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Showing posts from November, 2010

कहां गये ब्लॉग वाले

ब्लागवाणी का कोई विकल्प 2007 साथ में जब ब्लाग लिखना शुरू किया तो बहुत लोग पढ़ते अपनी राय और सलाह देते थे । ब्लागवाणी से पता भी चल जाता था कि तकरीबन कितने लोगों ने आपकी पोस्ट को पढ़ा । लेकिन जब से ब्लॉगवाणी बंद हुई उससे रोज़ लिखने वाला साधारण सा ब्लॉगर तो बस मानो खत्म हो गया ।या फिर ये कहे आचानक लोगों में पढ़ने का शौक और अपनी प्रतिक्रिया देने की चाहत खत्म हो गई। बड़ी कंपनियों की वेब साइट और बड़े नामचिन लोगों के ब्लॉग या फेसबुक और ट्वीटर ने आम ब्लॉगरों को खत्म सा कर दिया । लेकिन शायद सब से बड़ी वजह ये लगती है कि खाली पेट भजन नहीं होता हमने ब्लॉग तो शुरू किया उसके पीछे भले ही तर्क ये दिया हो हम आज़ाद है लिखने के लिए अपने लिए जगह चाहिए अपनी पहचान चाहिए थी औप ब्लॉग ने हमें सब दे दिया और कुछ छोटे गुर्प भी बन गये थे जो आपस में अपनी तारीफ करते रहते थे लेकिन जो भी था अच्छा था कहीं कुछ लिखा तो जा रहा था लेकिन एक और दो साल में हिन्दी ब्लॉगजगत के आम और साधारण ब्लॉगर मानो नदारद हो गए इस के पीछे की शायद य़े हकीकत है की सब को पैसा चाहिए था पैसा ही लोगों की ज़रूरत है और अपने वक्त का इंवेस्टमेंट कर के

अलकायदा कर सकता है हाजियों पर हमला

अलकायदा कर सकता है हाजियों पर हमला अलकायदा के हमलों का खतरा यूरोप पर ही नहीं सऊदी अरब पर भी है ..इस बार जब दुनिया भर को जायरीन इकट्टा होगें तो उनकी हिफाज़त के ख़ास इंतज़ाम किये हैं सऊदी सरकार ने क्योंकि अलकायदा इन दिनो सऊदी अरब से नाराज़ चल रहा ..क्योकि सऊदी अरब के ही सुराग देने के कारण उसके की पार्सल बम पकड़े गए..और उसके कई आंतकी हमले बेकार चले गए.इस के अलावा अलकायदा पहले से ही सऊदी अरब के शाह का तख्ता पलटना चाहता है । वैसे इससे पहले भी मक्का और मदीने पर हमले हो चुके हैं ..30 साल पहले इस्लामिक दहशतगर्द मक्का की बड़ी मस्जिद पर हमला कर चुके है 20 नंवबर 1979 को हशियारबंद आतंकवादियों ने मक्का में अल मस्जिद अल हरम पर कब्ज़ा कर लिया था इस हमले में ओसामा के सौतेले भाई को गिरफ्तार किया गया था ..पर बाद में उसे छोड़ दिया गया..तब से सऊदी सरकार के इंतज़ाम काफी सख्त होते हैं ..और हम उम्मीद कर करते हैं कि अल्ला के घर में किसी का खून नहीं बहे गा...

बस ऐसे ही

बस ऐसे ही क्या खबर कैसे मौसम बदलते रहे । धूप में हमको चलना था चलते रहे । शमा तो सिर्फ रातों में जलती रही । और हम हैं दिन रात जलते रहे ।। ( डॉ सागर आज़मी) कली की आंख में,फूलों की गोद में आंसू खुदा न दिखलाये ऐसी बहा की सूरत।। तेरी तलाश में ये हाल हो गया मेरा । न दिन में चैन है, न शब में करार की सूरत।।