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Showing posts from April, 2010

प्रार्थना के लिए हाथ उठते हैं

प्रार्थना के लिए हाथ उठते हैं आज बाज़ार गया तो दुकान पर देखा एक बच्चा अपनी मां की साड़ी को हिला हिला कर किसी चीज़ की ज़िद कर रहा था । मां ने उसे देखा और फिर नज़रअंदाज़ कर दिया । फिर देखा तो गुस्से से घुर दिया ..बच्चा नहीं माना रोने लगा ... मां भी नहीं मानी बच्चे के तमाचा जड़ दिया ..बच्चा और ज़ोर से रोया ..मां को तरस आया कहा क्या चाहिए चलो ले लो... बच्चा खुश था ..उसे वो चीज़ मिल गई थी जिसकी उसने चाहत की थी ।... मां भी संतुष्ठ थी चलो उसका बच्चा खुश तो हुआ... दोनो खुशी खुशी चले गए.. पर मेरे मन में बड़े विचित्र से सवाल उठने लगे मैने सोचा ये मां और बच्चे के बीच क्या कोई तीसरा भी था ...जिसे दुनिया भगवान औऱ अल्लाह कहती दिन रात सजदे और दीये जलाती है क्या वो भी मौजूद था ... बच्चे ने मां से क्यों मांगा भगवान से क्यों नहीं ..जब इस दुनिया का नियम है कि जो कुछ है भगवान का है जो देता है वो भगवान देता है तो बीच में ये मां कहां से आ गई... और मां ने खुद क्यों दिया .भगवान ने क्यों नहीं दिया.उसने भी तो बच्चे को रोता देखा तिलमिलता देखा ..पर नहीं बात मां बच्चे में ही निपट गई.. अब लौटते हैं अपने विषय पर प्र

ललित मोदी होगें फरार..

ललित मोदी होगें फरार.. मीडिया के शुरूआती दौर में जब पेज थ्री की पार्टी में जाना होता तो कहीं नहीं लगता था कि मेरा भारत गरीब है ..यहा लोग नंगे और खाली पेट सोते हैं... सब झूठ लगता था ... साथी पत्रकार कहते थे सब दो नंबर का पैसा जो रोशनी दिख रही है वो अंधेरे से ही आ रही है ... कहीं न कहीं इन में से हर कोई किसी ग़लत काम किसी गैर कानूनी धंधे और किसी गहरे राज़ में कैद है ..एक दिन हर किसी का पर्दा हटेगा और हम पायेंगें कि ये सब नंगे तो हैं साथ ही शरीर में कितने दाग और कितनी बीमारी लिए हुए हैं... ललित मोदी ने जो आईपीएल की दुकान खोली तो उसका रास्ता ऐसा बनाया कि आम आदमी अपने पैरों से उस पर नहीं चल कर जा सकता ..इस दुकान पर पहुचने और माल खरीदने के लिए आपके पास करोड़ों का अंबार होना चाहिए ये करोड़ो रूपए आप के पास किस तरह और कहां से आए ये कोई नहीं पुछेगा क्योंकि कोठे पर आने वाले ग्राहक से उसकी कमाई का स्त्रोत नहीं जाना जाता .. और अगर कोई जानता भी है तो कहने की हिम्मत कोई नहीं करता ,, यही आईपीएल है और इस कोठे के हेड हैं ललित मोदी ..तो जिनको माल चाहिए उन्हे मोदी को सलाम करना ही होगा ... लेकिन किस्मत क

सानिया की शादी की तस्वीरे

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सानिया शोएब की शादी और sms

सानिया और शोएब की शादी और sms 15 अप्रैल को सानिया मिर्ज़ा और शोएब मलिक की शादी है ..पर भारत वर्ष में क्रोध की लहर है ..हर तरफ गुस्सा है ..विद्रोह है ..सानिया के प्रति नाराज़गी.. देश के सम्मान को लेकर लोगों ने एसएमएस का प्रयोग करना शुरू कर दिया है ..जिसमें सानिया शोएब को गालिया गंदी गंदी भाषा नीचले स्तर के चुटकले और न जाने कितनी अशलील हरकते और किस्से लिख कर भेजे जा रहे है. और कहा जा रहा है अगर आप भारतीय है तो इसको अपने दोस्तों को भेजें ..क्या हिन्दु क्या मुस्लमान क्या पंडित क्या मौलाना सब सानिया के खिलाफ है शादी पर सब को एतराज़ है । अब सवाल उठता है क्यों .....क्या ये पहली शादी है हिन्दुस्तान और पाकितान के बीच ।ऐसा नही है हर साल कई शादियां होती हैं... क्या ये किसी स्टार का निकाह है इस लिए बवाल मच रहा है तो ऐसा भी नही है ..इससे पहले भी कई सितारे एक दूसरे के हो चुके हैं ..तो फिर ये माजरा है क्या... आईये इसके लिए एक छोटा सा किस्सा सुनाते हैं ..शायद ये मंज़र सब ने देखा हो ..किसी मौहल्ले में मीना नाम की खूबसूरत लड़की थी ... खूबसूरत थी तो आशिकों की कमी भी न थी ..मौहल्ले का हर एक दिवाना उससे नज

जसबीर कलरवि की कविता- कवि.....

