मैं ब्लाग बेचना चाहता हूं
मैं ब्लाग बेचना चाहता हूं
बाबूजी मैं ब्लाग बेचना चाहता हूं.
बड़े अरमान से मैने अपना ब्लाग बनाया था..
ज़िन्दगी से जुडा काला रंग इसमे सजोया था
थका हुआ था मैं हारा हुआ था मैं...
ब्लाग मेरा सहारा बन कर आया था।
इसने मुझसे वादा किया था
जो तुम चाहते
जो तु्म्हे पसंद है
सब लाकर दूगां..
जो ग़म है उसको कम करने के लिए साथी भी ढ़ूढ़ दूगां
अरे बहुत अच्छी चीज़ है
यहां के लोग बहुत भले हैं
एक से पूछो सौ बताते हैं
हर दुख दर्द मिल कर दूर भगाते हैं
अच्छे को सरहाते हैं
बुरे को समझाते हैं
कोई अकेला नहीं रहे पाता
ये अपने को परिवार बताते हैं
मै इसकी बातों मैं आ गया..
देखो गरीब का बच्चा कैसे बर्बाद हुआ..
बाबूजी नौकरी में मन की बात दबी रहती थी
घर में घरवाली काटने को दौड़ती थी ..
कुछ पल निकाल के अपने लिये
कुछ अपने पुराने दोस्तों के लिए
मैने ब्लाग लिखना शुरू कर दिया..
पर बाबूजी ये सब झूठ और फरेब निकला
ये भी दूसरी दुनिया कि तरह ही निकला
हर एक दूसरे की बुराई करता है
उसके ब्लाग में क्या होता है ये बताता है ।
जिसका सिक्का चलता है
जो बहार कि दुनिया में जाना जाता है
वो ही यहां पर भी राज करता है
हम तो दिल की बात लिखने आये थे
सो तो लिख दी.....जी
एक दिन हमने भी हिम्मत कर के सच लिखना शुरू कर डाला
फिर क्या था इस दुनिया ने भी हमको बुरा भला कहे डाला ..
अब तो हिम्मत टूटने लगी है..
बाबूजी खरीद लो ब्लाग,
एक ,दो, तीन ,आने में ही ले लो
पैसे न हो तो कल दे देना
पर कल ज़रूर आना
अगर तुम कल न आए
फिर कोई लाला बुरा मान जाएगा
क्योकि मैं फिर कल वक्त पर कुछ लिख दूगां..
हां वो भी सच ही होगा...बाबूजी...।।
बाबूजी मैं ब्लाग बेचना चाहता हूं.
बड़े अरमान से मैने अपना ब्लाग बनाया था..
ज़िन्दगी से जुडा काला रंग इसमे सजोया था
थका हुआ था मैं हारा हुआ था मैं...
ब्लाग मेरा सहारा बन कर आया था।
इसने मुझसे वादा किया था
जो तुम चाहते
जो तु्म्हे पसंद है
सब लाकर दूगां..
जो ग़म है उसको कम करने के लिए साथी भी ढ़ूढ़ दूगां
अरे बहुत अच्छी चीज़ है
यहां के लोग बहुत भले हैं
एक से पूछो सौ बताते हैं
हर दुख दर्द मिल कर दूर भगाते हैं
अच्छे को सरहाते हैं
बुरे को समझाते हैं
कोई अकेला नहीं रहे पाता
ये अपने को परिवार बताते हैं
मै इसकी बातों मैं आ गया..
देखो गरीब का बच्चा कैसे बर्बाद हुआ..
बाबूजी नौकरी में मन की बात दबी रहती थी
घर में घरवाली काटने को दौड़ती थी ..
कुछ पल निकाल के अपने लिये
कुछ अपने पुराने दोस्तों के लिए
मैने ब्लाग लिखना शुरू कर दिया..
पर बाबूजी ये सब झूठ और फरेब निकला
ये भी दूसरी दुनिया कि तरह ही निकला
हर एक दूसरे की बुराई करता है
उसके ब्लाग में क्या होता है ये बताता है ।
जिसका सिक्का चलता है
जो बहार कि दुनिया में जाना जाता है
वो ही यहां पर भी राज करता है
हम तो दिल की बात लिखने आये थे
सो तो लिख दी.....जी
एक दिन हमने भी हिम्मत कर के सच लिखना शुरू कर डाला
फिर क्या था इस दुनिया ने भी हमको बुरा भला कहे डाला ..
अब तो हिम्मत टूटने लगी है..
बाबूजी खरीद लो ब्लाग,
एक ,दो, तीन ,आने में ही ले लो
पैसे न हो तो कल दे देना
पर कल ज़रूर आना
अगर तुम कल न आए
फिर कोई लाला बुरा मान जाएगा
क्योकि मैं फिर कल वक्त पर कुछ लिख दूगां..
हां वो भी सच ही होगा...बाबूजी...।।
Comments
बोलें सच लिखते रहें हारें नहीं जनाब।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
हिंदी में प्रेरक कथाओ, प्रसंगों, और रोचक संस्मरणों का एकमात्र ब्लौग http://hindizen.com अवश्य देखें.