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Showing posts from May, 2009

AWACS की पहली तस्वीरें

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अवाक्स भारत में पहली तस्वीरे जामनगर में रखा जाएगा ऐवक्स भारत की ज़मीन पर ..ऐवक्स यानि एयरबॉर्न वारनिंग एण्ड कंट्रोल सिस्टम..ये राडार है आसान भाषा में कहे तो एक प्रकार का सैटालाइट है जो लड़ाकू जहाज़ के ऊपर लगाया जायेगा जिसे दुशमन की हरकत पर नज़र रखी जा सके ।मिग-29 और जुगार की निगरानी में इसे गुजरात के जामनगर पहुचा दिया गया है ..इसराईल से खरीदा गया ऐवक्स भारतीय वायुसेना की ताकत में इज़ाफा करेगा.. ये हर मौसम में कारगर साबित होगा ..2010 तक दो और ऐवक्स भारत खरीदेगा...

मैं ब्लाग बेचना चाहता हूं

मैं ब्लाग बेचना चाहता हूं बाबूजी मैं ब्लाग बेचना चाहता हूं. बड़े अरमान से मैने अपना ब्लाग बनाया था.. ज़िन्दगी से जुडा काला रंग इसमे सजोया था थका हुआ था मैं हारा हुआ था मैं... ब्लाग मेरा सहारा बन कर आया था। इसने मुझसे वादा किया था जो तुम चाहते जो तु्म्हे पसंद है सब लाकर दूगां.. जो ग़म है उसको कम करने के लिए साथी भी ढ़ूढ़ दूगां अरे बहुत अच्छी चीज़ है यहां के लोग बहुत भले हैं एक से पूछो सौ बताते हैं हर दुख दर्द मिल कर दूर भगाते हैं अच्छे को सरहाते हैं बुरे को समझाते हैं कोई अकेला नहीं रहे पाता ये अपने को परिवार बताते हैं मै इसकी बातों मैं आ गया.. देखो गरीब का बच्चा कैसे बर्बाद हुआ.. बाबूजी नौकरी में मन की बात दबी रहती थी घर में घरवाली काटने को दौड़ती थी .. कुछ पल निकाल के अपने लिये कुछ अपने पुराने दोस्तों के लिए मैने ब्लाग लिखना शुरू कर दिया.. पर बाबूजी ये सब झूठ और फरेब निकला ये भी दूसरी दुनिया कि तरह ही निकला हर एक दूसरे की बुराई करता है उसके ब्लाग में क्या होता है ये बताता है । जिसका सिक्का चलता है जो बहार कि दुनिया में जाना जाता है वो ही यहां पर भी राज करता है हम तो दिल की बात लिखने

धर्म क्यों जलाता है..

धर्म क्यों जलाता है.. विएयना में घटना हुई...दलित के गुरू को उच्च जाति के लोगों ने मार दिया ।खबर फैली, हिन्दुस्तान पंहुच,.फिर पहुच गई पंजाब..और एक बार फिर जला पंजाब का कस्बा कस्बा... गुरू की मौत से उनके समर्थक भड़क गए..इतने रोश में आए कि गुरू का पढाया सारा पाठ भूल गए.. शांति का पाठ जिसने उम्र भर पढ़ाया उसी की मौत में खूनी हवा चल पड़ी। कुछ सवाल मन को कुरेद रहे है ..अपने भारत की ज़मीन पर मैने न जाने कितनी बार धर्म के नाम पर खून की नदी बहती देखी है. मेरा भारत जब भी तरक्की के कुछ कदम चलने की कोशिश करता है ,थोड़ा संभलता है ..अपने देश के असली गरीब और दलित को संभालने की कोशिश करता है ..तभी न जाने कहां से धर्म की आग उड़ती हुई उसकी छाती को जलाने लगती है और मेरा देश रूक जाता है सहम जाता है..खौफ के साये में फिर जीने लगता है ...और दुनिया की दौड़ में पीछे छूट जाता है । न जाने क्यों इस देश में रहने वालों को गुरू और पीरों की ज़रूरत पडती है..जब भगवान और अल्लाह कहता है कि ऐ बंदों मुझसे मांगो मुझसे कहो ..फिर ये गुरू कहा से आ जाते है .जो भगवान के बराबर का दर्जा पा जाते ..मेरे देश के मासूम लोग उनके कहने प

