bachpan

बचपन

अंबा का आचल छूटा
अंबरूह से अंबू रूठा...
उजबक बन कर रहे गया मैं
जब से मेरा बचपन छूटा

उछल कूद सब हो गये दूर
अकधक-अकबक छूटे यूं
अक्रिय बन कर रहे गया मैं
जब से मेरा बचपन छूटा

कुप्रवति से मैं हूं भरपूर
ओछापन है मुझ में यूं
कठपुतली बन कर रहे गया मै
जब से मेरा बचपन छूटा

दोस्त यार अभी भी हैं साथ
अब न उनमे है वो प्यार
बेगाना बन कर रहे गया मैं
जब से मेरा बचपन छूटा..

Comments

Anonymous said…
apne bachpan se bichoh bahut sundar varnit hua hai bahut badhai

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