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Showing posts from March, 2009

शक्ले बदलेगीं पर नज़रे नहीं

देखो उसने मुझे देखा अच्छा लगा फिर देखा तो मैने कुछ सोचा जब फिर देखा तो कुछ अटपटा लगा अब वो फिर देख रहा और मुझसे बर्दाशत नही हो रहा क्यो ये मुझे बार बार देखा रहा देखने की भी हद होती है हिम्मत कर के मैने भी उसे देखा पर कुछ देर के बाद मैं न देख पाई पर वो देखता जा रहा है मुझे तो अब घबराहट हो रही है कौन है ..क्यों देख रहा है क्या कोई जान पहचान का है आस पडोस का कोई रिश्तेदार या कोई रिश्ते लाने वाला पर ऐसे कैसे मुझे ये देख सकता है पास जाऊं..नही नहीं बेकार की बात है क्यों बात को बढ़ाऊं पर अब भी मुझे वो देख रहा है अब मुझे डर लगा रहा क्या चाहता है क्यों इस तरह.. बार-बार मेरी तरफ मेरी तरफ मेरी तरफ क्या मंशा है क्या करूं ..क्या न करू शोर करूं..ज़ोर से नहीं नहीं नहीं यहां से भागों पर कहा क्या इन नज़रों से बच सकती हूं या ये नज़र मेरा पीछा छोड़ सकती हैं मुझे तो इन आंखों के साथ ही जीना है इन्ही के साथ रहना जहा भी पहुचना है वहां इन्ही को पाना शक्ले बदलेगीं पर नज़रे नहीं लोग बदलेगे पर सोच नहीं

देश में राज गांधी ही करेगे..राहुल हो या वरूण..

देश में राज गांधी ही करेगे..राहुल हो या वरूण.. ये बात मज़ाक नहीं है हकीकत है .देश के साथ बीजेपी को भी समझ में आजाना चाहिये । जहां इस चुनाव में हर तरफ आडवाणी का नाम होना चाहिये था वहां हर तरफ गांधी औऱ गांधी यानी नेहरू के पर-नवासों का नाम गूंज रहा है ... क्या अब बीजेपी भी गांधी परिवार के आधीन हो कर रहे जाये गी .. शयाद आज इस बात को कोई स्वीकार न करे पर ये वो सत्य है जिसे आज नहीं तो कल आप को मानना ही पडेगा.. आप ज़रा ध्यान से देखिये भारत में सिर्फ एक ही परिवार है जिसे राजनीति आती है और जो राजनीति कर रहा बाकी सब आते हैं और जाते हैं । उसी तरह जिस तरह भारत मे भले कहने को कितनी पार्टियां हो पर असल में राष्ट्रीय पार्टी सिर्फ दो हैं कांग्रेस और बीजेपी .. अब ज़रा इन का इतिहास देखिये कांग्रेस का अस्तिव बिना गांधी के कुछ नहीं है ...कुछ भी अगर होगा वो गांधी ही करेगा।जितने भी दिग्गज हों पर चलते तभी है जब गांधी आगे हो ..वरना जो उनका हश्र हुआ वो सब के सामने है अब बात बीजेपी की करें ये बात अब जग ज़ाहीर हो गई है कि आडवाणी जी का पीएम बनना आसान नहीं ..साफ कहूं तो नामुमकीन ही है ..ये बात बीजेपी भी जानती है