RKB SHOW

RKB SHOW काफी दिनों से टीवी में वो ही घिसे पिटे चेहरे शब्दों की कमी..विष्य का ज्ञान नहीं क्या बोलना है कितना बोलना है और किस से क्या कहना और उससे क्या कहलाना है कुछ पता नहीं पर अपने जुगाड़ से सबकी टीवी में आने की तमन्ना पूरी हो रही है। पर एक दिन अपने कमरे में बैठा कुछ लिख रहा था तभी अचानक जानी पहचानी एक अच्छी आवाज़ और उमंदा शब्द कानो में गए...रुक नहीं पाया तुरंत टीवी के पास पहुच गया ..देखा तो राजीव कुवंर बजाज लेमन टीवी में मौजूद थे ..अपने पुराने शो आरकेबी लेकर ..जब आरकेबी सहारा समय एनसीआर में आता था उस दौर में चैनल की रेटींग अच्छी रहती थी खैर अच्छा शो रेटिंग नही कंटेंट से जाना जाता और इसमें कोई दो राय नही की राजीव के पास इसकी कोई कमी नहीं.. नए लोग जो पत्रकारिता में आना चाहते हैं और ख़ासकर वो जो कैमरे के सामने अपने को देखना चाहते हैं उन लोगो को ये शो ज़रूर देखना चाहिए..खबरों की समझ और सबसे बड़ी बात ख़बर है क्या इसकी समझ जो आपको इस शो में मिले गी.. राजीव का लुक टीवी के लिये है ये कहना ग़लत नही होगा लुक के साथ टीवी में आपका अंदाज़ बहुत मायने रखता है ..इसमे बजाज को पूरे नम्बर मिलते हैं.. फ

बोल तेरे लब आज़ाद हैं...

कमज़ोर आदमी की जीत डॉक्टर मनमोहन सिंह ने आज प्रधानंमंत्री पद की शपथ ले ली ..और दुनिया ने कहा सब से कमज़ोर कहे जाने वाले आदमी की जीत हो गई।.आज हम बहस मनमोहन सिंह की नीतियों और उन पर नहीं करेगे आज हम जो बात करेगे वो ये कि क्या सच में कभी कमज़ोर आदमी की जीत हो सकती है .... इस के लिये पहले मनमोहन और उनकी जीत पर ज़रा नज़र डालते औऱ पीछे चलते 2004 में जब न जाने कहां से एक ताकतवर शक्तिशाली महिला एक शख्स को लेकर आती है और कहती है आज से ये हमारे मुल्क की बागडोर संभाले गे ..और करोड़ो की तदाद मे रहने वाले लोगों ने सिर झुका कर कहा हां..आज से हम इनके सहारे ही जीयेगें... कहने का मतलब ये कि कमज़ोर आदमी तभी आगे चल सकता है जब उसको किसी ताकतवर आदमी का साथ हो और उसके पीछे हाथ हो... प्रधानमंत्री के जैसी किसी कि किस्सत शायद ही हो ..बॉलीबुड में ज़रूर ऐसी कहानी कई बार लिखी गई जब किसी मज़लूम को कोई शहंशाह मिल जाता है ... हां कॉलेज में एक कमज़ोर लड़के को पीटने के बाद जब वो अपने भाई को दोबारा लेकर आता है तो उसका भाई कहता है .. मार.. इसके मुंह पर थप्पड़ मार वो कमज़ोर लड़का जो पहले जिनसे पिटा था उन्ही लड़को को म

टीवी चैनलों से इतनी बड़ी गलती ..

