.चीख़ो की गूंज में .....खामोश आवाज़े ज़रूर उठेंगी।

कुछ लोग आजकल रामसिंह और खुरशीद अनवर की तुलना एक साथ कर रहें..।वो कर सकते हैं क्योकि हर की अपनी सोच है और सबको अधिकार है अगर आपकी मंशा ठीक है सोच सही है तो सब ठीक ... यही इस देश के प्रजातंत्र की खूबसूरती है लेकिन जिस तरह से तुलना की जा रही है और जो लोग कर रहे हैं वो लोग इस देश की वो  दरार दिखा रहे जो  दरार कुछ वक्त के लिए टोपी और बुर्के पहना कर दुनिया के सामने पेश करने की कोशिश की  जाती है ... नहीं तो बच्चपन से रह-रहे कर एक आवाज़ कान मे आ ही जाती है ..
1).जब पाकिस्तान बन गया तो इनका यहां क्या काम
2) ये लोग तो पाकिस्तान की जीत में खुशी मनाते हैं
3) इनकी जगह कैसे, क्या हम अपने देश में अपना धर्मस्थल भी नहीं बना सकते
4) दंगा तो action का reaction था
5) सब आंतकवादी  है..
6) मुफ्त का ख़ाना जगह और पैसे मिल रहे इस लिये ये ठंग में भी यहां पर रह रहे हैं...

Comments

PD said…
सहमत

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