और देश के लोगों पर ग़लत प्रभाव पड़ता है । इससे पहले फ्रांस में पगड़ी पर भी पांबदी लगाई थी ..आंतकवादियों की पोशक कहे कर ...जिसके बाद वहां के सिखों पर हमले भी हुए थे.. पश्चिम यूरोप में सबसे ज्यादा फ्रांस में ही मुस्लमान रहते है इसलिये ज़ाहिर है इसका विरोध भी काफी ज्यादा होगा... इधर भारत में इंदोर शहर में कॉलेज और जैन मंदिर में जीन्स पर पांबदी कर दी गई..बाद में कॉलेज पर दबाव पड़ने के बाद उन्होने पाबंदी हटा ली । लेकिन जैन मंदिर की पांबन्दी लागू..। तर्क है हमारी संस्कृति पर ग़लत प्रभाव पड़ेगा... कहने का अर्थ ये हैं की यूरोप हो या एशिया..फ्रांस हो या भारत या फिर तालिबान इंसान की सोच एक सी है... जो संस्कृति और धर्म लिबास के पहने और उतारने से डमाडोल होता हो तो ऐसे कमज़ोर धर्म और संस्कृति को अपने साथ सजोय रखने का क्या फायदा । फ्रांस ने धर्मनिरपेक्षता को आधार बनाया है तो क्या वो चर

चार लड़कों वाली ख़ाला की मौत...

चार लड़कों वाली ख़ाला की मौत... रविवार करीब सवा दो बजे घर से फोन आता है ..खबर मिलती है की पड़ोस में रहने वाली ख़ाला का इंत्तकाल हो गया...रात को उनको दफनाया जाएगा ,क्योकि उनका मुबंई में रहने वाला लड़का एतेशाम रात तक ही पहुंच पाएगा..मैने कहा ठीक है मेरी शिफ्ट भी खत्म हो जाएगी .....मैं पहुचा जाऊंगा... आफिस में व्यस्त रहने के कारण मुझे एक बार भी उनका ध्यान नहीं आया....शिफ्ट के बाद घर जाते हुए एक -एक कर के उनसे जुडे सारी बाते नज़र के सामने धुमने लगी.. ख़ाला यानि नरगिस बेगम मुहल्ले में अच्छा रूतबा रखती थी क्योकि उन्होने ने चार लड़कों को जन्म दिया था ....इसलिए उन्हे बिरादरी में होने वाले हर कम में आगे रखा जाता था ...खालू यानि उनके पति भी ठीक ठाक कमा लेते थे ..एक बड़ा माकान उन्होने खरीद लिया था ।.. लड़को को स्कूल में तो डाला पर लड़को के गुरूर में उन पर ध्यान न दे पाईं...नतीजा बस छोटे लड़के को छोड़ कर कोई भी 10सीं तक न पहुच पाया ..ईधर उधर काम में लग गए.. ईधर उधर काम करने वालों को ऐसी वैसी आदतें भी पड़ जाती है ..बड़ा लड़का नशे से जुडा...बाकि दो भी छोटे मोटे काम में लग गए..बस छोटा लड़के को मुबंई

औलाद की ज़रूरत,चाहत या मजबूरी ...

औलाद की ज़रूरत,चाहत या मजबूरी ... शादी के बाद कहीं भी जाना होता तो लोगों का एक ही सवाल होता.... औऱ बच्चे !... लगता की ज़िन्दगी कुछ नहीं, बस गिने चुने नियम हैं, जिसे सब को मानना है। अगर आप इन नियमों के दायरे में नहीं रहेगे तो लोग आपको अजीबों गरीब ढ़ग से दिखेगें और बात करेगे... जान पहचान वाले बुर्ज़ग आप को ढ़ेरों नसीहत दे डालेगें...ज़िन्दगी क्या होती है..जीवन कैसे चलता है ..और लाईफ की सच्चाई..सब बता दिया जाता है । बात शुरू करने से पहले आपको अपने दोस्त प्रोफेसर के बारे में बताता चलूं... प्रोफेसर की शादी को 6 साल हो गए... एक परिवार को दो से तीन या तीन से चार करने का प्रयाप्त वक्त, पर ऐसा हो न सका .. प्रोफेसर का काम भी, कभी चलता कभी नही चलता .कभी नौकरी रहती तो कभी मंदी की मार से नौकरी से बाहर कर दिया जाता है..शायद ऐसी आर्थिक स्थीति में बच्चे के बारे में सोचना ...किसी के बस में नहीं वो इसलिये जहां..बच्चे का जन्म किसी छोटी फैक्ट्री लगाने के खर्च से कम नहीं होता ...वहां बिना तंन्खाह के बच्चे को दुनिया में लाने पर सोचना शायद आसान नहीं था... लेकिन प्रोफेसर और उसकी पत्नी पर समाज औऱ रिश्तेदारों क

