चार लड़कों वाली ख़ाला की मौत...
चार लड़कों वाली ख़ाला की मौत...
रविवार करीब सवा दो बजे घर से फोन आता है ..खबर मिलती है की पड़ोस में रहने वाली ख़ाला का इंत्तकाल हो गया...रात को उनको दफनाया जाएगा ,क्योकि उनका मुबंई में रहने वाला लड़का एतेशाम रात तक ही पहुंच पाएगा..मैने कहा ठीक है मेरी शिफ्ट भी खत्म हो जाएगी .....मैं पहुचा जाऊंगा...
आफिस में व्यस्त रहने के कारण मुझे एक बार भी उनका ध्यान नहीं आया....शिफ्ट के बाद घर जाते हुए एक -एक कर के उनसे जुडे सारी बाते नज़र के सामने धुमने लगी..
ख़ाला यानि नरगिस बेगम मुहल्ले में अच्छा रूतबा रखती थी क्योकि उन्होने ने चार लड़कों को जन्म दिया था ....इसलिए उन्हे बिरादरी में होने वाले हर कम में आगे रखा जाता था ...खालू यानि उनके पति भी ठीक ठाक कमा लेते थे ..एक बड़ा माकान उन्होने खरीद लिया था ।..
लड़को को स्कूल में तो डाला पर लड़को के गुरूर में उन पर ध्यान न दे पाईं...नतीजा बस छोटे लड़के को छोड़ कर कोई भी 10सीं तक न पहुच पाया ..ईधर उधर काम में लग गए.. ईधर उधर काम करने वालों को ऐसी वैसी आदतें भी पड़ जाती है ..बड़ा लड़का नशे से जुडा...बाकि दो भी छोटे मोटे काम में लग गए..बस छोटा लड़के को मुबंई में किसी रिश्तेदार ने नौकरी दिला दी...
मां का सपना होता है, उनकी औलाद कैसी भी हो पर अपने बेटों के सिर पर सहेरा देखे... बेटों की किसी तरह उन्होने शादी करावा दी..बाप की कमाई कब तक और कितनी चलती...आपसी झगडे बढ़ने लगे हर लड़का अपना हिस्सा मागने लगा ,.. बाप बिमार पड़ गये..इलाज के लिए पैसा नहीं था ...
सरकारी अस्पताल मे कितने दिन ज़िन्दगी खींचती ...एक दिन उनकी मौत हो गई..माकान का एक हिस्सा पहले ही बिक चुका..100 गज़ में तीनों भाई रहते थे..
कम खाना बहुओं का ताना, बेटों का नाकारापन .खाला को मौत के पास ले जा रहा था।
अभी दो दिन पहले ही उनके घर जा कर खाला से मिला बहुत कमज़ोर हो गई थी ...मुझे देख कर उनकी आंखों मे आंसू आ गए... और उनके आंसू ने मुझे सब कुछ बता दिया था ...
मैं कब्रिस्तान पहुच गया था ..नमाज़े जनाज़ा हो चुकी थी ..मुबंई से आने वाला लड़का अभी तक नहीं पहुचां थी .पर सब लोग तरस खाते हुए यही कहे रहे थे ...देखो चार चार लड़के होने बाद भी ..कैसी मौत हुई इनकी...
तभी लड़का पहुच जाता है ..उनको दफन कराया जाता ..अभी मज़दूर कब्र में मिट्टी ही डाल रहा था की उनके लड़कों की आपस में लड़ाई शुरू होगी..और लड़ाई कि वजह थी मौत पर होने वाले खर्च का बंटवारा..
खाला ने जिन्हे जन्म देकर मान सम्मान कमाया..उनकी कब्र पर ही उनके बेटों उसे उनके साथ ही दफन कर दिया..मेरी आंख भर आई..और मैं घर के लिए..चल दिया..................
रविवार करीब सवा दो बजे घर से फोन आता है ..खबर मिलती है की पड़ोस में रहने वाली ख़ाला का इंत्तकाल हो गया...रात को उनको दफनाया जाएगा ,क्योकि उनका मुबंई में रहने वाला लड़का एतेशाम रात तक ही पहुंच पाएगा..मैने कहा ठीक है मेरी शिफ्ट भी खत्म हो जाएगी .....मैं पहुचा जाऊंगा...
आफिस में व्यस्त रहने के कारण मुझे एक बार भी उनका ध्यान नहीं आया....शिफ्ट के बाद घर जाते हुए एक -एक कर के उनसे जुडे सारी बाते नज़र के सामने धुमने लगी..
ख़ाला यानि नरगिस बेगम मुहल्ले में अच्छा रूतबा रखती थी क्योकि उन्होने ने चार लड़कों को जन्म दिया था ....इसलिए उन्हे बिरादरी में होने वाले हर कम में आगे रखा जाता था ...खालू यानि उनके पति भी ठीक ठाक कमा लेते थे ..एक बड़ा माकान उन्होने खरीद लिया था ।..
लड़को को स्कूल में तो डाला पर लड़को के गुरूर में उन पर ध्यान न दे पाईं...नतीजा बस छोटे लड़के को छोड़ कर कोई भी 10सीं तक न पहुच पाया ..ईधर उधर काम में लग गए.. ईधर उधर काम करने वालों को ऐसी वैसी आदतें भी पड़ जाती है ..बड़ा लड़का नशे से जुडा...बाकि दो भी छोटे मोटे काम में लग गए..बस छोटा लड़के को मुबंई में किसी रिश्तेदार ने नौकरी दिला दी...
मां का सपना होता है, उनकी औलाद कैसी भी हो पर अपने बेटों के सिर पर सहेरा देखे... बेटों की किसी तरह उन्होने शादी करावा दी..बाप की कमाई कब तक और कितनी चलती...आपसी झगडे बढ़ने लगे हर लड़का अपना हिस्सा मागने लगा ,.. बाप बिमार पड़ गये..इलाज के लिए पैसा नहीं था ...
सरकारी अस्पताल मे कितने दिन ज़िन्दगी खींचती ...एक दिन उनकी मौत हो गई..माकान का एक हिस्सा पहले ही बिक चुका..100 गज़ में तीनों भाई रहते थे..
कम खाना बहुओं का ताना, बेटों का नाकारापन .खाला को मौत के पास ले जा रहा था।
अभी दो दिन पहले ही उनके घर जा कर खाला से मिला बहुत कमज़ोर हो गई थी ...मुझे देख कर उनकी आंखों मे आंसू आ गए... और उनके आंसू ने मुझे सब कुछ बता दिया था ...
मैं कब्रिस्तान पहुच गया था ..नमाज़े जनाज़ा हो चुकी थी ..मुबंई से आने वाला लड़का अभी तक नहीं पहुचां थी .पर सब लोग तरस खाते हुए यही कहे रहे थे ...देखो चार चार लड़के होने बाद भी ..कैसी मौत हुई इनकी...
तभी लड़का पहुच जाता है ..उनको दफन कराया जाता ..अभी मज़दूर कब्र में मिट्टी ही डाल रहा था की उनके लड़कों की आपस में लड़ाई शुरू होगी..और लड़ाई कि वजह थी मौत पर होने वाले खर्च का बंटवारा..
खाला ने जिन्हे जन्म देकर मान सम्मान कमाया..उनकी कब्र पर ही उनके बेटों उसे उनके साथ ही दफन कर दिया..मेरी आंख भर आई..और मैं घर के लिए..चल दिया..................
Comments
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
khed !
dukh !
vedna !
__________khala k chaar bete
achhi -maarmik rachna
badhaai !