जिन्दगी चल नहीं रही दौ़ड़ रही है
जिन्दगी चल नहीं रही दौ़ड़ रही है
काफी दिनो के बाद लिखने बैठा तो जाना की ज़िन्दगी बहुत ते़ज़ दौ़ड रही है ..जब रूक कर देखा तो पाया बहुत कुछ आगे निकल गया है। आज अपनी पोस्ट में उन का ही ज़िक्र करूगां जो आगे निकल गये..
जब अपनी आखिरी पोस्ट लिखी थी तब फ्रांस में बुर्के पर पांबदी लगाई गई थी..उसके बाद ही ज़िन्दगी के चक्र में बहुत व्यस्त हो गया ऑफिस में बजट और घर में बेचैनी। इसी बीच ब्लॉग पर कुछ लिखने का मन तो बहुत किया पर थकान के मारे लिख ना सका। फिर कुछ दुनिया में और देश में ऐसे हादसे और वाक्ए गुज़रे कि ज़िंदगी सुन हो गई ।
इसी में से माइकल जैक्सन की दुखद मौत भी एक है। माइकल जैक्सन की मौत ने ये सोचने पर मजबूर किया कि इंसान एक लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ता है और उस मुकाम पर पहुंचने पर कितना बिखर जाता है । पैसा दौलत शौहरत सब हासिल हो जाता है पर सब मिलने पर फिर यही सवाल रहता है कि अब क्या , और क्या । माइकल की मौत भले ही दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदी हो पर उसकी मौत एक बात ज़रूर पुख्ता कर देती है कि वाकई एक कलाकार की ही मौत थी, क्योंकि आज तक जितनी भी बड़ी हस्तियों की मौत हुई उन सब की मौत के बाद लोग विभाजित हुए हैं पीर हों पैग्मबर हों या फिर कोई अवतार पर जैक्सन की मौत पर दुनिया के हर शहर हर गली में उसके संगीत से लोगों की आंखें नम हो गई।
दूसरी बड़ी खबर मैं टी-20 विश्व कप में पाकिस्तान की विजय का भी जिक्र करूंगा क्योंकि जिस दौर से पाकिस्तान गुज़र रहा हैं वहां जीतना वाक्ई में काबिले तारीफ हैं। जहां दुनिया का हर शख्स पाकिस्तानियों को शक और नफरत की नज़र से देखता है वहां इस जीत से उनको मिली तारीफ उन्हे एक नई कुव्वत ज़रूर देगी ।
इसी बीच चैनल की टीआरपी में भी काफी उल्ट फेर हुए...एनडीटीवी अपनी बादशाहत कायम करने के लिए..पायदानों में बढौतरी कर रहा है..सहारा समय भी न्यूज़-24 को पीछे धकेल चुका है....
और साथ ही धब्बा लगा मोदी की साख पर भी आदर्श आचरण नैतिकता और भी बड़े बड़े शब्दों का बखान करने वाली बीजेपी और मोदी की सरकार का ही एक पार्षद नकली शराब से लोगो की जान लेने का आरोपी पाया गया । ये बात तो सब जानते है कि गांधी के राज्य में गांधी के विचारों पर मोदी सरकार नही चलती पर इतना गिर चुकी हैं इसका अंदाज़ा नही था। इसी के साथ में आपको एक वाक्या बताता चलूं पिछले विधानसभा चुनाव में मैं गुजरात के दौरे पर था वहां नवसारी जहां रतन टाटा का पुशतैनी घर हैं वहां पर भी जाना हुआ । नवसारी के लोगों से बात हुई तो उनका कहना था कि जो हमें शराब देगा उसी पर वोट पड़ेगा ।
शराबबंदी के राज में जहां खुलेआम लोग उसे वोट देने की बात कह रहे थे जो उन्हे शराब दे । जब हमने ये खबर आम की तो हमें इसका काफी विरोध झेलना पड़ा था। खुद मोदी ने हमारी इस रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए थे और हमें काग्रेस का पिट्ठू करार दिया था। और आज उनकी खामोशी या शर्मिंदगी पूरे देश में जग ज़ाहिर है कि मोदी औऱ बीजेपी का असली चेहरा क्या है।
दिल्ली में मेट्रो का हादसा और देश में सूखा फिर कहीं बाढ़ ने भी मुझको बहुत दुखी किया ।