प्रेम पत्र- आज भी तुम्हारी ज़रूरत है

प्रेम पत्र-2 आज भी तुम्हारी ज़रूरत है दोस्त तुम्हारा एहसास आज भी है हर तरफ.. जब कभी ज़िन्दगी में अकेली हुई..न जाने क्यों कदम तुम्हारे तरफ चल दिये..ये सोचे बिना उस वक्त तुम क्या कर रहे होगे।कैसे होगे... वक्त होगा या नहीं..ये सब कभी सोचा ही नही, बस तुम्हारे पास पहुच गई..। तुमने दरवाज़ा खोला ऊपर से नीचे तक देखा और अपना हर काम छोड़ कर थोड़ा सा मुस्कराए और मुझे अंदर बुला लिया ।... तभी न जाने कैसे सारी परेशानी दूर जाते दिखने लगती..बस फिर बैठते ही शुरू हो जाती ..क्या हुआ, कैसे हुआ.किसने किया .दुनिया कितनी खराब सब मेरे पीछे हैं..हर तरफ लोग खाने दौड रहे हैं..क्यों नही मुझे कोई समझता । सब कोई ग़लत बाते क्यों करते हैं..एक सांस मै बोलना शुरू करती ..आंखों में आंसू भर जाते ..धीरे धीरे आवाज़ तेज़ होती जाती .तुम चुप चाप सुनते रहते ..बीच मैं उठ कर पानी ला देते... मैं आंसू पोछती ..पानी पीती ... फिर अपने आप को संभलता हुआ महसूस करती... धीरे धीरे तुम कहते.. नहीं, तुम ठीक हो..तुम्हारी बात ठीक है,तुम्हारी सोच सही .. तुम ग़लत नहीं हो सकती.. तुम्हारी बाते मेरे अंदर शक्ति पैदा करती ,जीने की उम्मीद.. संसार फिर

न्यूज़ चैनल ठगी के भागीदार...

न्यूज़ चैनल ठगी के भागीदार... आज मेरे एक वरिष्ठ सहयोगी ने जडेजा मामले मे कहा कि लोग क्यों नहीं समझते कि वो बेवाकूफ बनाए जा रहे हैं और ऐसे लोगों की चपेट में कैसे आ जाते हैं।.मैने कहा लोगों को समझ में आता है पर क्या करे दिल नहीं मानता और इसका फायदा जडेजा और दूसरे महाराज तो उठाते ही हैं पर न्यूज़ चैनल भी लोगो को ठगने में पीछे नहीं.. जी मैं चैनलों में आने वाले भविष्यवाणी के कार्यक्रम की बात कर हूं । हम सब जानते हैं कि ये सब बकवास होता है लोग भी समझते हैं पर वो न देखना भूलते हैं और न हम दिखाना .. चैनलों की लोगों के बीच गिरती हुई साख़ के साथ टीआरपी को कुछ सांस देते हैं ये कार्यक्रम ..पर कमज़ोर और नकली सांसे कब तक चैनलों को जीवत रखेंगी ये देखना होगा.. मुझे याद है इंडीया शाइनिंग के दौर पर कोई ऐसा चैनल और उस पर मौजूद कोई ज्योष्ति महाराज ऐसा नहीं था जो ये कहते न थकता कि वाजपेयी जी वापस आ रहे हैं..क्या हुआ नतीजा आपके सामने है वाजपेयी का राजनीतिक भविष्य एक घर में कैद हो कर रहे गया.. इसके बाद गांगुली ,सचिन और फिर भारत को व्लर्ड कप चैपियन बनने का वादा किया ज्योष्तियों ने पर हुआ... क्या... सब के समान

