सरकारी आदमी काम क्यों नहीं करता ...
सरकारी आदमी काम क्यों नहीं करता ...
आज भी किसी सरकारी दफतर जाते वक्त रूह कांप जाती है ..एक डर और खौफ अंदर होता है न जाने क्या होगा ...
मुझे पता है इस लेख से कुछ नहीं होगा ... 62 साल से कुछ नहीं हुआ तो अभी कुछ होगा इसकी मुझे उम्मीद नहीं है पर मैं इसे अपना फर्ज़ समझता हूं की इस बात को आप सब के सामने लाया जाए..
शायद सरकारी महकमे में जाने से पहले हम मानसिक रूप से तैयार रहें.. यहां भाई कुछ भी काम एक बारी में बिना रिश्वत दिए बिना बहस और परेशानी लिए..और बिन ब्लड परेशर की गोली खाए नहीं हो सकता ।
आज ये बात मेरे अकंल ने मुझे बताई जिन की उम्र देश की आज़ादी के बराबार ही है...दुख की बात ये है..ये उस महकमें की बात है.. जो दावा करता है की वो आपकी परेशानी और दुख में आपके साथ है और रहेगा ..जी एलआईसी (LIC)..
अंकल ने रिटार्यरमेंट से पहले एलआईसी का यूलीप प्लान लिया था .15,000 हज़ार सलाना का .. जिसके भुगतान का आज आखिरी साल था और तारीख भी आखिरी थी ...
तो अंक्ल ठीक समय से घर से निकल पड़े .. दिल्ली के जगतपुरी के दफ्तर पहुचें तो पता चला की यहां से ऑफिस हटा दिया गया है ...जिसकी सूचना उन्होने अपने ग्राहकों को नहीं दी ...
वहा किसी को खबर भी नही की दफ्तर का अता पता क्या है ..पूछते –पूछते बारिश हो गई ..और बारिश के बाद दिल्ली का क्या हुआ ये आप सबने आज टीवी पर देख लिया होगा ..
अंक्ल की उम्र बारिश और मानसिक तनाव ..दफ्तर खोजते–खोजते तीन बज कर तीन मिनट हो गए ... जब वो उस खिड़की पर पहुचें जहां चेक जमा करना था उस बाबू ने तख्ती दिखा दी....की वक्त पूरा हुआ..
कई मिन्नतें की गुज़ारिश की पर बाबू अपनी कुर्सी से उठ गया ..शायद उसने दिन भर बहुत काम किया था .. ठीक टाइम पर आता है लंच वक्त से पहले कर लेता है .. और पूरे दिन ख़ाली नहीं बैठता सारे कायदे कानून का पूरा पालन करता है ..
इसलिए भीगे बुर्ज़ग की प्रार्थना भी उनको सुनाई नही दी ..
हर बार कोई न कोई कूढ़ कर सरकारी दफतर से वापस आ जाता है ... क्यो करते हैं ये लोग ऐसा ..अब तो सैलरी भी सरकार अच्छी देती है ..इनके घर में भी लोग होगे जो किसी न किसी दफतर में काम के लिए जाते होगे क्या उन्हे इसका ख्याल कभी आता है... काश कोई सरकारी नौकरी करने वाला इसे पढ़े और बताए.. क्या उनको ज़बरदस्ती कोई नौकरी करा रहा है .. जो वो ऐसा करते है ...
शायद ये अब भाषण हो रहा है ...जिसका कोई महत्व नहीं होता .....
आज भी किसी सरकारी दफतर जाते वक्त रूह कांप जाती है ..एक डर और खौफ अंदर होता है न जाने क्या होगा ...
मुझे पता है इस लेख से कुछ नहीं होगा ... 62 साल से कुछ नहीं हुआ तो अभी कुछ होगा इसकी मुझे उम्मीद नहीं है पर मैं इसे अपना फर्ज़ समझता हूं की इस बात को आप सब के सामने लाया जाए..
शायद सरकारी महकमे में जाने से पहले हम मानसिक रूप से तैयार रहें.. यहां भाई कुछ भी काम एक बारी में बिना रिश्वत दिए बिना बहस और परेशानी लिए..और बिन ब्लड परेशर की गोली खाए नहीं हो सकता ।
आज ये बात मेरे अकंल ने मुझे बताई जिन की उम्र देश की आज़ादी के बराबार ही है...दुख की बात ये है..ये उस महकमें की बात है.. जो दावा करता है की वो आपकी परेशानी और दुख में आपके साथ है और रहेगा ..जी एलआईसी (LIC)..
अंकल ने रिटार्यरमेंट से पहले एलआईसी का यूलीप प्लान लिया था .15,000 हज़ार सलाना का .. जिसके भुगतान का आज आखिरी साल था और तारीख भी आखिरी थी ...
तो अंक्ल ठीक समय से घर से निकल पड़े .. दिल्ली के जगतपुरी के दफ्तर पहुचें तो पता चला की यहां से ऑफिस हटा दिया गया है ...जिसकी सूचना उन्होने अपने ग्राहकों को नहीं दी ...
वहा किसी को खबर भी नही की दफ्तर का अता पता क्या है ..पूछते –पूछते बारिश हो गई ..और बारिश के बाद दिल्ली का क्या हुआ ये आप सबने आज टीवी पर देख लिया होगा ..
अंक्ल की उम्र बारिश और मानसिक तनाव ..दफ्तर खोजते–खोजते तीन बज कर तीन मिनट हो गए ... जब वो उस खिड़की पर पहुचें जहां चेक जमा करना था उस बाबू ने तख्ती दिखा दी....की वक्त पूरा हुआ..
कई मिन्नतें की गुज़ारिश की पर बाबू अपनी कुर्सी से उठ गया ..शायद उसने दिन भर बहुत काम किया था .. ठीक टाइम पर आता है लंच वक्त से पहले कर लेता है .. और पूरे दिन ख़ाली नहीं बैठता सारे कायदे कानून का पूरा पालन करता है ..
इसलिए भीगे बुर्ज़ग की प्रार्थना भी उनको सुनाई नही दी ..
हर बार कोई न कोई कूढ़ कर सरकारी दफतर से वापस आ जाता है ... क्यो करते हैं ये लोग ऐसा ..अब तो सैलरी भी सरकार अच्छी देती है ..इनके घर में भी लोग होगे जो किसी न किसी दफतर में काम के लिए जाते होगे क्या उन्हे इसका ख्याल कभी आता है... काश कोई सरकारी नौकरी करने वाला इसे पढ़े और बताए.. क्या उनको ज़बरदस्ती कोई नौकरी करा रहा है .. जो वो ऐसा करते है ...
शायद ये अब भाषण हो रहा है ...जिसका कोई महत्व नहीं होता .....
Comments
Perhaps in the age of ATM, SMS and fast food people have stopped going to governemnt offices.