उस जैसा
उस जैसा
सकल चराचर में उस जैसा
रत्न नहीं रे,
भार वहन कर उसके यश का
पवन बही रे
उसकी छवि को अंकित कर दे
ऐसा कहां चितेरा
उसके मुख को भूल जाए जो
ऐसा कहीं नहीं रे...
( जैसा तुम चाहो..शेक्सपियर)
सकल चराचर में उस जैसा
रत्न नहीं रे,
भार वहन कर उसके यश का
पवन बही रे
उसकी छवि को अंकित कर दे
ऐसा कहां चितेरा
उसके मुख को भूल जाए जो
ऐसा कहीं नहीं रे...
( जैसा तुम चाहो..शेक्सपियर)
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