चुनाव के बाद आज़म ख़ान की छुट्टी.. मुलायम किस ओर...?
चुनाव के बाद आज़म ख़ान की छुट्टी.. मुलायम एनडीए के साथ...?
पिछले कुछ वक्त से आज़म और अमर का झगड़ा बढ़ता जा रहा है ..। हर प्रयास के बाद मुलायसिंह को असफलता मिल रही है.. पर 13 तारीख के बाद इसका रूझान मिलेगा और 16 के बाद नतीजा निकल आयेगा...
अब तक जो राजनीति गलयारों में खबर फैल रही है वो ये है कि आज़म खान की छुट्टी होनी तय है.. इसके पीछे जो वजह बताई जा रही है वो ये
1) आज़म खान समाजवादी पार्टी में एक मुस्लिम चेहरे के रूप में प्रस्तुत किये जाते है ...उनका इस्तमाल मुस्लिम वोट बटोरने के काम आता है ..पर इस बार ऐसा नहीं हुआ मुलायम ने ऐढी चोटी का ज़ोर लगा दिया..पर आज़म असली पठान निकले ..अड़ गये तो अड़ गये..
2) ऐसा नहीं की मुलायम ने उनका विकल्प नहीं ढूढ़ा.. मुलायम ने हर ठुचपुंजीया मुस्लिम नेता से संर्पक किया..इसका फायदा भी उनके कार्यकर्ताओं ने खूब उठाया.. उनके कुछ करीबी लोग, किसी भी दाढ़ी वाले को मुलायमसिंह के पास ले जाते औऱ कहते नेता जी ये वहां के है और इनके पास इतने वोट हैं ।नेता जी उनको झुक कर नमस्ते करते और एक से पाच लाख तक का चेक काट कर दे देते.
3) नेता जी के नोट भी गये और वोट भी ।कल्याण सिंह से दोस्ती के बाद मुल्ला मुलायम का तंबका भी छीन गया । क्योकि हिन्दुस्तान का मुस्लमान सब माफ कर सकता है पर बाबरी मस्जिद को शहीद करने वालों को कभी नही।अगर कल्याण को ही भूलना है तो आडवाणी को बक्शने में उसे क्या परहेज़...
4) कल्याण को लाने का मकसद था की मायावती के पिछड़े वोट बैंक में सेंध लगाना पर रामपुर से बगावत के चलते नया वोट तो अपना हो नहीं सका हां पुराना वोट ज़रूर रूठ गया ...जिसका श्रय सीधे तौर पर आज़म खान को जाता है ।
5) आज़म खान से पत्रकार ने पूछा आपकी बगावत रामपुर में समाजवादी को नुकसान पहुचाये गी ..इस पर आज़म खान ने कहा आप मेरा कद छोटा कर रहे हैं... मैं पूरे उतर प्रदेश में नुकसान पहुचाऊगां...और ये बात मुलायम भी समझ गए हैं ..और उनके अनुमान से काफी कम इस बार उन्हे सीटे मिल रही है...
6) जिन मुस्लमान के मारे सारा संघर्ष किया जब वो ही उनके साथ नहीं रहे ..जैसे काग्रेस के साथ हुआ वैसा अब उनके साथ होने वाला है ..तो फिर मुल्ला मुलायम की छवी साथ रख कर और आज़म ख़ान जैसों को पालने का क्या फायदा ...
7) इसलिये अमरसिह ने आखरी पासा फेंक दिया .कहा 13 के बाद फैसला होगा ..अमरसिंह बोले है तो फैसला ज़रूर होगा ,,साथ ही मुलायम को धमकी भी दे डाली की कुछ करें ,,मुलायम का भी जवाब आगया ..की फैसला ज़रूर होगा ..
8) सब जानते है कि लाल लगोट वाले मुलायम की न अब लगोंट टाइट रही और न अब इतना दम बचा की सीडी मास्टर अमर सिंह के खिलाफ कोई फैसला ले सके..।इसलिये आज़मखान की छुट्टी तय है ...
9) दूसरी बात मुलायम का बयांन आया जो सरकार मायावती की सरकार को बर्खास्त कर दे उसको वो समर्थन देगें..भले आडवाणी ने इसका विरोध किया पर चुनाव के बाद हरफंनमौला अमर सिंह किसी के भी बयां बदलवाने में माहिर है.
10) जब चुनाव में मुसलमान वोट ही नही मिला तो अगर नेताजी को एनडीए से फायदा मिले तो हर्ज ही क्या ...
इसलिये एक बात तो तय है रामपुर में जया प्रदा ही रहेगी समाजवादी की पंसद आज़मखान रूठे तो रूठते रहें..उनको कर दिया जायेगा गुडबाय ..और नये साथी की होगी तलाश ..क्योकि चन्द्रबाबू और जया का जो रिशता था वो जग ज़ाहीर है .और चन्द्रबाबू और एनडीए का रिशता भी सब को पता है ..तो एक पुराने रिश्ते के सहारे नये रिशते की शुरूआत हो सकती .. पंडित अमरसिंह कोई भी गोटी बिठा सकते हैं... ।।
पिछले कुछ वक्त से आज़म और अमर का झगड़ा बढ़ता जा रहा है ..। हर प्रयास के बाद मुलायसिंह को असफलता मिल रही है.. पर 13 तारीख के बाद इसका रूझान मिलेगा और 16 के बाद नतीजा निकल आयेगा...
