कुछ अधूरे काम बचें...
कुछ अधूरे काम बचें...
उम्र साठ साल ..
नौकरी से मुक्त
बच्चों की ज़िम्मेदारियों से रिहा..
न कर्ज़ न कोई फर्ज़..
जी लूं तो ठीक..
न रहूं तो भी सही..
कोई आए तो अच्छा
न मिले तो बेहतर..
भगवान की शरण में
तीर्थ स्थानों में
मंदिर में, दरगाहों में
इस से, उस से
जहा और जिससे वक्त गुज़र जाए
वो बेहतर
पर कुछ पूरा करने की चाहत में
कुछ हसरतों के एहसास में
उम्र के कुछ दिन बचें हैं..
कुछ अधूरे काम बचें हैं..
कभी किसी का दिल तोड़ा
कभी कोई रिश्ता छोड़ा
कभी इस फिराक में
कभी उस जुगाड़ में
इससे लिया उसको दिया
वहां अच्छा बना तो वहां बुरा बना
किसी का भला किया तो किसी की भुला दिय़ा ..
ज़िन्दगी के इस मुकाम पर
कुछ अधूरे काम पड़े हैं...
मां की गोद से कब ज़मी पर चला
बाप की उंगली से कब छूट गया
जाने किस रिश्तो से घीरा
किस बंधन में बंधा ..
सोचता हूं मैं
क्या मैने सब कुछ पूरा किया ..
सागर की लहरों में मोतियों की खोज से
ज़िन्दगी के इस पल में कुछ
अधूरे काम बचें है.......
शान.....
उम्र साठ साल ..
नौकरी से मुक्त
बच्चों की ज़िम्मेदारियों से रिहा..
न कर्ज़ न कोई फर्ज़..
जी लूं तो ठीक..
न रहूं तो भी सही..
कोई आए तो अच्छा
न मिले तो बेहतर..
भगवान की शरण में
तीर्थ स्थानों में
मंदिर में, दरगाहों में
इस से, उस से
जहा और जिससे वक्त गुज़र जाए
वो बेहतर
पर कुछ पूरा करने की चाहत में
कुछ हसरतों के एहसास में
उम्र के कुछ दिन बचें हैं..
कुछ अधूरे काम बचें हैं..
कभी किसी का दिल तोड़ा
कभी कोई रिश्ता छोड़ा
कभी इस फिराक में
कभी उस जुगाड़ में
इससे लिया उसको दिया
वहां अच्छा बना तो वहां बुरा बना
किसी का भला किया तो किसी की भुला दिय़ा ..
ज़िन्दगी के इस मुकाम पर
कुछ अधूरे काम पड़े हैं...
मां की गोद से कब ज़मी पर चला
बाप की उंगली से कब छूट गया
जाने किस रिश्तो से घीरा
किस बंधन में बंधा ..
सोचता हूं मैं
क्या मैने सब कुछ पूरा किया ..
सागर की लहरों में मोतियों की खोज से
ज़िन्दगी के इस पल में कुछ
अधूरे काम बचें है.......
शान.....
Comments
full of emotion
prashant..