DR Allah Rakha Rahman ब्लाग पर

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ब्लाग पर पहेली तस्वीरें डॉ रहमान मंच पर बोलते हुए डॉ रहमान डिग्री लेते हुए डॉ रहमान वीसी के साथ डॉ रहमान डॉ बनने जाते हुए डॉ रहमान अभी सिर्फ रहमान है रहमान अलिगढ़ में डॉ Allah Rakha Rahman का नाम पहले A. S. Dileep Kumar था । भारत चेन्नई तमिल में January 6 , 1966 में जन्म हुआ ।वो एक प्रसीद्ध संगीतकार के रूप में जाने जाते हैं आस्कर मिलने के बाद आज उन्हे अलिगढ मुस्लिम विशवविधालय ने डाक्टरेट डग्री से नवाज़ा ,कभी स्कूल जो शख्स न गया हो आज वो डाक्टर बन गया ..रहमान के हुनर को सलाम करते हैं और अपने और ब्लाग जगत की तरफ से बधाई देते हैं.. जय हो.....

हिन्दुओं का अंतिम संस्कार पाकिस्तान में कितना दर्दनाक

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हिन्दुओं का अंतिम संस्कार पाकिस्तान में कितना दर्दनाक बात पुरानी है पर बात शुरू करने के लिये एकदम सटीक ..70 साल की राधा का देहांत 30 मई 2006 में पाकिस्तान के लाहोर शहर में होता है ...राधा का इस दुनिया में कोई नहीं था ..लिहाज़ा उसकी मृत्यु पर भी कोई नहीं आया ..पांच दिन तक उसकी लाश मृत्यु गृह में पड़ी रही ..कारण ये नहीं था कि उसका कोई रिश्तेदार नहीं आया, वज़ह थी कि लाहोर शहर में शमशानघाट है ही नहीं .. Daily News and Analysis(DNA ) पैसों का अभाव जगह की कमी और हिन्दु के मरने पर प्रशासन के कड़े नियम की वज़ह से लाहोर हिन्दु कमेटी ने भी अपने हाथ पीछे खीच लिये..आखिर में उसे मुस्लिम -मियानी साहेब क्रबिस्तान में दफन किया गया .. इस के बाद वहां के हिन्दुओं ने फिर उठाई शहर में शमशान की मांग..जिसे वो काफी अरसे से कर रहे थे, बंटवारे के बाद लाहोर में 11 शमशान घाट हुआ करते थे ,मुख्य शमशान घाट मॉडल टाउन,टक्साली गेट,और कृष्णा मंदिर के पास था पर आज कुछ भी नहीं है .ये बात पाकिस्तान की सरकार खुद मानती है । शमशान की ज़मीनों को मकानो में तबदील कर दिया गया ।कुछ में बड़ी बड़ी इमारते तामीर की गई या फिर गिरा दिया

खुदा का क़हर या कुछ और-बरमूडा ट्रायएंगल..(bermuda)

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खुदा का क़हर या कुछ और-बरमूडा ट्रायएंगल..(bermuda) सोमवार को एयर फ्रांस का जहाज़ 447 ब्राज़ील से 7बजे उड़ा और अटलांटिक महासागर के ऊपर से गुज़रते हुए.. गायब हो गया । आज खबर आई कि उसके कुछ टुकड़े ब्राज़ील के समुद्र के किनारे पाए गए है.. इस हादसे ने लोगों के अंदर डर पैदा कर दिया और दुनिया को बरमूडा ट्रायएंगल के बारे में एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया.. आप में से ज्यादातर लोग बरमूडा त्रीकोण के बारे मे जानते होगे..पर जिन्हे नहीं मालुम उनको इसके बारे में जानना ज़रूरी है..ये दास्तान किसी जादुई कहानी से कम नहीं कहते हैं सागर न जाने कितने राज़ अपने में दबाए हुए है और उसी में से एक राज़ है बरमुडा ट्रायएंगल ..ये एक ऐसा ब्लैक होल है, जिसकी चुबंक से बच कर निकलना बहुत मुश्किल है...जो भी इस के करीब पहुचता है उसको ये निगल लेता है..जब ये अपने असली रूप में होता है उस वक्त का मंज़र बहुत ही खौफनाक होता है ..तूफान का रूप ये ले लेता है और तकरीबन 55हज़ार फीट तक इसकी लहरे पहुच जाती है ..और कोई भी विमान ज्यादा से ज्यादा 33हज़ार फीट तक ही उड़ सकता है और इतने ताकतवर भंवर से पानी के जहाज़ का हाल क्या होगा

