HOSPITAL

दिल्ली का अपोलो अस्पताल और अस्पताल का आईसीयू वार्ड.. बेड पर एक बाप और शीशे से झाकते उसके दो लड़के रवि औऱ शशि... अब तक दो लाख का बिल बन चुका है बिमारी है कि खत्म होने का नाम नहीं ले रही ..और रकम दिन ब दिन खत्म होती जा रही है....
जिन्दगी अभी सही चल रही थी पर आचानक नरेंद्रपाल की तबीयत खराब हुई । पहले पडोस के डॉक्टर को दिखाया ,बात नहीं बनी तो नज़दीक के नर्सींग होम ले गए..तबीयत और बिगड़ गई...तो एक बड़े अस्पताल लेकर पहुचें .. जब सहेत नहीं संभली तो सब ने कहा अपोलो चलो...
अब तक टेस्ट मे पता चल चुका था की दोनो कि़डनी 90 प्रतिशत तक खराब हो चुकी है दिल की दो नसें पूरी तरह से बंद हो चुकी हैं..
मंहगें टेस्ट ,मंहगी दवाई, और पांचतारा अस्पताल , दो लाख का कंपनी मेडिकल इंशोरेंस देती है जो पहले ही खत्म हो चुका , घर की जमा पूंजी भी लग गई ..।
पहले रिशतेदारों से मांगा जिनकी जो हैसीयत थी दिया..किसी ने अपना समझ कर ,किसी ने मजबूर समझ कर ,किसी ने मुहं बनाकर ,किसी ने एहसान जता कर.. बाप हैं बचाना है सब को और सब कुछ सहना है ..
रिशतेंदारों के बाद दोस्तों से मांगने का सिलसिला शुरू हुआ.. बहुतों ने मदद की पर ज्यादातर ने फोन नहीं उठाया..हां सब की मजबूरियां होती हैं..
आखिर में शुरू हुआ सलाह और मश्वरे का दौर जो हर हिन्दुस्तानी का जन्म सिद् अधिकार है किसी ने कहा सरकारी अस्पताल ले चलते है ..सरकारी अस्पताल.. क्या किसी की सिफारिश है .. जी सरकारी अस्पताल में जाना है तो आपके पास सिफारिश होना ज़रूरी है नहीं तो आप का दम लाइन , वार्ड बॉय और बाबू के पास घूमते घूमते ही निकल जायेगा....
यही सवाल है आज एक आम आदमी के लिये क्या कोई इलाज संभव है ..सरकारी अस्पताल क्या किसी काम के हैं.. अभी हम नेट में मदद की गुहार लगायेगें तो कई हमदर्दी के नाते कई 80 सी के कारण.. और कुछ के पास इतना पैसा है वो यूंही देता है..अपने घर के सदके के नाम पर...
पर हमें दूसरों के आगे अपनों की ज़िन्दगी की भीख क्यों मांगनी पड़ती है...रूपये न होने के कारण क्यों किसी की ज़िन्दगी खत्म हो जाती है ..
आज कलम की ताकत खत्म होगी है पत्रकार नेताओं के दलाल हो गए हैं ..अपना काम करा के चलते बनते हैं आम जनता का क्या किसे फिक्र...
नेता के लिये ये कोई मद्दा नहीं..पर सोचिये जो देश चांद पर पहुचने की हिम्मत करता है खेलों मे लाखों रूपये वारे निआरे करता है .. फिल्मों में अरबों कमाता है पर एक आम इंसान बिना इलाज के मर जाता है ..कब सुधरेगे हमारे अस्पताल. ये शहरों की हालत है गांव का तो इसे भी बुरा हाल है..

क्यों किसी पार्टी को मंदिर मस्जिद को छोड़ कर अस्पताल बनाने की याद नहीं आती जहां सारी सुविधायें हों.. रवि शशि जैसे लड़कों को अपने बाप को बचाने के लिये खुद को बैचना न पड़े...

Comments

आज कल इलाज बौत महँगा हो गया है।आम आदमी की पहुँच से बाहर हो गया है।ये बड़े अस्पताल सरकार से जमीन लेते समय तो कहते हैं कि % गरीबो का मुफ्त इलाज करेगें लेकिन कभी इन को इस पर अमल करते नही देखा गया।
Anonymous said…
Achcha likha, achcha muda uthaya. Kyon nahi isi pe programme banaya jaye.......Kuch AV shots, ek panel discussion, janta se sawal aur ek ummid ki shayad kuch badal jaye...
daanish said…
aapka aalekh padh kar yahi kahaa
ja saktaa hai k aaj aam insaan ka
bimaar ho jana bhi ek gunaah.sa
ho gya hai.....
aapke mn ki duaaoN aur prarthna
mei hm sb bhi shaamil haiN . . .
---MUFLIS---

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