टीवी चैनलों से इतनी बड़ी गलती .. कानून के हिदायत आने के बाद भी टीवी चैनलों पर इसका कोई असर नहीं हुआ ।सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आ गया कि आप कोई ऐसी तस्वीर या फूटेज नहीं दिखायेगे जिससे लोगों में भय हो..खौफ पैदा हो..लेकिन आज जब से प्रभाकरण की तस्वीर श्रीलंका सरकार ने जैसे पेश की वैसे ही हिन्दुस्तान के टीवी चैनल ने दिखा दी ..।टीवी में एक इफैक्ट होता है बिलर जिससे तस्वीर को धुंधला कर दिया जाता है ..और ऐसी तस्वीरों पर इस्तमाल करने के लिये होता । पर हमारे चैनल अपनी तेज़ी सच्ची तस्वीर,संजीदगी,सबसे पहले,24x7..और भी तरह तरह के वादे करने वाले भूल गये सारी हदें..साफ-साफ उसकी लाश को दिखाया जाता रहा पूरे दिन। किसी ने उसकी खुली हुई आंखें कितनी खतरनाक लग रही थी उसकी खोपड़ी में छेद कितना डरावना दिख रहा था इसपर ध्यान ही नहीं दिया और ये टीआरपी के चक्कर मे सब भूल गये... शयाद हमारे चैनल ज्यादतर हिन्दी भाषा के लोगो देखते हैं ..और दक्षिण भारत को हमारे चैनल से कोई टीआरपी नहीं आती ..इसलिये उनसे जूडे हुये लोगों को हम दिखा सकते हैं..क्या टीवी चैनल को इसका एहसास होगा ।या जो एजेंसी इसपर नज़र रखेगी वो चैनलों को नोट

कुछ ख़ास लोगों के कहने पर ......

कुछ ख़ास लोगों के कहने पर ...... हज़रत अब्बास की शान में.... ( हज़रत अब्बास इमाम हुसैन के भाई थे जो करबाला में उनके साथ शहीद हुये थे . अब्बास को वफादारी की मिसाल माना जाता है जब वफा का ज़िक्र होता है .उनका नाम आता है ..) गाज़ी तेरी मिसाल नहीं दो जहां में जहरा ने खुद कसीदे पढ़े तेरी शान में पानी तेरी सबील का कैसे पीये गा वो बुगज़े अली के कांटे हैं जिसकी जुबान में अब्बास फातमा की तमन्ना का नाम है अब्बास का जहां मे निराला मुकाम है बारह इमाम मज़हबे इस्लाम में हुये ये मज़हबे वफा का अकेला इमाम है नामे गाज़ी से खुशबू-ए वफा आती है उनके रौज़े से हुसैना की सदा आती है जब भी हम बैठे हैं अब्बास के परचम के तले ऐसा लगा है जन्नत से हवा आती है।. पार कर पाया न लशकर एक हल्की सी लकीर थीं तो हल्की मगर खीची हुई अब्बास की....

ब्लाग वक्त है ने पेश की एकदम सही तस्वीर...

