किसी ने कहा -8
मनुष्य भगवान की सर्वोत्तम कलाकृत्ति है । भगवान ने अपना यह सृजन बड़े मनोयोग और अरमानों के साथ किया है । वे उसे देर तक दयनीय स्थिति में रहने नहीं दे सकते । माली को बगीचा सौंपा तो जाता है पर उसके हाथों बेच नहीं दिया जाता । इस विश्व की व्यवस्था मनुष्य के हाथों सौंपी जरूर गई थी, वह उसे सुन्दर, सुरक्षित और समुन्नत रखे, यह उत्तरदायित्व दिया अवश्य गया था । पर यदि वह उसे सँभालता नहीं - व्यतिक्रम करता है, तो उसी की मनमर्जी नहीं चलती रहने दी जा सकती । माली बदलेगा, क्रम सुधरेगा या व़ह जो भी करेगा, अपने अरमानों के इस सुरम्य दुनियां को इस प्रकार अस्त-व्यस्त नहीं होने देगा, जैसा की हो रहा है, किया जा रहा है ।
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