अब तक जो राजनीति गलयारों में खबर फैल रही है वो ये है कि आज़म खान की छुट्टी होनी तय है.. इसके पीछे जो वजह बताई जा रही है वो ये
1) आज़म खान समाजवादी पार्टी में एक मुस्लिम चेहरे के रूप में प्रस्तुत किये जाते है ...उनका इस्तमाल मुस्लिम वोट बटोरने के काम आता है ..पर इस बार ऐसा नहीं हुआ मुलायम ने ऐढी चोटी का ज़ोर लगा दिया..पर आज़म असली पठान निकले ..अड़ गये तो अड़ गये..
2) ऐसा नहीं की मुलायम ने उनका विकल्प नहीं ढूढ़ा.. मुलायम ने हर ठुचपुंजीया मुस्लिम नेता से संर्पक किया..इसका फायदा भी उनके कार्यकर्ताओं ने खूब उठाया.. उनके कुछ करीबी लोग, किसी भी दाढ़ी वाले को मुलायमसिंह के पास ले जाते औऱ कहते नेता जी ये वहां के है और इनके पास इतने वोट हैं ।नेता जी उनको झुक कर नमस्ते करते और एक से पाच लाख तक का चेक काट कर दे देते.
3) नेता जी के नोट भी गये और वोट भी ।कल्याण सिंह से दोस्ती के बाद मुल्ला मुलायम का तंबका भी छीन गया । क्योकि हिन्दुस्तान का मुस्लमान सब माफ कर सकता है पर बाबरी मस्जिद को शहीद करने वालों को कभी नही।अगर कल्याण को ही भूलना है तो आडवाणी को बक्शने में उसे क्या परहेज़...
4) कल्याण को लाने का मकसद था की मायावती के पिछड़े वोट बैंक में सेंध लगाना पर रामपुर से बगावत के चलते नया वोट तो अपना हो नहीं सका हां पुराना वोट ज़रूर रूठ गया ...जिसका श्रय सीधे तौर पर आज़म खान को जाता है ।
5) आज़म खान से पत्रकार ने पूछा आपकी बगावत रामपुर में समाजवादी को नुकसान पहुचाये गी ..इस पर आज़म खान ने कहा आप मेरा कद छोटा कर रहे हैं... मैं पूरे उतर प्रदेश में नुकसान पहुचाऊगां...और ये बात मुलायम भी समझ गए हैं ..और उनके अनुमान से काफी कम इस बार उन्हे सीटे मिल रही है...
6) जिन मुस्लमान के मारे सारा संघर्ष किया जब वो ही उनके साथ नहीं रहे ..जैसे काग्रेस के साथ हुआ वैसा अब उनके साथ होने वाला है ..तो फिर मुल्ला मुलायम की छवी साथ रख कर और आज़म ख़ान जैसों को पालने का क्या फायदा ...
7) इसलिये अमरसिह ने आखरी पासा फेंक दिया .कहा 13 के बाद फैसला होगा ..अमरसिंह बोले है तो फैसला ज़रूर होगा ,,साथ ही मुलायम को धमकी भी दे डाली की कुछ करें ,,मुलायम का भी जवाब आगया ..की फैसला ज़रूर होगा ..
8) सब जानते है कि लाल लगोट वाले मुलायम की न अब लगोंट टाइट रही और न अब इतना दम बचा की सीडी मास्टर अमर सिंह के खिलाफ कोई फैसला ले सके..।इसलिये आज़मखान की छुट्टी तय है ...
9) दूसरी बात मुलायम का बयांन आया जो सरकार मायावती की सरकार को बर्खास्त कर दे उसको वो समर्थन देगें..भले आडवाणी ने इसका विरोध किया पर चुनाव के बाद हरफंनमौला अमर सिंह किसी के भी बयां बदलवाने में माहिर है.
10) जब चुनाव में मुसलमान वोट ही नही मिला तो अगर नेताजी को एनडीए से फायदा मिले तो हर्ज ही क्या ...
इसलिये एक बात तो तय है रामपुर में जया प्रदा ही रहेगी समाजवादी की पंसद आज़मखान रूठे तो रूठते रहें..उनको कर दिया जायेगा गुडबाय ..और नये साथी की होगी तलाश ..क्योकि चन्द्रबाबू और जया का जो रिशता था वो जग ज़ाहीर है .और चन्द्रबाबू और एनडीए का रिशता भी सब को पता है ..तो एक पुराने रिश्ते के सहारे नये रिशते की शुरूआत हो सकती .. पंडित अमरसिंह कोई भी गोटी बिठा सकते हैं... ।।
Comments