ब्लाग वक्त है ने पेश की एकदम सही तस्वीर... जी हां 2009 के चुनाव पर हमने जो लिखा वो सच हुआ । हमने हर एक पार्टी पर पैनी नज़र ऱखी ..हर राजनेता किस मुकाम तक पहुचेगा..आप लोगों को वक्त से पहले बताया ।कई वरिष्ठ पत्रकारों के ब्लाग होने के बावजूद किस प्रकार की सरकार इस 15वीं लोकसभा में होने वाली है ..कोई भी पत्रकार अपने ब्लाग पर नहीं लिख पाया ..पर वक्त है ने आपको को सारे और सही समीकरण वक्त पर पेश किये । हमने इसका विरोध भी सहा लोगों की प्रतिक्रिया हमारे खिलाफ भी थी लेकिन हमारा मकसद सही तस्वीर पेश करना था जो हमने किया .. · हम ही थे जिसने कहा था देश में राज गांधी ही करेगा..। · हम ही थे जिसने कहा था आडवाणी बाय बाय..। · हम ही थे जिसेने कहा था डरे होये मोदी ...। · हम ही थे जिसने कहा था आज़म खान की छुट्टी...। · हम ही थे जिसने कहा था जया के आसू रंग लायेगे..। · हम ही थे जिसने कहा था अब बदलेगी तस्वीर..। · हम ही थे जिसने कहा था ब्लू फिल्म वाले समाजवाद को मतदाता नाकारे गें..। ये इसलिये हुआ की वक्त है को समझ है वक्त की और कदर है वक्त की ...शुक्रिया आप लोगों

जयाप्रदा की नंगी तस्वीर ..

जयाप्रदा की नंगी तस्वीर .. अब तो हद हो गई ..नया समाजवाद और नई समाजवादी पार्टी... पिछले कुछ वक्त से रामपुर में अमर आज़म और मुलायम की शब्दों की जंग चल रही थी ... मुलायम बीच बचाव करते दिख रहे थे ... दोनो के कई बयान आये..आज़म खान ने अमरसिंह को दलाल कहा फिर कुछ दिन के बाद जयाप्रदा का दलाल कहा... जया की आंखों में आसू आये और अमर ने कहा वो किसी आज़म खान को नहीं जानते ..चुनाव की तारीख़ पास आती गई और लड़ाई आगे बढ़ती गई ... बोलचाल की बोली ..गंदे शब्दों पर पहुच गई ..हर आदमी एक दूसरे पर किचड़ उछालने लगा.. मुबंई से अबू आज़मी आये उन पर भी हमला हो गया..बाण पर बाण .हर बार.समाजवाद तार –तार हो रहा था ..रामपुर जो सभ्यता का गढ़ कहा जाता है वहां की इज़्जत हर तऱफ उछल रही थी .. आखिर में मुलायम ने आज़म को नोटिस दे दिया –13 के बाद फैसला होगा .. आज़म भी खुल कर बोले अपने सारे समर्थकों से की नूरबानो कांग्रेस की उम्मीदवार को वोट दे... अमर ने भी आखिरी तीर फेंका कहा अगर जया नहीं जीतेगी तो खुदकुशी कर लेगीं... फिर बारी थी जयाप्रदा की ..कहतें है हर एकशन फिल्म में सेक्स न हो तो मज़ा नहीं आता फिल्म अधूरी सी लगती है ..इस

क्यो रोती हैं ..बार बार जयाप्रदा

क्यो रोती हैं ..बार बार जयाप्रदा कैमरे पर क्या करना है इसका इस्तेमाल किस तरह किया जाये उसे कैसे अपना बनाया जाये ...ये अगर किसी को सीखना है तो वो जयाप्रदा से सीखे ... एक बार आज़म ख़ान ने मंच पर बयान दिया कि किसी खूबसूरत चेहरे पर न जाये ..जो करना है सोच समझ कर करें... उस वक्त जयाप्रदा आंखे मलती देखी गईं.. आंखें जब आप मलते हैं तो पानी निकलना लाज़मी हैं.. ऐसा ही उनके साथ हुआ...पर हम चैनल वालों को तो मासला चाहिये..पुरानी खबर में नया एंगिल ..पुरानी तस्वीरों पर नई कहानी ..एडलाइन बन गई..आज़म की बात से जया आहत.. आंसू बहे जया के.. बस फिर क्या था ..औरतों के प्रेमी अमर सिंह कूद आये मैदान में आर-पार की लड़ाई के लिये.. पर जया जी ने भी इसका फायदा ढ़ू़ढ निकाला ..उनको भी रामपुर के नवाबों के खिलाफ ..उनको शर्मींदा करने का मुद्दा मिल गया..बस अब जहां आज़मखान का ज़िक्र हुआ नहीं जयाप्रदा कि आंखें नम होगीं.. पत्रकार औऱ कैमरामेन को भी पता चल गया ..रिपोर्टर ने जहां आज़म खान का ज़िक्र किया वहीं कैमरा मैन ने अपना फोक्स जया प्रदा की आंखों पर कर दिया ...भले ही इस सवाल से पहले जया धूप का चशमा लगायें हो पर ..ये सवाल