जसबीर कलरवि की कविता- कवि..... कवि ------------ यह अपने आप में अनहोनी घटना है के वो सारी उमर लिखता रहा कभी नज़्म ,कभी ग़ज़ल और कभी कभी ख़त कोई ... पर यह सच है उसकी कोई भी लिखत ना किसी किताब ने संभाली न किसी हसीना के थरकते होठों ने ... । वो लिखता क्या था मैं आज आपको बताता हूँ वो लिखता था एक कथा जो जन्म से पहले पिता के लिंग का मादा था और फ़िर अपने बेटे के जिस्म में बसा ख़ुद वो ... । यह हंसती हुई गंभीर घटना तब शुरू हुई जब उसने पहली बार पीड़ित देखा अपने माथे पर चमकते चाँद के दाग का खौफ़ खौफ़ क्या था ? बस यूँ ही जीए जाने की आदत का एहसास ... । वो बर्दाश्त नही करता था अपनी सांस में उठती पीड़ा की हर नगन हँसी का मजाक वो स्वीकार नही करता था इतिहास के किसी सफ़े पर अपने पिछले जन्म का पाप ... । उसका नित-नेम कोई कोरा -कागज़ था और रोज़-मररा की जरूरत हाथ में पकड़ी हादसाओं की कलम वो बड़ी टेडी जिंदगी जी रहा था बे-मंजिल सफर सर कर रहा था पर फिर भी वो जी रहा था लिख रहा था और हर पल तैर रहा था शब्दों के बीचों -बीच आंखों के समंदर में ।

कौन समझेगा इन का दर्द-सीआरपीएफ के शहीद जवानो के परिवार..दंतवाड़ा मे शहीद 76 जवानो के परिवार को सलाम

दंतवाड़ा मे शहीद 76 जवानो के परिवार को सलाम चीन के हत्यारों से लेस नक्सलियों ने 2 दिन के थके हुए भारतीय सीआरपीएफ के जवानो को मार डाला ..जवानो की मौत गोलियों से कम हुई प्रेशरबंम और आईडी के इस्तेमाल से ज्यादा हुई...जंगल के चप्पे चप्पे से वाकिफ नक्सलियों ने 76 जवानो को घेर लिया 1000 की तादाद में आए नक्सली पेड़ों और पहाड़ो की होड़ से हमला कर रहे थे ।जवानो के पास पोज़िशन लेने का भी वक्त नही था .वो भाग कर किसी जगह पर पहुने की कोशिश करते की ज़मीन पर छुपे प्रेशर बम का शिकार बनते ।प्रेशर बम दो तरह के होते हैं एक वो जिस पर आप पैर ऱखेगें तो वो फटेगा दूसरा वो कि जिससे आप पैर हटाएगे तब वो फटेगा..सीआरपीएफ की बस तो आईडी से उड़ाई गी..चारों तरफ से घीरे होने के बावजूद हमारे जवान साढ़े चार घंटे लड़े हमला सुबह पौने चार बजे हुआ..जो ज़ख्मी है उनके जज्बे को सलाम करते हैं क्योंकि वो फिर वहा पर जाकर लड़ने के लिए तैयार है ..और नक्सली का खातमा करेने पर ऊतारू..पर जो नही रहे उनके पीछे दर्द के रिश्ते बच गए। घायल जवान अली हसन ने ज़ख्मी होने के बाद अपने परिवार से बात की पर अल्लाह ने शाय़द बात करने तक की ही उसे महौलत

शर्म आनी चाहिए जेएनयू के लोगो को

शर्म आनी चाहिए जेएनयू के लोगो को मंगलवार की खौफनाक सुबह किसी भी भारतीय के लिए भूल पाना आसान न होगा । जब हमारे सीआरपीएफ के जवान छतीसगढ़ के दंतवाड़ा के जंगलों में गश्त लगा रहे थे तभी नक्सलियों का बर्बरता से भरा असली चेहरा सामने आया ।तकरीबन 75 जवानों को लगभग 1000 से ज्यादा नक्सलियों ने गौरिल्ला तरीके से घेर कर गोलियों से भून दिया... न जाने कितने परिवार का सुहाग बेटा भाई पिता को मार डाला.।इससे पहले भी मलकानगिरी में सीआरपीएफ की बस को निशाना बनाया गया उसमे तकरीबन 20 जवानो की मौत हुई.. ये एक दुखद घटना है जिसके सीने में दिल होगा।उसे दर्द ज़रूर होगा । लेकिन ऐसा नहीं है दिल्ली का एक तपका जो अपने को पढ़ा लिखा मानता है देश में होने वाले अत्याचारों के लिए धरना प्रदर्शन करता फिरता है ..गांजा चरस से चूर रहता मोटी मोटी लाल किताबे लाल फरेरे से बहुत प्यार करता है ..देश के शोषित पीड़ितों का मसीहा बनता है ..जब सत्ता मिलती है तो मलाईदर पदों पर बैठ जाता औरतो का बखौबी सेक्स के लिए इस्तेमाल करता ये कहते हुए कि ये तो शरीर की ज़रूरत है ।उस तो ये भी बर्दाशत नही जहा वो रहता है उससे नेहरू का नाम क्यों जुड़ा है ..

