प्रेम पत्र
प्रेम पत्र
आपने आखिरी बार बार पत्र कब लिखा था क्या कभी प्रेम पत्र लिखा था ... अगर हां तो आईये याद ताज़ा करें...
प्रिय ,
वक्त कैसे बीत रहा हैं ..क्या बताऊं ..हर तरफ हर जगह तुम्ही दिख रहे हो .. तुम्हारी मुस्कुराहट.. तुम्हारी आहट बन कर सताती है ..तुम्हारी नज़रे .कोई ग़मज़ादा नज्म याद दिलाती है . तुम्हारा रंग रोशनी बन कर, हर बार आखों को चकाचौंध कर देती है.....सुबह उठें तो तुम.. दोपहर में देखें तो तुम ..शाम में तुम . और रात को भी तुम्ही तुम.. कैसे कट रहा है एक एक पल..तुम्हारे बिन.. पर तुम्हे क्या मालुम ..अगर पता भी हो तो तुम क्या कर सकते हो ... और हमने कुछ चाहा भी नहीं...तुमसे..सिर्फ आरज़ू कई तुम्हारी .. बिना किसी चाहत के ..बडे दिनो के बाद कलम उठाई है .चाहा है कि अपने दिल की बात लिखूं..जो गुज़रा वो सब बयान कर दूं.. पर अब तुमसे बहुत दूरी है ..दूरी संकोच की डोरी होती है ... संकोच से मन की बात नहीं होती ...और जब मन की बात ही न हो तो प्रेम वहां कहा रहता है .. सोच था प्रेंम पत्र लिखूं ..कोई ऐसा ख़त लिखूं.. जिंसमें प्यार का इज़हार हो..एक नया संसार हो ..पर नही हां नहीं ..अब प्रेम की जगह जलन है ..एक दर्द है ....जो टीस बन कर सताता है मुझे गुज़रा वक्त याद दिलाता है .. आज नहीं कल लिखूं गा..पर मैं प्रेम पत्र ज़रूर लिखूंगा...
तुम्हारा
शान...
आपने आखिरी बार बार पत्र कब लिखा था क्या कभी प्रेम पत्र लिखा था ... अगर हां तो आईये याद ताज़ा करें...
प्रिय ,
वक्त कैसे बीत रहा हैं ..क्या बताऊं ..हर तरफ हर जगह तुम्ही दिख रहे हो .. तुम्हारी मुस्कुराहट.. तुम्हारी आहट बन कर सताती है ..तुम्हारी नज़रे .कोई ग़मज़ादा नज्म याद दिलाती है . तुम्हारा रंग रोशनी बन कर, हर बार आखों को चकाचौंध कर देती है.....सुबह उठें तो तुम.. दोपहर में देखें तो तुम ..शाम में तुम . और रात को भी तुम्ही तुम.. कैसे कट रहा है एक एक पल..तुम्हारे बिन.. पर तुम्हे क्या मालुम ..अगर पता भी हो तो तुम क्या कर सकते हो ... और हमने कुछ चाहा भी नहीं...तुमसे..सिर्फ आरज़ू कई तुम्हारी .. बिना किसी चाहत के ..बडे दिनो के बाद कलम उठाई है .चाहा है कि अपने दिल की बात लिखूं..जो गुज़रा वो सब बयान कर दूं.. पर अब तुमसे बहुत दूरी है ..दूरी संकोच की डोरी होती है ... संकोच से मन की बात नहीं होती ...और जब मन की बात ही न हो तो प्रेम वहां कहा रहता है .. सोच था प्रेंम पत्र लिखूं ..कोई ऐसा ख़त लिखूं.. जिंसमें प्यार का इज़हार हो..एक नया संसार हो ..पर नही हां नहीं ..अब प्रेम की जगह जलन है ..एक दर्द है ....जो टीस बन कर सताता है मुझे गुज़रा वक्त याद दिलाता है .. आज नहीं कल लिखूं गा..पर मैं प्रेम पत्र ज़रूर लिखूंगा...
तुम्हारा
शान...
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