साल2011
2011 की शुरूआत सत्यों के साथ हुई..रिश्तों की समझ बड़ी ..और.. हम कितने स्वार्थी है इसका एक बार फिर एहसास हुआ। प्रिय मित्र का स्वभाव देखकर दुख हुआ.रिश्तो को नसमझने का अफसोस भी .और हां कंपनी नोटिस पीरीयेड में चल रही है.मार्च तक का वक्त मिला है कुछ करने का पर न जाने क्यों इस बार इस का डर नहीं लगा .मन कहता है बंद ही हो जाये कंपनी अच्छा है फिर से कुछ नया और अपना करने के लिए कदम उठेगे.नौकरी नौकरी करते करते नौकर की तरह ही बन गए मालिक जो कहे सही है ठीक है इस बार तो दिल कहे रहा है होने दो जो हो रहा है और जो होगा उसको भी देख लेगे ..इस बार कोई तो खुशी आये गई ही..और वो ज़िन्दगी अपने साथ अपनी किस्मत ले कर आय़े गी । हमेशा हम ज्यादातर चीज़े पहले सुन चुके होते हैं लेकिन उसका अनुभव जब करते है तो वो सही से समझ में आती है ।पानी की गहराई पानी में उतर कर ही मालुम होती है और दुनिया के मेले में अपने को बेचना ही पड़ता कितनी जल्दी आप तैयार होते हे और कितनी जल्दी आपको खरीददार मिलते है इस पर सब निर्भर करता है पर बाज़ार मे रहना और खड़े रहना ही हिम्मत की बात है ...हिम्मत को बनाए रखना चाहिए और डट कर खड़े रहना चाहिए ...