मैं एक असफल आदमी हूं......

कुछ पता नहीं जिन्दगी अपनी रफतार से चली जा रही है.बहुत आगे निकलने के बाद देखता हूं.. तो लगता है बहुत कुछ पीछे छूट गया ..कई लोगों को भूल गया कई रास्तों को छोड़ दिया .. कई रिशतों को तोड़ दिया ..
किस तरफ चलना चाहता था किस तरफ चल रहूं ..कुछ दिन हंसी-खुशी में कटते हैं ।
फिर वो ही अंधेरी रात ..और मेरा अकेलापन मेरे साथ हो लेता है ..हर चीज़ से बोर होने लगता हूं.. लगता है क्या कर रहा हूं...और क्या करने जा रहा हूं..सुकून की तलाश..
पर फिर सोचता किस चीज़ का सुकून पैसों का या रिशतों का या फिर दोनो का ...
किसी से बात करने का दिल नहीं करता ,किसी की इज्ज़त करने का मन नहीं करता .कोई बोले तो उसको दस बाते सुनाने का मन करता है ..कहीं किसी तरह खुश नही..
कई बार मन करता है मर जाऊ पर वो भी इतना आसान नहीं.. ट्रेन,बस, पानी ,बेल्ड ,गैस , फिनायल ,पंखा, सब को देख कर डर लगने लगता है ..और डरपोक लोग मर नहीं सकते है ..इसलिये और उदास हो जाता हूं...कि करूं तो क्या करूं...
सड़क पर चलता हूं तो लगता है ..हर आदमी मेरी तरफ देख रहा है, हंस रहा है, मेरा मज़ाक उड़ा रहा .. मुझ पर ताने कस रहा है ..दुनिया से नफरत होने लगी है रिशते झूठे लगने लगे है .. अपना हर फैसला ग़लत लगने लगा है ...
छुट्टी ली थी कुछ सार्तक काम और आराम करने के लिये अब मन कर रहा जल्द ऑफिस चला जाऊं वहीं पर ठीक है ..घर पर तो नहीं रहे सकता ...दोस्तों के फोन आजाते हैं ..कुछ पुरानी बाते कुछ गिले शिकवे हो जाते हैं ..पर दिल की बात नहीं कहे पाता ...कहना नहीं चाहता ,लगता नहीं कि वो भी मुझको समझ पायेंगे... क्योकि मैं खुद अभी तक अपने को समझ नहीं पाया हूं..
कई कहते हैं मैं बहुत चलाक हूं कई कहते हैं मैं बहुत तेज़ और शातिर हूं .कईयों का मानना है मैं सीधा हूं..बहुत से बोलते हैं हर काम के पीछे मेरा दिमाग है ..और काफी दूर की सोच है .. पर मुझे नहीं पता, पर हां,मैं ऐसा कुछ नहीं करता हूं जिससे किसी का बुरा हो ..और मेरा भला ..ना मैं दूर की सोच सकता हूं ..पर हां मैं साफ साफ मुंह पर सब कहे सकता हूं शायद ये ही ग़लत है ..क्यों की दुनिया के रिशते बनावटी हैं यहां दिखावा है जहां दिखावा होता है वहां सच नही होता ..इसलिये इस दिखावे कि दुनिया में रहना है तो वैसी ही रहो जैसे वो आपको देखना चाहते है ..
.. बात छोटी सी है कि .. मैं एक असफल आदमी हूं......

Comments

Udan Tashtari said…
अपने आपको अपनी पसंदीदा गतिविधियों में व्यस्त रखिये. इतनी नाकारात्मक सोच ठीक नहीं. और कुछ नहीं तो ब्लॉग जगत में, इन्टरनेट में..जहाँ जी करे, बस, व्यस्त रहें. कुछ समय में डिप्रेशन का समय गुजर जायेगा.अच्छे गीत सुनिये. दोस्तों के संग, मन न भी हो, तो भी उठिये बैठिये, पिकनिक पर जाईये मगर खाली और अकेले बैठ कर फालतू की सोच में मत पड़ें.

मेरी शुभकामनाऐं. अब कोई मजेदार पोस्ट लिखिये..हंसी मजाक वाला कोई वाकिया..बचपन का ही सही.
Udan Tashtari said…
अपने आपको अपनी पसंदीदा गतिविधियों में व्यस्त रखिये. इतनी नाकारात्मक सोच ठीक नहीं. और कुछ नहीं तो ब्लॉग जगत में, इन्टरनेट में..जहाँ जी करे, बस, व्यस्त रहें. कुछ समय में डिप्रेशन का समय गुजर जायेगा.अच्छे गीत सुनिये. दोस्तों के संग, मन न भी हो, तो भी उठिये बैठिये, पिकनिक पर जाईये मगर खाली और अकेले बैठ कर फालतू की सोच में मत पड़ें.

मेरी शुभकामनाऐं. अब कोई मजेदार पोस्ट लिखिये..हंसी मजाक वाला कोई वाकिया..बचपन का ही सही.
seema gupta said…
"कौन कहता है की आप असफल आदमी हैं......असफल आदमी इतना जिगर नही रखता की इतनी बेबाकी से अपनी नाकामी का या अपनी उलझनों को सबके साथ बाँट सके....आपकी यही सोच और आपके शब्द ये कहते हैं की आप बेशक जिन्दगी से या हालत से नाराज हैं....मगर असफल नही.....आपमें बहुत करने का हौसला है....अपने जज्बात बाँट कर दिल हल्का कीजिये और समीर जी की बातो पर गौर कीजिये...बस सबकुछ अच्छा और सुहाना लगेगा आपको.."

Regards
Anonymous said…
यार ,
पहले ब्लॉग का रंग बदलो , फिर जिंदगी का रंग बदल जाएगा .
रोने से कुछ नही होता है . हसने की आदत डाली . और मेरा ब्लॉग
लातिकेश.ब्लोग्प्सोत.कॉम पढ़ा करो
लतिकेश
मुंबई

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