AWACS की पहली तस्वीरें

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अवाक्स भारत में पहली तस्वीरे जामनगर में रखा जाएगा ऐवक्स भारत की ज़मीन पर ..ऐवक्स यानि एयरबॉर्न वारनिंग एण्ड कंट्रोल सिस्टम..ये राडार है आसान भाषा में कहे तो एक प्रकार का सैटालाइट है जो लड़ाकू जहाज़ के ऊपर लगाया जायेगा जिसे दुशमन की हरकत पर नज़र रखी जा सके ।मिग-29 और जुगार की निगरानी में इसे गुजरात के जामनगर पहुचा दिया गया है ..इसराईल से खरीदा गया ऐवक्स भारतीय वायुसेना की ताकत में इज़ाफा करेगा.. ये हर मौसम में कारगर साबित होगा ..2010 तक दो और ऐवक्स भारत खरीदेगा...

मैं ब्लाग बेचना चाहता हूं

मैं ब्लाग बेचना चाहता हूं बाबूजी मैं ब्लाग बेचना चाहता हूं. बड़े अरमान से मैने अपना ब्लाग बनाया था.. ज़िन्दगी से जुडा काला रंग इसमे सजोया था थका हुआ था मैं हारा हुआ था मैं... ब्लाग मेरा सहारा बन कर आया था। इसने मुझसे वादा किया था जो तुम चाहते जो तु्म्हे पसंद है सब लाकर दूगां.. जो ग़म है उसको कम करने के लिए साथी भी ढ़ूढ़ दूगां अरे बहुत अच्छी चीज़ है यहां के लोग बहुत भले हैं एक से पूछो सौ बताते हैं हर दुख दर्द मिल कर दूर भगाते हैं अच्छे को सरहाते हैं बुरे को समझाते हैं कोई अकेला नहीं रहे पाता ये अपने को परिवार बताते हैं मै इसकी बातों मैं आ गया.. देखो गरीब का बच्चा कैसे बर्बाद हुआ.. बाबूजी नौकरी में मन की बात दबी रहती थी घर में घरवाली काटने को दौड़ती थी .. कुछ पल निकाल के अपने लिये कुछ अपने पुराने दोस्तों के लिए मैने ब्लाग लिखना शुरू कर दिया.. पर बाबूजी ये सब झूठ और फरेब निकला ये भी दूसरी दुनिया कि तरह ही निकला हर एक दूसरे की बुराई करता है उसके ब्लाग में क्या होता है ये बताता है । जिसका सिक्का चलता है जो बहार कि दुनिया में जाना जाता है वो ही यहां पर भी राज करता है हम तो दिल की बात लिखने

धर्म क्यों जलाता है..

