पीछे छूटती खुशी
पीछे छूटती खुशी कहां से शुरू करूं ..क्या शब्द सही हैं ,अक्षर ग़लत तो नहीं ।भागती हुई भीड़ में कहीं में पीछे तो नहीं ....कई साल बाद हरीश अपनी बालकनी में बैठा यही सोच रहा था ।31 साल की उसकी उम्र हो गई थी 32 साल का इस महीने वो हो जायेगा। लम्बे लम्बे उसके बाल कम हो गए थे ..जिन लटों को वो संवारता रहता था आज वहां खाली चमक रहे गई थी ...उसका दबा हुआ पेट आजकल काफी बाहर की तरफ बढ़ता जा रहा था । दोस्तों के साथ शराब और दूसरी आदतें भी छूट चुकीं थी । चार महीने पहले उसकी शादी हुई थी ... ज़ाहिर है जिस सोच को लेकर वो ज़िन्दगी को समझ रहा था और आगे बढ़ता जा रहा था वहां परिवार की रज़ामंदी की कोई जगह नहीं थी .. हां इस दौर में हर युवा अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ रहना चाहता है ..उसे इस आज़ाद देश में और आज़ादी की चाहत है ... किसी की बात और सलाह मानना तो दूर उसे सुनना भी गंवारा नहीं ... रेशमा एक सैय्यद मुस्लमानों के घर की लड़की थी । अच्छा खूबसूरत नैन नक्श काले बाल और गोरा रंग ... और उसके नैन किसी को भी अपनी तरफ आकृषित कर लें ... कई चीज़ों की तलाश और कई हसरतें और खुवाहीशें..पर मकसद क्या शायद उसे भी नहीं मालूम.....