बोल तेरे लब आज़ाद हैं...
कमज़ोर आदमी की जीत
डॉक्टर मनमोहन सिंह ने आज प्रधानंमंत्री पद की शपथ ले ली ..और दुनिया ने कहा सब से कमज़ोर कहे जाने वाले आदमी की जीत हो गई।.आज हम बहस मनमोहन सिंह की नीतियों और उन पर नहीं करेगे आज हम जो बात करेगे वो ये कि क्या सच में कभी कमज़ोर आदमी की जीत हो सकती है .... इस के लिये पहले मनमोहन और उनकी जीत पर ज़रा नज़र डालते औऱ पीछे चलते 2004 में जब न जाने कहां से एक ताकतवर शक्तिशाली महिला एक शख्स को लेकर आती है और कहती है आज से ये हमारे मुल्क की बागडोर संभाले गे ..और करोड़ो की तदाद मे रहने वाले लोगों ने सिर झुका कर कहा हां..आज से हम इनके सहारे ही जीयेगें...
कहने का मतलब ये कि कमज़ोर आदमी तभी आगे चल सकता है जब उसको किसी ताकतवर आदमी का साथ हो और उसके पीछे हाथ हो...
प्रधानमंत्री के जैसी किसी कि किस्सत शायद ही हो ..बॉलीबुड में ज़रूर ऐसी कहानी कई बार लिखी गई जब किसी मज़लूम को कोई शहंशाह मिल जाता है ...
हां कॉलेज में एक कमज़ोर लड़के को पीटने के बाद जब वो अपने भाई को दोबारा लेकर आता है तो उसका भाई कहता है .. मार.. इसके मुंह पर थप्पड़ मार वो कमज़ोर लड़का जो पहले जिनसे पिटा था उन्ही लड़को को मारने लगता है..किसी कमज़ोर के ज़मीर को जगाने के लिये भी.उसे किसी ताकतवर का सहारा चाहिये होता .मतलब ये कि कमज़ोर आदमी को हमेशा बेसाखी चाहिये होती है...
यही हाल नौकरी और दूसरे पेशों का है आप अपने विचार भी नहीं प्रकट कर सकते क्योकि आप के पास कोई शक्तिशाली आदमी का साथ नही है ..इसलिये यहां कमज़ोर आदमी की हार हो जाती है ..और याद रखिये पत्रकारिता में कभी भी कमज़ोर कलम नही चलता कुछ देर के लिये उसकी चमक भले ही आपको प्रभावित करे लेकिन बाद में उसकी सियाही फिकी हो ही जायेगी.... अगर आप कमज़ोर है आपका कोई मा बाप नही तो आपकी हार निश्चित है ..कुछ कदम भले आप अपनी हिम्मत से चल ले लेकिन अंत में आपको हरा ही दिया जाएगा...क्योकि कमज़ोर आदमी की कभी जीत नहीं हुई है और न होगी ..और लोग खामोशी को भी कमज़ोरी समझते है..इसलिये ऐ दोस्तों अब बदलने का वक्त आ गया आवाज़ बुलंद करने वक्त आ गया ..किस का डर और काहे का डर जिसने पेट दिया है वो ही परवरदिगार पेट भरेगा ..जो मन में है दिल खोल कर कहो .वक्त है आज नही कहो गे तो कल कभी नही मिलेगा कुछ कहने को....और जब तुम कहना सिखोगे .तभी कुछ करना ..और जब तुम कुछ करोगे तो तुम खुद सक्षम होगे .. और सक्षम आदमी कमज़ोर नही होता .. और तभी वो जीतता ..मनमोहनसिंह ने जब आडवाणी को जवाब देना शुरू किया अपने ऊपर लेगे कमज़ोरी के दाग को मिटाना शुरू किया बीच महफिल में आडवाणी को नज़रअंदाज़ कर दिया एक मज़बूत नेता को मुह की खिलाई....और फिर बोले खुल के बोले ..नतीजा एक कमज़ोर आदमी जीत गया .......
