Posts

Showing posts from July, 2009

इमरान हाशमी को घर नहीं क्योकि वो मुस्लमान हैं....

इमरान हाशमी को घर नहीं क्योकि वो मुस्लमान हैं.... आज सुबह से खबर चली की इमरान हाशमी को बांद्रा की एक सोसायटी मकान नहीं दे रही है क्योंकि वो मुसलमान है। इमरान हाशमी किस तरह के मुस्लमान हैं ये दुनिया जानती है पर ये मुद्दा बहुत संवेदनशील है .. आज से कुछ अरसे पहले एक टीवी चैनल ने भी कई प्रॉपर्टी डीलरों और सोसायटियों मे जाकर ये पता किया था की क्या सच में मुस्लमान या अल्पसंखकों को माकान आप लोग नहीं देते है..आप सच मानिए वहां से जवाब हां ही आया था... इमारन हाशमी ने आज जो मुद्दा उठाया उससे शायद लोगों की सोच में परिवर्तन आए..पर ऐसा होगा ये मुमकिन नहीं लगता .. बात सन 2,000 की है, मुबंई के आधुनिकता की बातें मैने बहुत पढ़ी थी ,,,और मुबंई जाना एक सपना था और सपना मेरी पहली नौकरी ने पूरा किया ... मेरा और मेरे एक सीनियर का ट्रासफर मुंबई हो गया ।.. कुछ दिन हम कंपनी के गेस्ट हाउस में रहे फिर तलाश जारी हो गयी माकान की ... हर जगह अलग बातें दोनो के नाम पूछे जाते फिर एक से अच्छे से बात की जाती और दूसरे को हीकारत की नज़र से देखा जाता .. हम लोग मीडिया में थे तो ये बात कभी ज़हन में नहीं आती की हम भी हिन्दु या म

नज़ीर बनारसी की नज़्म

नज़ीर बनारसी की नज़्म किसने झलक पर्दे से दिखा दी। आंख ने देखा दिल ने दुआ दी।। होश की दौलत उनपे गवां दी। कीमते जलवा हमने चुका दी।। रात इक ऐसी रौशनी देखी। मारे खुशी के शम्मा बुझा दी।। तुमने दिखाए ऐसे सपने । नींद में सारी उम्र गवां दी।। पूछें हैं वह भी वजहे –खमोशी। जिसके लबों पर मोहर लगा दी।। उनको न दे इल्ज़ाम ज़माना । खुद मेरे दिल ने मुझको दगा दी ।। आंच नज़ीर आ जाए न उन पर। दिल की लगी ने आग लगा दी ।।

एक और सच का सामना......हेड ऑफ चैनल

एक और सच का सामना......हेड ऑफ चैनल सुबह सुबह ऑफिस पहुंचा तो दाढ़ी वाला बॉस अर्विन्द पर चिल्ला रहा था... बाहर जो आवाज़े आ रही थी उससे ये ही सुना जा रहा था की आप को बिल्कुल लिखना नहीं आता है..ऐसे नहीं लिखा जाता.. सब कुछ मैं ही बताऊं आपको... कैसे चलेगा, मुझे ये पसन्द नहीं.... ये बाते पढ़ कर आपको लग रहा होगा की अर्विन्द कोई नया लड़का होगा और उसने कोई स्टोरी लिखी होगी जिसे बॉस ने खारिज कर दिया ..ऐसा कुछ नहीं है... हम लोग अर्विन्द को (जी’) यानि अर्विन्दजी कहे कर बुलाते हैं... टीवी में लिखने की समझ उन्हे जितनी है..शायद ही किसी को हो या बहुत कम को हो...तस्वीरों और आवाज़ों के साथ किस तरह शब्दों को पिरोना है उसमें उनकी महारत है ....पर बॉस को नहीं पंसद... अब कुछ बॉस का भी परिचय हो जाए.. बिहार की ट्रेन पर चढ़ कर आ गए.. अपने भाईया के पास जो आई ऐ एस की तैयारी कर रहे थे ।बस सलाह मिल गी ऐ जी आप पत्रकार क्यों नहीं बन जाते है सुरेश भईया मोतिहारी वाले है न चैनल में वो रख लेगें या कही रखवा देगे... बस बॉस ने पत्रकारिता किसी तरह कर ली दाढ़ी रख ली और बन गए पत्रकार ..... किस्मत के तो पहले ही बुलंद थे और दिल्ल

जिन्दगी चल नहीं रही दौ़ड़ रही है

जिन्दगी चल नहीं रही दौ़ड़ रही है काफी दिनो के बाद लिखने बैठा तो जाना की ज़िन्दगी बहुत ते़ज़ दौ़ड रही है ..जब रूक कर देखा तो पाया बहुत कुछ आगे निकल गया है। आज अपनी पोस्ट में उन का ही ज़िक्र करूगां जो आगे निकल गये.. जब अपनी आखिरी पोस्ट लिखी थी तब फ्रांस में बुर्के पर पांबदी लगाई गई थी..उसके बाद ही ज़िन्दगी के चक्र में बहुत व्यस्त हो गया ऑफिस में बजट और घर में बेचैनी। इसी बीच ब्लॉग पर कुछ लिखने का मन तो बहुत किया पर थकान के मारे लिख ना सका। फिर कुछ दुनिया में और देश में ऐसे हादसे और वाक्ए गुज़रे कि ज़िंदगी सुन हो गई । इसी में से माइकल जैक्सन की दुखद मौत भी एक है। माइकल जैक्सन की मौत ने ये सोचने पर मजबूर किया कि इंसान एक लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ता है और उस मुकाम पर पहुंचने पर कितना बिखर जाता है । पैसा दौलत शौहरत सब हासिल हो जाता है पर सब मिलने पर फिर यही सवाल रहता है कि अब क्या , और क्या । माइकल की मौत भले ही दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदी हो पर उसकी मौत एक बात ज़रूर पुख्ता कर देती है कि वाकई एक कलाकार की ही मौत थी, क्योंकि आज तक जितनी भी बड़ी हस्तियों की मौत हुई उन सब की मौत के बाद लोग विभाजि