प्रधानमंत्री का नैम की बैठक में शामिल होने के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री युसुफ रज़ा गिलानी से मिलना भी काफी अहम था। इस मुलाकात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि आज भारत पाकिस्तान की जगह खड़ा है। दरअसल पिछले करीब दो दशकों से पाकिस्तान भारत से कहता था कि पहले कश्मीर का मुद्दा सुलझाओं फिर कोई बातचीत होंगी , पर भारत का नज़रिया था कि कश्मीर मुद्दे को बातचीत से जोड़ना ठीक नही । अब वहीं हाल भारत का हैं , भारत चाहता था कि पहले 26-11 के गुनाहगारों को सज़ा हो फिर बातचीत बढ़ाई जाए लेकिन पाकिस्तान इस बार कामयाब रहा आतंक के मुद्दे को समग्र वार्ता के मुद्दे से अलग करवाने में । यानी अब जो बड़े मुद्दे है , चाहे आतंक हो , या कश्मीर उन्हे एक तरफ रखकर बातचीत जारी रहेगी ।
गुलाम नबी आज़ाद का परिवार नियोजन का नया तरीका भी पिछले दिनों चर्चा में रहा।
मायावती के हाथियों को अदालत ने सुरक्षित रखा । साथ ही रीता बहुगुणा पर दलित एक्ट और माया का ज्वालामुखी रुप भी दिखा।
अंत करता हूं अपने लेख का एक अच्छी खबर से आम आदमी का सपना साकार हुआ हैं. नैनों आम आदमी तक पहुंच गई . और सबसे पहले इसकी चाबी रतन टाटा ने खुद आकर दी आम से खास आदमी बन चुके अशोक विचारे को ।
काफी दिनो के बाद लिखने बैठा तो जाना की ज़िन्दगी बहुत ते़ज़ दौ़ड रही है ..जब रूक कर देखा तो पाया बहुत कुछ आगे निकल गया है। आज अपनी पोस्ट में उन का ही ज़िक्र करूगां जो आगे निकल गये..
जब अपनी आखिरी पोस्ट लिखी थी तब फ्रांस में बुर्के पर पांबदी लगाई गई थी..उसके बाद ही ज़िन्दगी के चक्र में बहुत व्यस्त हो गया ऑफिस में बजट और घर में बेचैनी। इसी बीच ब्लॉग पर कुछ लिखने का मन तो बहुत किया पर थकान के मारे लिख ना सका। फिर कुछ दुनिया में और देश में ऐसे हादसे और वाक्ए गुज़रे कि ज़िंदगी सुन हो गई ।
इसी में से माइकल जैक्सन की दुखद मौत भी एक है। माइकल जैक्सन की मौत ने ये सोचने पर मजबूर किया कि इंसान एक लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ता है और उस मुकाम पर पहुंचने पर कितना बिखर जाता है । पैसा दौलत शौहरत सब हासिल हो जाता है पर सब मिलने पर फिर यही सवाल रहता है कि अब क्या , और क्या । माइकल की मौत भले ही दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदी हो पर उसकी मौत एक बात ज़रूर पुख्ता कर देती है कि वाकई एक कलाकार की ही मौत थी, क्योंकि आज तक जितनी भी बड़ी हस्तियों की मौत हुई उन सब की मौत के बाद लोग विभाजित हुए हैं पीर हों पैग्मबर हों या फिर कोई अवतार पर जैक्सन की मौत पर दुनिया के हर शहर हर गली में उसके संगीत से लोगों की आंखें नम हो गई।
दूसरी बड़ी खबर मैं टी-20 विश्व कप में पाकिस्तान की विजय का भी जिक्र करूंगा क्योंकि जिस दौर से पाकिस्तान गुज़र रहा हैं वहां जीतना वाक्ई में काबिले तारीफ हैं। जहां दुनिया का हर शख्स पाकिस्तानियों को शक और नफरत की नज़र से देखता है वहां इस जीत से उनको मिली तारीफ उन्हे एक नई कुव्वत ज़रूर देगी ।
इसी बीच चैनल की टीआरपी में भी काफी उल्ट फेर हुए...एनडीटीवी अपनी बादशाहत कायम करने के लिए..पायदानों में बढौतरी कर रहा है..सहारा समय भी न्यूज़-24 को पीछे धकेल चुका है....