धर्म क्यों जलाता है.. विएयना में घटना हुई...दलित के गुरू को उच्च जाति के लोगों ने मार दिया ।खबर फैली, हिन्दुस्तान पंहुच,.फिर पहुच गई पंजाब..और एक बार फिर जला पंजाब का कस्बा कस्बा... गुरू की मौत से उनके समर्थक भड़क गए..इतने रोश में आए कि गुरू का पढाया सारा पाठ भूल गए.. शांति का पाठ जिसने उम्र भर पढ़ाया उसी की मौत में खूनी हवा चल पड़ी। कुछ सवाल मन को कुरेद रहे है ..अपने भारत की ज़मीन पर मैने न जाने कितनी बार धर्म के नाम पर खून की नदी बहती देखी है. मेरा भारत जब भी तरक्की के कुछ कदम चलने की कोशिश करता है ,थोड़ा संभलता है ..अपने देश के असली गरीब और दलित को संभालने की कोशिश करता है ..तभी न जाने कहां से धर्म की आग उड़ती हुई उसकी छाती को जलाने लगती है और मेरा देश रूक जाता है सहम जाता है..खौफ के साये में फिर जीने लगता है ...और दुनिया की दौड़ में पीछे छूट जाता है । न जाने क्यों इस देश में रहने वालों को गुरू और पीरों की ज़रूरत पडती है..जब भगवान और अल्लाह कहता है कि ऐ बंदों मुझसे मांगो मुझसे कहो ..फिर ये गुरू कहा से आ जाते है .जो भगवान के बराबर का दर्जा पा जाते ..मेरे देश के मासूम लोग उनके कहने प

RKB SHOW

RKB SHOW काफी दिनों से टीवी में वो ही घिसे पिटे चेहरे शब्दों की कमी..विष्य का ज्ञान नहीं क्या बोलना है कितना बोलना है और किस से क्या कहना और उससे क्या कहलाना है कुछ पता नहीं पर अपने जुगाड़ से सबकी टीवी में आने की तमन्ना पूरी हो रही है। पर एक दिन अपने कमरे में बैठा कुछ लिख रहा था तभी अचानक जानी पहचानी एक अच्छी आवाज़ और उमंदा शब्द कानो में गए...रुक नहीं पाया तुरंत टीवी के पास पहुच गया ..देखा तो राजीव कुवंर बजाज लेमन टीवी में मौजूद थे ..अपने पुराने शो आरकेबी लेकर ..जब आरकेबी सहारा समय एनसीआर में आता था उस दौर में चैनल की रेटींग अच्छी रहती थी खैर अच्छा शो रेटिंग नही कंटेंट से जाना जाता और इसमें कोई दो राय नही की राजीव के पास इसकी कोई कमी नहीं.. नए लोग जो पत्रकारिता में आना चाहते हैं और ख़ासकर वो जो कैमरे के सामने अपने को देखना चाहते हैं उन लोगो को ये शो ज़रूर देखना चाहिए..खबरों की समझ और सबसे बड़ी बात ख़बर है क्या इसकी समझ जो आपको इस शो में मिले गी.. राजीव का लुक टीवी के लिये है ये कहना ग़लत नही होगा लुक के साथ टीवी में आपका अंदाज़ बहुत मायने रखता है ..इसमे बजाज को पूरे नम्बर मिलते हैं.. फ

बोल तेरे लब आज़ाद हैं...

कमज़ोर आदमी की जीत डॉक्टर मनमोहन सिंह ने आज प्रधानंमंत्री पद की शपथ ले ली ..और दुनिया ने कहा सब से कमज़ोर कहे जाने वाले आदमी की जीत हो गई।.आज हम बहस मनमोहन सिंह की नीतियों और उन पर नहीं करेगे आज हम जो बात करेगे वो ये कि क्या सच में कभी कमज़ोर आदमी की जीत हो सकती है .... इस के लिये पहले मनमोहन और उनकी जीत पर ज़रा नज़र डालते औऱ पीछे चलते 2004 में जब न जाने कहां से एक ताकतवर शक्तिशाली महिला एक शख्स को लेकर आती है और कहती है आज से ये हमारे मुल्क की बागडोर संभाले गे ..और करोड़ो की तदाद मे रहने वाले लोगों ने सिर झुका कर कहा हां..आज से हम इनके सहारे ही जीयेगें... कहने का मतलब ये कि कमज़ोर आदमी तभी आगे चल सकता है जब उसको किसी ताकतवर आदमी का साथ हो और उसके पीछे हाथ हो... प्रधानमंत्री के जैसी किसी कि किस्सत शायद ही हो ..बॉलीबुड में ज़रूर ऐसी कहानी कई बार लिखी गई जब किसी मज़लूम को कोई शहंशाह मिल जाता है ... हां कॉलेज में एक कमज़ोर लड़के को पीटने के बाद जब वो अपने भाई को दोबारा लेकर आता है तो उसका भाई कहता है .. मार.. इसके मुंह पर थप्पड़ मार वो कमज़ोर लड़का जो पहले जिनसे पिटा था उन्ही लड़को को म

टीवी चैनलों से इतनी बड़ी गलती ..