डॉक्टर मनमोहन सिंह ने आज प्रधानंमंत्री पद की शपथ ले ली ..और दुनिया ने कहा सब से कमज़ोर कहे जाने वाले आदमी की जीत हो गई।.आज हम बहस मनमोहन सिंह की नीतियों और उन पर नहीं करेगे आज हम जो बात करेगे वो ये कि क्या सच में कभी कमज़ोर आदमी की जीत हो सकती है .... इस के लिये पहले मनमोहन और उनकी जीत पर ज़रा नज़र डालते औऱ पीछे चलते 2004 में जब न जाने कहां से एक ताकतवर शक्तिशाली महिला एक शख्स को लेकर आती है और कहती है आज से ये हमारे मुल्क की बागडोर संभाले गे ..और करोड़ो की तदाद मे रहने वाले लोगों ने सिर झुका कर कहा हां..आज से हम इनके सहारे ही जीयेगें...
कहने का मतलब ये कि कमज़ोर आदमी तभी आगे चल सकता है जब उसको किसी ताकतवर आदमी का साथ हो और उसके पीछे हाथ हो...
प्रधानमंत्री के जैसी किसी कि किस्सत शायद ही हो ..बॉलीबुड में ज़रूर ऐसी कहानी कई बार लिखी गई जब किसी मज़लूम को कोई शहंशाह मिल जाता है ...
हां कॉलेज में एक कमज़ोर लड़के को पीटने के बाद जब वो अपने भाई को दोबारा लेकर आता है तो उसका भाई कहता है .. मार.. इसके मुंह पर थप्पड़ मार वो कमज़ोर लड़का जो पहले जिनसे पिटा था उन्ही लड़को को मारने लगता है..किसी कमज़ोर के ज़मीर को जगाने के लिये भी.उसे किसी ताकतवर का सहारा चाहिये होता .मतलब ये कि कमज़ोर आदमी को हमेशा बेसाखी चाहिये होती है...
यही हाल नौकरी और दूसरे पेशों का है आप अपने विचार भी नहीं प्रकट कर सकते क्योकि आप के पास कोई शक्तिशाली आदमी का साथ नही है ..इसलिये यहां कमज़ोर आदमी की हार हो जाती है ..और याद रखिये पत्रकारिता में कभी भी कमज़ोर कलम नही चलता कुछ देर के लिये उसकी चमक भले ही आपको प्रभावित करे लेकिन बाद में उसकी सियाही फिकी हो ही जायेगी.... अगर आप कमज़ोर है आपका कोई मा बाप नही तो आपकी हार निश्चित है ..कुछ कदम भले आप अपनी हिम्मत से चल ले लेकिन अंत में आपको हरा ही दिया जाएगा...क्योकि कमज़ोर आदमी की कभी जीत नहीं हुई है और न होगी ..और लोग खामोशी को भी कमज़ोरी समझते है..इसलिये ऐ दोस्तों अब बदलने का वक्त आ गया आवाज़ बुलंद करने वक्त आ गया ..किस का डर और काहे का डर जिसने पेट दिया है वो ही परवरदिगार पेट भरेगा ..जो मन में है दिल खोल कर कहो .वक्त है आज नही कहो गे तो कल कभी नही मिलेगा कुछ कहने को....और जब तुम कहना सिखोगे .तभी कुछ करना ..और जब तुम कुछ करोगे तो तुम खुद सक्षम होगे .. और सक्षम आदमी कमज़ोर नही होता .. और तभी वो जीतता ..मनमोहनसिंह ने जब आडवाणी को जवाब देना शुरू किया अपने ऊपर लेगे कमज़ोरी के दाग को मिटाना शुरू किया बीच महफिल में आडवाणी को नज़रअंदाज़ कर दिया एक मज़बूत नेता को मुह की खिलाई....और फिर बोले खुल के बोले ..नतीजा एक कमज़ोर आदमी जीत गया .......
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BADHAI