कुमारों का चैनल.
कुमारों का चैनल.
काफी दिनो से सोच रहा था आजकल चैनलों का स्तर इतना गिरता क्यों जा रहा है ... कुछ भी नया नहीं एक-दम नई इंडस्ट्री थी ये ..और इतनी जल्दी पतन हो गया ..मैने अपने कई लेखों में चैनल मैं हो रहे बदलाव और किस दिशा में जा रहे हैं हमारे पत्रकार ..इस विष्य पर मैने बहुत लिखा ..पर मुझे उम्मीद है इसको शायद ही किसी ने पढ़ा होगा ...क्योंकि आजकल पत्रकारिता के माई बाप का ज़िम्मा एक राज्य के कुछ बुद्दीजीवियों ने उठा लिया है ..जिन्हे खुद शब्द का ज्ञान नहीं आजकल वो शब्दावली की सरचना करते दिख रहें हैं.जिनकी बोली खुद इतनी बिगड़ी हुई आजकल वो भाषा का ज्ञान दे रहे है ..ये हैं कुमार..कोई आगे कुमार तो कोई पीछे कुमार .
इनके राज्य का हर सरकार में रेल मंत्री होता है ..हर भाई का एक भाईया होता है ..जिसके पास रेल का पास होता है ..और दिल्ली में रहने वाले एक दूसरे भाई के कमरे का पता होता है ...नौकरी तो मिल ही जायेगी ..काम तो सीख ही जायेगा ..अब तक जिन्होने ने परीक्षा पास करवाई है वो ही आगे की ज़िन्दगी भी पार करवा देगें...तो कुमार साहब दिल्ली पहुचं ही जाते हैं...
पत्रकारिता के शुरू के दौर की बात मुझे आज भी याद आती है बरेली मे एक नये रिपोर्टर की भर्ती हुईं उसने अपने दोस्त से पूछा यार मीडिया में सफल होने का क्या तरीका है ..दोस्त ने कहा अपने नाम के आगे या पीछे कुमार लिख ले सफल हो जायेगा ..उस वक्त में हंसा ..पर आप को हकीकत बताता हूं उसने ऐसा किया ..और आज वो सफल भी है ...अलबत्ता मेरे नज़र में सफलता के मापदंड अलग है ..
हां मैं बात कर रहां हूं कुमार चैनल का .और डूबते हुये गिरते हुये चैनलों के स्तर का ..देखिये टीलिविज़न एक क्रेटीव मीडियम है ..इसके लिये आपकी सोच शब्दों से पहले तस्वीरों तक पहुचनी चाहिये..और ये तब होगा जब आपके ज़हन में सिर्फ और सिर्फ टीवी हो..और आपकी कल्पना शक्ति काफी मज़बूत और आगे की ओर चलने की हो .. जो कि उस राज्य से आने वालों के पास नहीं है ..उन्हे सिर्फ राजनीति ही करनी आती है .. चाहे निर्देशक प्रकाश जझा हो या शेखर सुमन हो या फिर शत्रु सिन्हा..हां सिंगर भी राज नेता ..मनोज तिवारी...
राजनीति के कारण न ही ये अपने प्रदेश का विकास कर पाये और न ही ये कभी टेलिविज़न चैनल का कोई भला कर पायेगे वहां जो अच्छा काम रहा होगा उसे किसी दूसरे कुमार से हटवा देगें...हां अपना भला ज़रूर करेगे जैसे बाकी लोग कर रहे ..हर जगह कुमार या फिर कुमार की बिरादरी का कोई और..जो कुमार को ही लेगा और देगा ..वो चाहे ऑवर्ड हो या फिर कोइ प्रोग्राम .. यार आप खुद सोचो कैसे चल सकता है चैनल कुमारों से ....हद हो गई...
काफी दिनो से सोच रहा था आजकल चैनलों का स्तर इतना गिरता क्यों जा रहा है ... कुछ भी नया नहीं एक-दम नई इंडस्ट्री थी ये ..और इतनी जल्दी पतन हो गया ..मैने अपने कई लेखों में चैनल मैं हो रहे बदलाव और किस दिशा में जा रहे हैं हमारे पत्रकार ..इस विष्य पर मैने बहुत लिखा ..पर मुझे उम्मीद है इसको शायद ही किसी ने पढ़ा होगा ...क्योंकि आजकल पत्रकारिता के माई बाप का ज़िम्मा एक राज्य के कुछ बुद्दीजीवियों ने उठा लिया है ..जिन्हे खुद शब्द का ज्ञान नहीं आजकल वो शब्दावली की सरचना करते दिख रहें हैं.जिनकी बोली खुद इतनी बिगड़ी हुई आजकल वो भाषा का ज्ञान दे रहे है ..ये हैं कुमार..कोई आगे कुमार तो कोई पीछे कुमार .
इनके राज्य का हर सरकार में रेल मंत्री होता है ..हर भाई का एक भाईया होता है ..जिसके पास रेल का पास होता है ..और दिल्ली में रहने वाले एक दूसरे भाई के कमरे का पता होता है ...नौकरी तो मिल ही जायेगी ..काम तो सीख ही जायेगा ..अब तक जिन्होने ने परीक्षा पास करवाई है वो ही आगे की ज़िन्दगी भी पार करवा देगें...तो कुमार साहब दिल्ली पहुचं ही जाते हैं...
पत्रकारिता के शुरू के दौर की बात मुझे आज भी याद आती है बरेली मे एक नये रिपोर्टर की भर्ती हुईं उसने अपने दोस्त से पूछा यार मीडिया में सफल होने का क्या तरीका है ..दोस्त ने कहा अपने नाम के आगे या पीछे कुमार लिख ले सफल हो जायेगा ..उस वक्त में हंसा ..पर आप को हकीकत बताता हूं उसने ऐसा किया ..और आज वो सफल भी है ...अलबत्ता मेरे नज़र में सफलता के मापदंड अलग है ..
हां मैं बात कर रहां हूं कुमार चैनल का .और डूबते हुये गिरते हुये चैनलों के स्तर का ..देखिये टीलिविज़न एक क्रेटीव मीडियम है ..इसके लिये आपकी सोच शब्दों से पहले तस्वीरों तक पहुचनी चाहिये..और ये तब होगा जब आपके ज़हन में सिर्फ और सिर्फ टीवी हो..और आपकी कल्पना शक्ति काफी मज़बूत और आगे की ओर चलने की हो .. जो कि उस राज्य से आने वालों के पास नहीं है ..उन्हे सिर्फ राजनीति ही करनी आती है .. चाहे निर्देशक प्रकाश जझा हो या शेखर सुमन हो या फिर शत्रु सिन्हा..हां सिंगर भी राज नेता ..मनोज तिवारी...
राजनीति के कारण न ही ये अपने प्रदेश का विकास कर पाये और न ही ये कभी टेलिविज़न चैनल का कोई भला कर पायेगे वहां जो अच्छा काम रहा होगा उसे किसी दूसरे कुमार से हटवा देगें...हां अपना भला ज़रूर करेगे जैसे बाकी लोग कर रहे ..हर जगह कुमार या फिर कुमार की बिरादरी का कोई और..जो कुमार को ही लेगा और देगा ..वो चाहे ऑवर्ड हो या फिर कोइ प्रोग्राम .. यार आप खुद सोचो कैसे चल सकता है चैनल कुमारों से ....हद हो गई...
Comments
मन करता है बेच दूँ करके इसको पैक।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
ya to main confused hun ya fir aap..
koi bhi ho..aap ya main,
phir ye fark kyon ?