क्यो रोती हैं ..बार बार जयाप्रदा
क्यो रोती हैं ..बार बार जयाप्रदा
कैमरे पर क्या करना है इसका इस्तेमाल किस तरह किया जाये उसे कैसे अपना बनाया जाये ...ये अगर किसी को सीखना है तो वो जयाप्रदा से सीखे ...
एक बार आज़म ख़ान ने मंच पर बयान दिया कि किसी खूबसूरत चेहरे पर न जाये ..जो करना है सोच समझ कर करें... उस वक्त जयाप्रदा आंखे मलती देखी गईं.. आंखें जब आप मलते हैं तो पानी निकलना लाज़मी हैं.. ऐसा ही उनके साथ हुआ...पर हम चैनल वालों को तो मासला चाहिये..पुरानी खबर में नया एंगिल ..पुरानी तस्वीरों पर नई कहानी ..एडलाइन बन गई..आज़म की बात से जया आहत.. आंसू बहे जया के..
बस फिर क्या था ..औरतों के प्रेमी अमर सिंह कूद आये मैदान में आर-पार की लड़ाई के लिये..
पर जया जी ने भी इसका फायदा ढ़ू़ढ निकाला ..उनको भी रामपुर के नवाबों के खिलाफ ..उनको शर्मींदा करने का मुद्दा मिल गया..बस अब जहां आज़मखान का ज़िक्र हुआ नहीं जयाप्रदा कि आंखें नम होगीं..
पत्रकार औऱ कैमरामेन को भी पता चल गया ..रिपोर्टर ने जहां आज़म खान का ज़िक्र किया वहीं कैमरा मैन ने अपना फोक्स जया प्रदा की आंखों पर कर दिया ...भले ही इस सवाल से पहले जया धूप का चशमा लगायें हो पर ..ये सवाल पूछते ही वो अपना चशमा उतार देती और आंसूं .या पानी ले आती .. बस पत्रकार का आना भी सफल और जया का मिशन भी सफल..
जब उनके रोने की बात एक पत्रकार ने आज़म खान को बताई..तो उन्होने उस का जवाब इस तरह से दिया भई वो अभिनेत्री हैं ..उन्हे पता है किस वक्त कौन सा रीएक्शन देना है..वो तो एक वक्त में कई भाव दे सकती हैं..
पहले ये बात अजीब सी लगी पर जब हर चैनल में हर पत्रकार को जवाब देते जया इसी मुद्रा में दिखी तो लगा की बात में दम है..बार बार तो इंसान अपने सगे के मरने पर भी नहीं रोता ..जया जी कुछ तो नया करों..जीतो या हारों अपने इमान में तो सच्ची रखो..अभिनय ही करना है तो फिल्मों में वापस चली जाऊ..आपके लिये तो साउथ के भी दरवाज़े खुले हैं.. क्यों गरीब जनता को अपने आंसूओं में डूबा रही हो
कैमरे पर क्या करना है इसका इस्तेमाल किस तरह किया जाये उसे कैसे अपना बनाया जाये ...ये अगर किसी को सीखना है तो वो जयाप्रदा से सीखे ...
एक बार आज़म ख़ान ने मंच पर बयान दिया कि किसी खूबसूरत चेहरे पर न जाये ..जो करना है सोच समझ कर करें... उस वक्त जयाप्रदा आंखे मलती देखी गईं.. आंखें जब आप मलते हैं तो पानी निकलना लाज़मी हैं.. ऐसा ही उनके साथ हुआ...पर हम चैनल वालों को तो मासला चाहिये..पुरानी खबर में नया एंगिल ..पुरानी तस्वीरों पर नई कहानी ..एडलाइन बन गई..आज़म की बात से जया आहत.. आंसू बहे जया के..
बस फिर क्या था ..औरतों के प्रेमी अमर सिंह कूद आये मैदान में आर-पार की लड़ाई के लिये..
पर जया जी ने भी इसका फायदा ढ़ू़ढ निकाला ..उनको भी रामपुर के नवाबों के खिलाफ ..उनको शर्मींदा करने का मुद्दा मिल गया..बस अब जहां आज़मखान का ज़िक्र हुआ नहीं जयाप्रदा कि आंखें नम होगीं..
पत्रकार औऱ कैमरामेन को भी पता चल गया ..रिपोर्टर ने जहां आज़म खान का ज़िक्र किया वहीं कैमरा मैन ने अपना फोक्स जया प्रदा की आंखों पर कर दिया ...भले ही इस सवाल से पहले जया धूप का चशमा लगायें हो पर ..ये सवाल पूछते ही वो अपना चशमा उतार देती और आंसूं .या पानी ले आती .. बस पत्रकार का आना भी सफल और जया का मिशन भी सफल..
जब उनके रोने की बात एक पत्रकार ने आज़म खान को बताई..तो उन्होने उस का जवाब इस तरह से दिया भई वो अभिनेत्री हैं ..उन्हे पता है किस वक्त कौन सा रीएक्शन देना है..वो तो एक वक्त में कई भाव दे सकती हैं..
पहले ये बात अजीब सी लगी पर जब हर चैनल में हर पत्रकार को जवाब देते जया इसी मुद्रा में दिखी तो लगा की बात में दम है..बार बार तो इंसान अपने सगे के मरने पर भी नहीं रोता ..जया जी कुछ तो नया करों..जीतो या हारों अपने इमान में तो सच्ची रखो..अभिनय ही करना है तो फिल्मों में वापस चली जाऊ..आपके लिये तो साउथ के भी दरवाज़े खुले हैं.. क्यों गरीब जनता को अपने आंसूओं में डूबा रही हो
Comments
kade shabdo mein aapki bayaanbaazi,itne berukhe sanwad...
aisa lagta hai ki aap amar singh ji ko "kothe ka nawab" ke naam se mashhoor na kar dein.
jai ho