शराब मौत की घंटी

शराब मौत की घंटी

पिछले दो हफ्तों से हर शुक्रवार को फोन की घंटी बजती है तो किसी के मौत की ही खबर सुनने को मिलती है .. जिनकी लोगों की मौत की ख़बर मिली वो मेरे कुछ खास नहीं थे पर उनकी ज़िन्दगी को मैने बहुत करीब से देखा हर पल उनका संघर्ष हर वक्त जिन्दगी को जीने की आस ..कुछ करने का ज़ोर फिर निराशा हाथ...
महेश कालरा से मेरी मुलाकात एक प्रोडक्शन हाउस में हुई.. उस वक्त उनकी सेलरी हम सब से ज्यादा थी .. फ्रेंच कट, सिर एकदम साफ पठानी सूट और मुहं से हर वक्त अंग्रेज़ी के शब्द ...देखते ही हर आदमी प्रभावित..पर ये प्रभाव ज्यादा दिन तक नही रहे पाता ..दूसरे दिन हर आदमी उनका मज़ाक उड़ाता हुआ दिखता ...
मैं दूसरा प्रोग्राम देखता था इसलिये उनसे ज्याद वास्ता नहीं पड़ता पर जो कैमरामैन उनके साथ जाता वो ये ही बताता यार कालराजी ऐसा शॉट्स बताते है कि बस .एक ही शॉट्स में ऊपर नीचे राईट लेफ्ट पैन ज़ूम सब कुछ.. मै भी मुस्कुरा देता .. एक दिन हमारे बॉस ने बुलाया और कहा कुछ फैशन की ऐवी हैं आप और महेश साथ करेगें.मुझे बहुत चीढ़ सी हुई जिस आदमी की इतनी बुराई सुनी हो उसके साथ काम करना मुझे ठीक नहीं लग रहा था ..सुना था कि हर चीज़ का क्रेडीट वो ले जाते हैं..
लेकिन उनसे तारूफ होने के बाद वो सारी बाते मुझे ग़लत लगने लगी ..महेश बहुत आशिक मिज़ाज हंसमुख अपनी दुनिया में रहने वाले एक क्रेटीव आदमी थे ।उनकी कल्पना शक्ति काफी तेज़ थी जिसे समझ पाना एक आम आदमी के बस में नही था वो जो सोचते उसको मैं शब्द और शॉट्स दोनो देता ..और हमने टेलीवीजन को के लिये काफी अच्छे प्रोग्राम दिये...लेकिन
शाम होते ही शराब की बोतल खुल जाती ऑफिस में पांबंदी होती तो बाहर जा कर पी आते ..धीरे धीरे हिम्मत बढ़ने लगी कैंम्पा की बोतल मे शराब ऑफिस में आने लगी .मैने नौकरी छोड़ कर चैनल में नौकरी शुरू कर दी ..
एक दिन महेश जी कि उन्होने भी नौकरी छोड़ दी है औऱ शादी कर ली है ..कुछ काम हो तो बताऊ.बाद में पता चला कि शराब के मारे उन्हे हटा दिया गया था...
एक आद जगह उन्हे काम दिलाया लेकिन वहां भी शराब के चक्कर में काम नही चल पाया .. घर में भी जब पैसे कमा कर नही ला पा रहे थे..तो झगड़ा लाज़मी है ..एक बार वो मुझे दिखे तो मैं देख कर डर गया महेश एक दम गल गया था ..
कुछ दिन के बाद पता चला एक बच्ची के बाप बन गये .काम हो तो दिला दो बस यही कहते रहते .पर शराब नहीं छोड़ पाये.. काम की कई जगह कोशिश की पर सफलता कहीं नहीं मिली और शराब भी नहीं छोड़ पाये..


आखिर में 2 फरवरी 2009 को उनके मोबाइल से फोन आता है
मैं कहता हूं हां महेशजी बहुत दिनो के बाद .वहां से एक औरत की आवाज़ आती है महेश की 30 जनवरी को मृत्यु हो गई और आज उनका चौथा है ...

मै अपने और दोस्तों से कहना चाहता हूं कि और कोई महेश नहीं मरे इस तरह ......

Comments

Vinay said…
सशक्त लेखन
Udan Tashtari said…
दुखद..विचारणीय.
इस शराब ने ना जानें कितने घर तबाह किए हैं।बहुत दुखद घटना है।
सचमुच बहुत बुरी चीज है ये....पता नहीं परनेवालों को यह बुरी क्‍यों नहीं लगती?

Popular posts from this blog

woh subhah kab ayaegi (THEATRE ARTISTE OF INDIA)

मुख्यमंत्री की बहू बनी कातिल....