टीवी चैनलों से इतनी बड़ी गलती .. कानून के हिदायत आने के बाद भी टीवी चैनलों पर इसका कोई असर नहीं हुआ ।सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आ गया कि आप कोई ऐसी तस्वीर या फूटेज नहीं दिखायेगे जिससे लोगों में भय हो..खौफ पैदा हो..लेकिन आज जब से प्रभाकरण की तस्वीर श्रीलंका सरकार ने जैसे पेश की वैसे ही हिन्दुस्तान के टीवी चैनल ने दिखा दी ..।टीवी में एक इफैक्ट होता है बिलर जिससे तस्वीर को धुंधला कर दिया जाता है ..और ऐसी तस्वीरों पर इस्तमाल करने के लिये होता । पर हमारे चैनल अपनी तेज़ी सच्ची तस्वीर,संजीदगी,सबसे पहले,24x7..और भी तरह तरह के वादे करने वाले भूल गये सारी हदें..साफ-साफ उसकी लाश को दिखाया जाता रहा पूरे दिन। किसी ने उसकी खुली हुई आंखें कितनी खतरनाक लग रही थी उसकी खोपड़ी में छेद कितना डरावना दिख रहा था इसपर ध्यान ही नहीं दिया और ये टीआरपी के चक्कर मे सब भूल गये... शयाद हमारे चैनल ज्यादतर हिन्दी भाषा के लोगो देखते हैं ..और दक्षिण भारत को हमारे चैनल से कोई टीआरपी नहीं आती ..इसलिये उनसे जूडे हुये लोगों को हम दिखा सकते हैं..क्या टीवी चैनल को इसका एहसास होगा ।या जो एजेंसी इसपर नज़र रखेगी वो चैनलों को नोट

कुछ ख़ास लोगों के कहने पर ......

कुछ ख़ास लोगों के कहने पर ...... हज़रत अब्बास की शान में.... ( हज़रत अब्बास इमाम हुसैन के भाई थे जो करबाला में उनके साथ शहीद हुये थे . अब्बास को वफादारी की मिसाल माना जाता है जब वफा का ज़िक्र होता है .उनका नाम आता है ..) गाज़ी तेरी मिसाल नहीं दो जहां में जहरा ने खुद कसीदे पढ़े तेरी शान में पानी तेरी सबील का कैसे पीये गा वो बुगज़े अली के कांटे हैं जिसकी जुबान में अब्बास फातमा की तमन्ना का नाम है अब्बास का जहां मे निराला मुकाम है बारह इमाम मज़हबे इस्लाम में हुये ये मज़हबे वफा का अकेला इमाम है नामे गाज़ी से खुशबू-ए वफा आती है उनके रौज़े से हुसैना की सदा आती है जब भी हम बैठे हैं अब्बास के परचम के तले ऐसा लगा है जन्नत से हवा आती है।. पार कर पाया न लशकर एक हल्की सी लकीर थीं तो हल्की मगर खीची हुई अब्बास की....

ब्लाग वक्त है ने पेश की एकदम सही तस्वीर...