चुनाव के बाद आज़म ख़ान की छुट्टी.. मुलायम किस ओर...?

चुनाव के बाद आज़म ख़ान की छुट्टी.. मुलायम एनडीए के साथ...? पिछले कुछ वक्त से आज़म और अमर का झगड़ा बढ़ता जा रहा है ..। हर प्रयास के बाद मुलायसिंह को असफलता मिल रही है.. पर 13 तारीख के बाद इसका रूझान मिलेगा और 16 के बाद नतीजा निकल आयेगा... अब तक जो राजनीति गलयारों में खबर फैल रही है वो ये है कि आज़म खान की छुट्टी होनी तय है.. इसके पीछे जो वजह बताई जा रही है वो ये 1) आज़म खान समाजवादी पार्टी में एक मुस्लिम चेहरे के रूप में प्रस्तुत किये जाते है ...उनका इस्तमाल मुस्लिम वोट बटोरने के काम आता है ..पर इस बार ऐसा नहीं हुआ मुलायम ने ऐढी चोटी का ज़ोर लगा दिया..पर आज़म असली पठान निकले ..अड़ गये तो अड़ गये.. 2) ऐसा नहीं की मुलायम ने उनका विकल्प नहीं ढूढ़ा.. मुलायम ने हर ठुचपुंजीया मुस्लिम नेता से संर्पक किया..इसका फायदा भी उनके कार्यकर्ताओं ने खूब उठाया.. उनके कुछ करीबी लोग, किसी भी दाढ़ी वाले को मुलायमसिंह के पास ले जाते औऱ कहते नेता जी ये वहां के है और इनके पास इतने वोट हैं ।नेता जी उनको झुक कर नमस्ते करते और एक से पाच लाख तक का चेक काट कर दे देते. 3) नेता जी के नोट भी गये और वोट भी ।कल्याण सिंह

प्रेम पत्र

प्रेम पत्र आपने आखिरी बार बार पत्र कब लिखा था क्या कभी प्रेम पत्र लिखा था ... अगर हां तो आईये याद ताज़ा करें... प्रिय , वक्त कैसे बीत रहा हैं ..क्या बताऊं ..हर तरफ हर जगह तुम्ही दिख रहे हो .. तुम्हारी मुस्कुराहट.. तुम्हारी आहट बन कर सताती है ..तुम्हारी नज़रे .कोई ग़मज़ादा नज्म याद दिलाती है . तुम्हारा रंग रोशनी बन कर, हर बार आखों को चकाचौंध कर देती है.....सुबह उठें तो तुम.. दोपहर में देखें तो तुम ..शाम में तुम . और रात को भी तुम्ही तुम.. कैसे कट रहा है एक एक पल..तुम्हारे बिन.. पर तुम्हे क्या मालुम ..अगर पता भी हो तो तुम क्या कर सकते हो ... और हमने कुछ चाहा भी नहीं...तुमसे..सिर्फ आरज़ू कई तुम्हारी .. बिना किसी चाहत के ..बडे दिनो के बाद कलम उठाई है .चाहा है कि अपने दिल की बात लिखूं..जो गुज़रा वो सब बयान कर दूं.. पर अब तुमसे बहुत दूरी है ..दूरी संकोच की डोरी होती है ... संकोच से मन की बात नहीं होती ...और जब मन की बात ही न हो तो प्रेम वहां कहा रहता है .. सोच था प्रेंम पत्र लिखूं ..कोई ऐसा ख़त लिखूं.. जिंसमें प्यार का इज़हार हो..एक नया संसार हो ..पर नही हां नहीं ..अब प्रेम की जगह जलन है ..ए

कुमारों का चैनल.

