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Showing posts from August, 2010

खुशी अपनो के साथ

खुशी अपनो के साथ सुबोत ज़िन्दगी की रफतार से तेज़ चल रहा है ...वक्त से पहले सब कुछ हासिल करने की कोशिश..और इसमें ग़लत क्या है । दुनिया का ये दस्तुर है कि अगर आप वक्त के साथ और वक्त के आगे नहीं चलेंगे तो आप पीछे छूट जाएगें... कई लोग ये सोच कर संतुष्ठ हो जाते हैं कि भई हमने तो सब कुछ पा लिया ।हम तो अपने मुकाम पर पहुच गए..शायद यहीं से उनकी भूल होती है ..इसलिए आज जो, मैं जिस मुकाम पर पहुचां हूं। मुझे उससे आगे जाना है और अपनी कम्पनी को भी आगे लेकर जाना है .और आप सब जो काम कर रहे हैं उनको भी ... सुबोत ने जैसे ही अपनी बात खत्म की .वैसे ही सारा हॉल तालियों की आवाज़ से गूंज उठा कैमरे की रोशनी और रिपोर्टरों के सवाल ..सब एक साथ टूट पड़े .... किसी पत्रकार ने पुछ ही लिया इतनी जल्दी इतना सबकुछ ..क्या कुछ छुटा नही, क्या कुछ रहे तो नहीं गया ...किसी का साथ किसी का प्यार... सुबोत मुस्कुरा दिया पर पहली बार उसकी मुस्कुराहट में चिता छलक रही थी । आज उसका न जाने क्यों मन जल्दी घर जाने के लिए करने लगा ..आज न जाने कितने बरसों बाद वो शाम को घर की तरफ जा रहा था ...उसे अपना शहर कितना बदला बदला दिख रहा था ...पंछी

एड्सवाली औरत.. सच्ची घटना....

राजस्थान के शहर अजमेर से लगभग 35 km दूर बसा एक छोटा सा गाव नंदलाला.जहां काली और उसके परिवार की ज़िन्दगी हमेशा के लिये अचानक बदल गई। 42साल की काली पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा जब उसे पता चला की उसका, एचआईवी टेस्ट पॉज़िटिव है ,इससे साल भर पहले ही काली के पति की एचआईवी की वज़ह से मौत हुई थी ।काली का पति ट्रक ड्राईवर था और अपने काम के सिलसिले मे ज्यादातर बाहर रहता था । गांव के ज्यादातर आदमी ट्रक ड्राइवरी के पेशे से जूडे हुये हैं और हाईवे ही उनका घर है ।गांव में करीव 300 परिवार हैं और हर परिवार से एक आदमी ट्रक ड्राइवरी से जुड़ा हुआ है । ट्रक चालक अपने लंबे सफर के दौरान कई जगह खाने पीने और आराम के लिये रुकते हैं । इसी दौरान इनमे से कुछ कि नज़दीकियां वैश्याओं से भी हो जाती हैं और इस संभावना से इंकार नही किया जा सकता कि काली का पति अपने ऐसे ही किसी संम्बध की वजह से एचआईवी संक्रमण से ग्रस्त हुआ।.और उसी से ये संक्रमण काली में आ गये। काली के पति की मौत को दो साल हो गये हैं । एचआईवी से झूझ रही काली अपने दो बच्चों के साथ बमुशकिल अपनी ज़िन्दगी थोड़ी बहुत आमदानी के ज़रिये गुज़ार रही है । काली दो