देश में दो महत्वपूर्ण काम शुरू..

देश में दो महत्वपूर्ण काम शुरू.. देश में सब को मिले शिक्षा हर बच्चा पढ़े लिखे अगर ये काम सफल हो जाए तो भारत में समाजिक बराबरी हासिल होने के लिए समझो पथ बन जायेगा । इस कानून के तहत 6 से 14 साल के बच्चों लिए शिक्षा का मौलिक अधिकार होगा । मान्यता प्राप्त हर प्राईवेट स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए 25 फीसदी सीटें रिर्ज़व होंगी।देश में अभी तकरीबन एक करोड़ से ज्यादा ऐसे बच्चे है जो स्कूल नहीं जाते । इतनी बड़ी तादाद में बच्चों के लिए नए स्कूलों और शिक्षकों की ज़रूरत पडेगी ।इन सब का इंतज़ाम केन्द्र और राज्य सरकारों को करना होगा एक उज्जवल भविष्य के लिए। केन्द्र सरकार ने नए स्कूल खोलने के लिए डेढ़ लाख करोड़ रूपए देने के लिए कहा है अगले तीन साल में में ये स्कूल खोले जाएगें। अगले पांच लाख में 15लाख नए टिचरों को ट्रेनिंग दी जाएगी।इसमें होने वाले खर्च में केन्द्र औऱ राज्य सरकार की 65 और 35 फीसदी भागीदारी होगी। इस कानून की राह मुश्किल बहुत हैं..पहली मुश्किल तो उत्तरप्रदेश की मख्यमंत्री मायावति उन्होने कहे दिया कि राज्य सरकार के पास पैसा नही है अपने हिस्सा का पैसा देने के लिए। निजी स्कूल इसमे काफी अड़च

भीष्म की मौत एक नपुंसक के हाथ

भीष्म की मौत एक नपुंसक के हाथ कोई अंग नही बचा है जिसमें बाण न लगे हों। अंग अंग भिदा है ।प्रेयत्क रोम कूप में भिदे बाण रोम से खड़े हैं । उन्ही पर लेटे हैं भीष्म। भीष्म जिनका देवव्रत भी नाम है ... और देवव्रत का अर्थ है देवाताओं जैसा व्रत ..दृढ़ निश्चय करने वाला व्यक्ति..सब जानते हैं कि भीष्म ने अपने पिता का दूसरा विवाह करने के लिए खुद विवाह न करने का व्रत लिया था । कई बार ऐसे हालात पैदा हुए जब भीष्म अपना ये व्रत तोड़ सकते थे ...पर उन्होने ऐसा नहीं किया । जो राजा हो सकता था ,उसने अर्थदास जैसा जीवन जिया...लेकिन अपने व्रत को भंग होने नही दिया। हस्तिनापुर राज्य की सेवा का व्रत उनकी कमज़ोरी बन गया था.अपने युग के महान विद्वान ,धनधुर .धर्मात्मा समाजवेत्ता होकर भी कमज़ोर ही रहे । उन्होने कौरवों के सेनापति के रूप में दस दिनों तक महाभारत युद्द किया ।भीष्म मन से पाडवों और तन से कौरवों के साथ थे । भीष्म सर्वसमर्थ होकर भी युग की सत्ता बदलने में असमर्थ रहे । इस विशाल व्यक्तित्व वाले योद्दा की मौत एक नपुसंक के हाथों से हुई..शायद इसलिए कि उन्होने अन्याय का साथ दिया.. इसलिए उनकी मौत इतनी तकलीफ दय रही...

आज भी इंतज़ार है....

आज भी इंतज़ार है.... किनारों पर बैठ के लहरों का इंतज़ार है रूठे हुए दोस्त के मुस्कुराने का इंतज़ार है पंछियों ने भरी अपनी आखिरी उड़ान है हमको भी अपने घौसले का इंतज़ार है।। देखो कही उनके सितम कम न हो जाए हौसले हमारे कहीं पस्त न पड़ जाए हर के बात पर हर बात का ख्याल है सपनो की नगरी में सौदागर का इंतज़ार है।। अब तो हुई देर, अब तो आजाओ देखो ये कौन सा है देश अब तो आजाओ यहां पर एक अजब सी ही बात है हर एक को किसी का इंतज़ार है ।। लो ये लौ भी बुझा दी ज़िन्दगी में अपनी अंधेरों को जगह दी आखें जो झपके कसम तुम्हारी है किसी बात का शिकवा करूं कसम तुम्हारी है ये आखिरी पन्ना है कहानी आखिरी है शान की ज़िन्दगी का ये ही हाल है सच कहूं तुम्हारा आज भी इंतज़ार है ।। शान...