बस चल दिये

तलाश में किस की भटक रहे हैं हम ... किस के लिये तरस रहे हम न जाने खुदा को क्यों ढ़ूढ़ रहे हम ... मौला मौला, आका आका, रब्बा रब्बा याद आ रहा है क्यों.. चाहिये एक ज़मीन.. .चाहिये एक नगर गली गली इधर उधर क्यों मुड़ रहे हैं हम .. देखो वो देख रहा है.. वो सब जान रहा है उस को सब पता है वो ही तुम्हारा है वो ही तुम को लाया है वो ही तुम को लेकर जायेगा तुम अकेले नही हो वो तुम्हारे साथ है क्यो डर रहे हो किससे डर रहे हो उसे सब मालुम वो किसी को कुछ नहीं बतायेगा बस तुम को समझायेगा दिलासा देगा सहारा बनेगा रास्ता दिखायेगा... तुम को उससे मिल कर अच्छा लगेगा.. अरे वो तुम्हारे बारे में सब जानता है .. तुम किससे मिलते हो किससे मिलना चाहते तो उसको पता है.... देखो कुछ दिन की तो बात है फिर सब ठीक हो जायेगा सब पहले जैसा बिल्कुल पहले जैसा.. हां वो भी मिलेगे और वो भी मिलेगा... क्या चाहिये और.. कुछ बचा है क्या अरे जो बच गया वो भी मिल जाये गा.. बस एक या दो दिन.. क्यों नही होगा अरे सब कुछ तो हुआ है वो भी हो जायेगा.. देखो देखो सब भूल जाऊ.. अरे कर के तो देखो . .मानो तो...बस यही है बात नहीं मानते मान जाते तो आज ये नहीं होत

जय श्री राम...वरूण गांधी...चुनाव आयोग

वरूण गांधी बन ही जायेंगें बड़े नेता ...बीजेपी का नया चेहरा... आखिर चुनाव आयोग ने बीजेपी को निर्देश दे दिया की वरूण गांधी को टिकट न दे.।साथ ही इस बात को भी साफ कर दिया की वरूण के टेप के साथ कोई छेड़ छा़ड़ नहीं की गई..। इसी के साथ बीजेपी का असली चेहरा भी सामने आ गया .उसने साफ कह दिया वो वरूण गांधी को टिकट दे गी..साथ ही चुनाव आयोग को उसकी औकात भी बता दी की उस के पास ये अधिकार नहीं है कि वो किसी पार्टी को ये निर्देश दे की वो किस को टिकट दे और किस को नहीं ... अभी तक अपने को इस मामले से अलग रखने वाली बीजेपी आचान क्यों बदल गई..अब ये सवाल उठता है ... इस सवाल का सीधा जवाब है कि पर्दे के पीछे और पर्दे के सामने की कहानी में बहुत अंतर होता है... राजनीति में जो कहा जाता है उसका वो मतलब नही होता जो आप समझते है या देश को समझाया जाता है ..बीजेपी या फिर कहे एनडीए कि नइया इस बार डामा डोल है ..उनके स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी पिछले विधानसभा में फ्लाप हो चुके है .. वरूण गांधी उनके लिये एक नई उम्मीद लेकर आयें है ..फिर से लोगों की जुबान पर जय श्री राम आया है वरूण गांधी अपने भाषण में कहे रहे हैं कि उन्हे सि

जल्द वापसी होगी...

जल्द वापसी होगी... अभी दफ्तर से छुट्टी ले ली है ..कहीं घूमना ,रिशतेदारी निभाना, आराम.सोना ,,इस लिये लिखना थोडे दिनो के लिये रोक रखा है ..चुनाव में भी व्यस्त है नये कार्यक्रम की योजनाये है ..पर आप के लिये कुछ ढूढ कर लाये हैं.... नसीबों में लिखी जिनके लिये तनहांइयां होगीं। गुलाबो के नगर में ऐसी भी कुछ तितलियां होगी।। मेरा टूटा हुआ दिल भी वहीं मिल जायेगा तुमको । जहां बिखरी हुई फूलों की टूटी पत्तियां होगीं।। मेरे दिल में उतर आओ तो मोती ले के जाओगे । समन्दर के किनारे खाली सीपियां होगी।. किसी आवाज़ पर ठेहरे तो हो जाओगे पत्थर के । कि इस जंगल के चारों ओर जादूगरनियां होगी ।। यहां तक जिन्दगी के रास्ते विरान थे लेकिन। अब इसके बाद सुनते हैं कि कुछ आबादियां होगीं ।. बिखरते टूटते रिश्तों की इक लम्बी कहानी है । किसी को क्यों कोई इल्ज़ाम दे ..मजबूरियां होगीं..।। यहां किससे तव्वको किजिये शीरी बयानी की । सभी के दामनो में नीम की कुछ पत्तिया होगीं ।। हमारा दिल तो जलकर राख कब का हो चुका शान । मगर इस राख में अब भी कई चिनगारियां होगी ।। ....................... जल्द मुलाकात होगी........