ब्लाग वक्त है ने पेश की एकदम सही तस्वीर... जी हां 2009 के चुनाव पर हमने जो लिखा वो सच हुआ । हमने हर एक पार्टी पर पैनी नज़र ऱखी ..हर राजनेता किस मुकाम तक पहुचेगा..आप लोगों को वक्त से पहले बताया ।कई वरिष्ठ पत्रकारों के ब्लाग होने के बावजूद किस प्रकार की सरकार इस 15वीं लोकसभा में होने वाली है ..कोई भी पत्रकार अपने ब्लाग पर नहीं लिख पाया ..पर वक्त है ने आपको को सारे और सही समीकरण वक्त पर पेश किये । हमने इसका विरोध भी सहा लोगों की प्रतिक्रिया हमारे खिलाफ भी थी लेकिन हमारा मकसद सही तस्वीर पेश करना था जो हमने किया .. · हम ही थे जिसने कहा था देश में राज गांधी ही करेगा..। · हम ही थे जिसने कहा था आडवाणी बाय बाय..। · हम ही थे जिसेने कहा था डरे होये मोदी ...। · हम ही थे जिसने कहा था आज़म खान की छुट्टी...। · हम ही थे जिसने कहा था जया के आसू रंग लायेगे..। · हम ही थे जिसने कहा था अब बदलेगी तस्वीर..। · हम ही थे जिसने कहा था ब्लू फिल्म वाले समाजवाद को मतदाता नाकारे गें..। ये इसलिये हुआ की वक्त है को समझ है वक्त की और कदर है वक्त की ...शुक्रिया आप लोगों

जयाप्रदा की नंगी तस्वीर ..

जयाप्रदा की नंगी तस्वीर .. अब तो हद हो गई ..नया समाजवाद और नई समाजवादी पार्टी... पिछले कुछ वक्त से रामपुर में अमर आज़म और मुलायम की शब्दों की जंग चल रही थी ... मुलायम बीच बचाव करते दिख रहे थे ... दोनो के कई बयान आये..आज़म खान ने अमरसिंह को दलाल कहा फिर कुछ दिन के बाद जयाप्रदा का दलाल कहा... जया की आंखों में आसू आये और अमर ने कहा वो किसी आज़म खान को नहीं जानते ..चुनाव की तारीख़ पास आती गई और लड़ाई आगे बढ़ती गई ... बोलचाल की बोली ..गंदे शब्दों पर पहुच गई ..हर आदमी एक दूसरे पर किचड़ उछालने लगा.. मुबंई से अबू आज़मी आये उन पर भी हमला हो गया..बाण पर बाण .हर बार.समाजवाद तार –तार हो रहा था ..रामपुर जो सभ्यता का गढ़ कहा जाता है वहां की इज़्जत हर तऱफ उछल रही थी .. आखिर में मुलायम ने आज़म को नोटिस दे दिया –13 के बाद फैसला होगा .. आज़म भी खुल कर बोले अपने सारे समर्थकों से की नूरबानो कांग्रेस की उम्मीदवार को वोट दे... अमर ने भी आखिरी तीर फेंका कहा अगर जया नहीं जीतेगी तो खुदकुशी कर लेगीं... फिर बारी थी जयाप्रदा की ..कहतें है हर एकशन फिल्म में सेक्स न हो तो मज़ा नहीं आता फिल्म अधूरी सी लगती है ..इस

क्यो रोती हैं ..बार बार जयाप्रदा

क्यो रोती हैं ..बार बार जयाप्रदा कैमरे पर क्या करना है इसका इस्तेमाल किस तरह किया जाये उसे कैसे अपना बनाया जाये ...ये अगर किसी को सीखना है तो वो जयाप्रदा से सीखे ... एक बार आज़म ख़ान ने मंच पर बयान दिया कि किसी खूबसूरत चेहरे पर न जाये ..जो करना है सोच समझ कर करें... उस वक्त जयाप्रदा आंखे मलती देखी गईं.. आंखें जब आप मलते हैं तो पानी निकलना लाज़मी हैं.. ऐसा ही उनके साथ हुआ...पर हम चैनल वालों को तो मासला चाहिये..पुरानी खबर में नया एंगिल ..पुरानी तस्वीरों पर नई कहानी ..एडलाइन बन गई..आज़म की बात से जया आहत.. आंसू बहे जया के.. बस फिर क्या था ..औरतों के प्रेमी अमर सिंह कूद आये मैदान में आर-पार की लड़ाई के लिये.. पर जया जी ने भी इसका फायदा ढ़ू़ढ निकाला ..उनको भी रामपुर के नवाबों के खिलाफ ..उनको शर्मींदा करने का मुद्दा मिल गया..बस अब जहां आज़मखान का ज़िक्र हुआ नहीं जयाप्रदा कि आंखें नम होगीं.. पत्रकार औऱ कैमरामेन को भी पता चल गया ..रिपोर्टर ने जहां आज़म खान का ज़िक्र किया वहीं कैमरा मैन ने अपना फोक्स जया प्रदा की आंखों पर कर दिया ...भले ही इस सवाल से पहले जया धूप का चशमा लगायें हो पर ..ये सवाल

चुनाव के बाद आज़म ख़ान की छुट्टी.. मुलायम किस ओर...?

