या अल्लाह
थंब था मैं फिर भी थल पर न रूक सका
दिनकर था मैं फिर भी दाह से न बच सका
दुष्कर हो गया जीवन मेरा इन दिधार्थक बातों से
इस कलयुग के अंधकार में इन रण की रातों से.............
या अल्लाह….
शफीक मियां सुबह सुबह घर से उमदा कुर्ता पजामा पहन कर आफिस के लिये चल दिये । रास्ते में कई फोन आये... कोई बड़ा बदलाव आज होने वाला है इसकी उनको भनक पड़ चुकी थी ।लेकिन बदलाव क्या है इसका अंदाज़ा वो नहीं लगा पा रहे थे... शफीक मियां ने न्यूज़ चैनल में बहुत जल्दी तरक्की की ....
वैसे तो उनके पास पत्रकारिता का कोई अनुभव नहीं था पर आजकल वो चैनल के कई दिग्गजो को पत्रकारिता के गुण सिखाते पाये जाते हैं.. क्योकि नौकरी में तरक्की इसलिये नहीं होती की आप बहुत काबिल है ..... आप कितने अपने बॉस के करीब है ये महत्वपूर्ण बात होती है ..और अपने सीनियर को कैसे शीशे में उतारना इसमे वो बहुत माहिर हैं...
आज क्या होगा इसी पशोपेश में है वो... एक सही बात आप को बताते चले शफीक मियां को बहुत ज्यादा उम्मीद है कि इस बार इनको कोई बड़ी ज़िम्मेदारी मिलने वाली है .. आखिर क्यों न मिले, हर काम .. जी हां ,बॉस के काम की बात हो रही है सब टाइम पर करवाया.. कई बार पार्टी भी दी ... शराब भी पिलाई.. रेलवे टिकट भी करवाया.. रिशतेदारों के बच्चो का सांसद से कहे कर दाखिला भी कराया...और भी बहुत कुछ.. जी ...कभी बॉस की बुराई नहीं सुनी सब जानते है वो सर के कितने करीब हैं ...
इन्ही सपनो के साथ वो दफतर पहुंच गये पर माहौल काफी संजीदा था हर आदमी कुछ न कुछ कर रहा था ...बॉस लापता हैं शफीक ने फोन मिलाया पर फोन बज कर खामोश हो गया ... शफीक मियां का चेहरा उतर गया..आने वाले बुरे वक्त का आभास हो चुका था । सोचा, अगर कुछ पहले पता होता तो दिवाली का डिब्बा तो सही जगह पहुचा देता ।
तभी बिग बॉस यानी कंपनी के मालिक आते हैं, साथ में तीन नये चेहेरे भी हैं। सब लोगो को बुलाया जाता और कहा जाता है आज से ये लोग चैनल चलाए गे ...
सब ताली से स्वागत करते हैं .. खिसयानी ही सही पर मुस्कुराहट सब के चेहरे पर थी ...तभी ज़ोर ज़ोर से ताली बजाते हुए शफीक मिया उन लोगो के एकदम करीब पहुच गये ,..... बड़े सम्मान के साथ मिले और अपना परिचय दिया ... सब ने देखा और सब मन में बोले या अल्लाह शफीक मिया जैसा हम को भी बनाए..........
दिनकर था मैं फिर भी दाह से न बच सका
दुष्कर हो गया जीवन मेरा इन दिधार्थक बातों से
इस कलयुग के अंधकार में इन रण की रातों से.............
या अल्लाह….
शफीक मियां सुबह सुबह घर से उमदा कुर्ता पजामा पहन कर आफिस के लिये चल दिये । रास्ते में कई फोन आये... कोई बड़ा बदलाव आज होने वाला है इसकी उनको भनक पड़ चुकी थी ।लेकिन बदलाव क्या है इसका अंदाज़ा वो नहीं लगा पा रहे थे... शफीक मियां ने न्यूज़ चैनल में बहुत जल्दी तरक्की की ....
वैसे तो उनके पास पत्रकारिता का कोई अनुभव नहीं था पर आजकल वो चैनल के कई दिग्गजो को पत्रकारिता के गुण सिखाते पाये जाते हैं.. क्योकि नौकरी में तरक्की इसलिये नहीं होती की आप बहुत काबिल है ..... आप कितने अपने बॉस के करीब है ये महत्वपूर्ण बात होती है ..और अपने सीनियर को कैसे शीशे में उतारना इसमे वो बहुत माहिर हैं...
आज क्या होगा इसी पशोपेश में है वो... एक सही बात आप को बताते चले शफीक मियां को बहुत ज्यादा उम्मीद है कि इस बार इनको कोई बड़ी ज़िम्मेदारी मिलने वाली है .. आखिर क्यों न मिले, हर काम .. जी हां ,बॉस के काम की बात हो रही है सब टाइम पर करवाया.. कई बार पार्टी भी दी ... शराब भी पिलाई.. रेलवे टिकट भी करवाया.. रिशतेदारों के बच्चो का सांसद से कहे कर दाखिला भी कराया...और भी बहुत कुछ.. जी ...कभी बॉस की बुराई नहीं सुनी सब जानते है वो सर के कितने करीब हैं ...
इन्ही सपनो के साथ वो दफतर पहुंच गये पर माहौल काफी संजीदा था हर आदमी कुछ न कुछ कर रहा था ...बॉस लापता हैं शफीक ने फोन मिलाया पर फोन बज कर खामोश हो गया ... शफीक मियां का चेहरा उतर गया..आने वाले बुरे वक्त का आभास हो चुका था । सोचा, अगर कुछ पहले पता होता तो दिवाली का डिब्बा तो सही जगह पहुचा देता ।
तभी बिग बॉस यानी कंपनी के मालिक आते हैं, साथ में तीन नये चेहेरे भी हैं। सब लोगो को बुलाया जाता और कहा जाता है आज से ये लोग चैनल चलाए गे ...
सब ताली से स्वागत करते हैं .. खिसयानी ही सही पर मुस्कुराहट सब के चेहरे पर थी ...तभी ज़ोर ज़ोर से ताली बजाते हुए शफीक मिया उन लोगो के एकदम करीब पहुच गये ,..... बड़े सम्मान के साथ मिले और अपना परिचय दिया ... सब ने देखा और सब मन में बोले या अल्लाह शफीक मिया जैसा हम को भी बनाए..........
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