कुमारों का चैनल. काफी दिनो से सोच रहा था आजकल चैनलों का स्तर इतना गिरता क्यों जा रहा है ... कुछ भी नया नहीं एक-दम नई इंडस्ट्री थी ये ..और इतनी जल्दी पतन हो गया ..मैने अपने कई लेखों में चैनल मैं हो रहे बदलाव और किस दिशा में जा रहे हैं हमारे पत्रकार ..इस विष्य पर मैने बहुत लिखा ..पर मुझे उम्मीद है इसको शायद ही किसी ने पढ़ा होगा ...क्योंकि आजकल पत्रकारिता के माई बाप का ज़िम्मा एक राज्य के कुछ बुद्दीजीवियों ने उठा लिया है ..जिन्हे खुद शब्द का ज्ञान नहीं आजकल वो शब्दावली की सरचना करते दिख रहें हैं.जिनकी बोली खुद इतनी बिगड़ी हुई आजकल वो भाषा का ज्ञान दे रहे है ..ये हैं कुमार..कोई आगे कुमार तो कोई पीछे कुमार . इनके राज्य का हर सरकार में रेल मंत्री होता है ..हर भाई का एक भाईया होता है ..जिसके पास रेल का पास होता है ..और दिल्ली में रहने वाले एक दूसरे भाई के कमरे का पता होता है ...नौकरी तो मिल ही जायेगी ..काम तो सीख ही जायेगा ..अब तक जिन्होने ने परीक्षा पास करवाई है वो ही आगे की ज़िन्दगी भी पार करवा देगें...तो कुमार साहब दिल्ली पहुचं ही जाते हैं... पत्रकारिता के शुरू के दौर की बात मुझे आज भी याद

71 साल

71 साल.भाग-4 आप लोग सोच रहेगें होगे कि इतने दिनों के बाद 71 साल की कैसे आई याद .. ज़हन में कहानी पूरी है पर लिखने के लिये वक्त और शब्द तलाश कर रहा था ...बात रामनरेश के बच्चो की.. ज़िन्दगी हमारी धूमती है समाज औऱ उसके इर्द गिर्द.. और जब हम अपने दायरे से बाहर निकलते हैं तभी कहानी दूसरा मोड़ ले लेती..ये मोड़ या तो आपकी ज़िन्दगी को किसी मुकाम तक पहुचा देता हैं या फिर आपकी ज़िन्दगी मंजिल तलाशती रहती है ..ऐसे ही रामनरेश के बच्चों के साथ हुआ । हर चीज़ का अभाव ज़िन्दगी को भावहीन कर देते हैं और हम हर चमक की तरफ दौड पड़ते हैं जो हमे दिख रही होती है ... जिन्दगी में रोशनी की लालसा हमें अकसर अंधेरे की तरफ ले जाती है ... और जब तक हम समझ पाते हैं, तब तक देर हो चुकी होती है ..राम नरेश को , पड़ोसी ने बताया कि उनकी बड़ी बेटी एक लड़के के साथ अकसर घूमती देखी गई .. बाप की गैरत करवट पलटती है ..और पुरूष का पौरूष बाहर आजाता है ..पहली बार हां पहली बार रामनरेश की दिवारों ने राम नरेश की शयाद इतनी भंयकर आवाज़ सुनी थी .. घर में मौजूद सब लोग थर्रा गये.. राम नरेश अपने गुस्से को ज्यादा देर तक नहीं रख पाये और फूट फूट क