चुनाव के बाद आज़म ख़ान की छुट्टी.. मुलायम एनडीए के साथ...? पिछले कुछ वक्त से आज़म और अमर का झगड़ा बढ़ता जा रहा है ..। हर प्रयास के बाद मुलायसिंह को असफलता मिल रही है.. पर 13 तारीख के बाद इसका रूझान मिलेगा और 16 के बाद नतीजा निकल आयेगा... अब तक जो राजनीति गलयारों में खबर फैल रही है वो ये है कि आज़म खान की छुट्टी होनी तय है.. इसके पीछे जो वजह बताई जा रही है वो ये 1) आज़म खान समाजवादी पार्टी में एक मुस्लिम चेहरे के रूप में प्रस्तुत किये जाते है ...उनका इस्तमाल मुस्लिम वोट बटोरने के काम आता है ..पर इस बार ऐसा नहीं हुआ मुलायम ने ऐढी चोटी का ज़ोर लगा दिया..पर आज़म असली पठान निकले ..अड़ गये तो अड़ गये.. 2) ऐसा नहीं की मुलायम ने उनका विकल्प नहीं ढूढ़ा.. मुलायम ने हर ठुचपुंजीया मुस्लिम नेता से संर्पक किया..इसका फायदा भी उनके कार्यकर्ताओं ने खूब उठाया.. उनके कुछ करीबी लोग, किसी भी दाढ़ी वाले को मुलायमसिंह के पास ले जाते औऱ कहते नेता जी ये वहां के है और इनके पास इतने वोट हैं ।नेता जी उनको झुक कर नमस्ते करते और एक से पाच लाख तक का चेक काट कर दे देते. 3) नेता जी के नोट भी गये और वोट भी ।कल्याण सिंह

प्रेम पत्र

प्रेम पत्र आपने आखिरी बार बार पत्र कब लिखा था क्या कभी प्रेम पत्र लिखा था ... अगर हां तो आईये याद ताज़ा करें... प्रिय , वक्त कैसे बीत रहा हैं ..क्या बताऊं ..हर तरफ हर जगह तुम्ही दिख रहे हो .. तुम्हारी मुस्कुराहट.. तुम्हारी आहट बन कर सताती है ..तुम्हारी नज़रे .कोई ग़मज़ादा नज्म याद दिलाती है . तुम्हारा रंग रोशनी बन कर, हर बार आखों को चकाचौंध कर देती है.....सुबह उठें तो तुम.. दोपहर में देखें तो तुम ..शाम में तुम . और रात को भी तुम्ही तुम.. कैसे कट रहा है एक एक पल..तुम्हारे बिन.. पर तुम्हे क्या मालुम ..अगर पता भी हो तो तुम क्या कर सकते हो ... और हमने कुछ चाहा भी नहीं...तुमसे..सिर्फ आरज़ू कई तुम्हारी .. बिना किसी चाहत के ..बडे दिनो के बाद कलम उठाई है .चाहा है कि अपने दिल की बात लिखूं..जो गुज़रा वो सब बयान कर दूं.. पर अब तुमसे बहुत दूरी है ..दूरी संकोच की डोरी होती है ... संकोच से मन की बात नहीं होती ...और जब मन की बात ही न हो तो प्रेम वहां कहा रहता है .. सोच था प्रेंम पत्र लिखूं ..कोई ऐसा ख़त लिखूं.. जिंसमें प्यार का इज़हार हो..एक नया संसार हो ..पर नही हां नहीं ..अब प्रेम की जगह जलन है ..ए