और साथ ही धब्बा लगा मोदी की साख पर भी आदर्श आचरण नैतिकता और भी बड़े बड़े शब्दों का बखान करने वाली बीजेपी और मोदी की सरकार का ही एक पार्षद नकली शराब से लोगो की जान लेने का आरोपी पाया गया । ये बात तो सब जानते है कि गांधी के राज्य में गांधी के विचारों पर मोदी सरकार नही चलती पर इतना गिर चुकी हैं इसका अंदाज़ा नही था। इसी के साथ में आपको एक वाक्या बताता चलूं पिछले विधानसभा चुनाव में मैं गुजरात के दौरे पर था वहां नवसारी जहां रतन टाटा का पुशतैनी घर हैं वहां पर भी जाना हुआ । नवसारी के लोगों से बात हुई तो उनका कहना था कि जो हमें शराब देगा उसी पर वोट पड़ेगा ।
शराबबंदी के राज में जहां खुलेआम लोग उसे वोट देने की बात कह रहे थे जो उन्हे शराब दे । जब हमने ये खबर आम की तो हमें इसका काफी विरोध झेलना पड़ा था। खुद मोदी ने हमारी इस रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए थे और हमें काग्रेस का पिट्ठू करार दिया था। और आज उनकी खामोशी या शर्मिंदगी पूरे देश में जग ज़ाहिर है कि मोदी औऱ बीजेपी का असली चेहरा क्या है।
दिल्ली में मेट्रो का हादसा और देश में सूखा फिर कहीं बाढ़ ने भी मुझको बहुत दुखी किया ।
प्रधानमंत्री का नैम की बैठक में शामिल होने के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री युसुफ रज़ा गिलानी से मिलना भी काफी अहम था। इस मुलाकात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि आज भारत पाकिस्तान की जगह खड़ा है। दरअसल पिछले करीब दो दशकों से पाकिस्तान भारत से कहता था कि पहले कश्मीर का मुद्दा सुलझाओं फिर कोई बातचीत होंगी , पर भारत का नज़रिया था कि कश्मीर मुद्दे को बातचीत से जोड़ना ठीक नही । अब वहीं हाल भारत का हैं , भारत चाहता था कि पहले 26-11 के गुनाहगारों को सज़ा हो फिर बातचीत बढ़ाई जाए लेकिन पाकिस्तान इस बार कामयाब रहा आतंक के मुद्दे को समग्र वार्ता के मुद्दे से अलग करवाने में । यानी अब जो बड़े मुद्दे है , चाहे आतंक हो , या कश्मीर उन्हे एक तरफ रखकर बातचीत जारी रहेगी ।
गुलाम नबी आज़ाद का परिवार नियोजन का नया तरीका भी पिछले दिनों चर्चा में रहा।
मायावती के हाथियों को अदालत ने सुरक्षित रखा । साथ ही रीता बहुगुणा पर दलित एक्ट और माया का ज्वालामुखी रुप भी दिखा।
अंत करता हूं अपने लेख का एक अच्छी खबर से आम आदमी का सपना साकार हुआ हैं. नैनों आम आदमी तक पहुंच गई . और सबसे पहले इसकी चाबी रतन टाटा ने खुद आकर दी आम से खास आदमी बन चुके अशोक विचारे को ।
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