कहीं बुर्के पर पाबंदी कहीं जीन्स...
कहीं बुर्के पर पाबंदी कहीं जीन्स...
आज खबर आई की फ्रांस के राष्ट्रपति सरकोज़ी ने बुर्के पर पांबदी लगा दी है । सरकोज़ी का मानना है कि धर्म के नाम पर महिलाओं के बुर्का पहनने से फ्रांस में धर्मनिरपेक्षता पर असर पड़ता है और देश के लोगों पर ग़लत प्रभाव पड़ता है ।
इससे पहले फ्रांस में पगड़ी पर भी पांबदी लगाई थी ..आंतकवादियों की पोशक कहे कर ...जिसके बाद वहां के सिखों पर हमले भी हुए थे..
पश्चिम यूरोप में सबसे ज्यादा फ्रांस में ही मुस्लमान रहते है इसलिये ज़ाहिर है इसका विरोध भी काफी ज्यादा होगा...
इधर भारत में इंदोर शहर में कॉलेज और जैन मंदिर में जीन्स पर पांबदी कर दी गई..बाद में कॉलेज पर दबाव पड़ने के बाद उन्होने पाबंदी हटा ली । लेकिन जैन मंदिर की पांबन्दी लागू..। तर्क है हमारी संस्कृति पर ग़लत प्रभाव पड़ेगा...
कहने का अर्थ ये हैं की यूरोप हो या एशिया..फ्रांस हो या भारत या फिर तालिबान इंसान की सोच एक सी है...
जो संस्कृति और धर्म लिबास के पहने और उतारने से डमाडोल होता हो तो ऐसे कमज़ोर धर्म और संस्कृति को अपने साथ सजोय रखने का क्या फायदा ।
फ्रांस ने धर्मनिरपेक्षता को आधार बनाया है तो क्या वो चर्च में मौजूद नंनस की पोशक को बदला जाएगा अगर नहीं तो क्यो सिर्फ एक धर्म को ही निशाना बनाया जा रहा है।
अगर जीन्स और पैंटस से संस्कृति प्रभावित होती है तो क्या पुरूष को भी धोती कुर्ता पहन कर आने को कहा जाएगा अगर नहीं तो क्यो हम नारी को अपने आधीन रखने से अपने आप को रोक नहीं पाते ।..
बुर्का हो या फिर जीन्स ..हम किसी की आज़ादी में सिर्फ और सिर्फ वर्चस्व साबित करने के लिए खलल क्यों डालते हैं ।।
आज खबर आई की फ्रांस के राष्ट्रपति सरकोज़ी ने बुर्के पर पांबदी लगा दी है । सरकोज़ी का मानना है कि धर्म के नाम पर महिलाओं के बुर्का पहनने से फ्रांस में धर्मनिरपेक्षता पर असर पड़ता है और देश के लोगों पर ग़लत प्रभाव पड़ता है ।
इससे पहले फ्रांस में पगड़ी पर भी पांबदी लगाई थी ..आंतकवादियों की पोशक कहे कर ...जिसके बाद वहां के सिखों पर हमले भी हुए थे..
पश्चिम यूरोप में सबसे ज्यादा फ्रांस में ही मुस्लमान रहते है इसलिये ज़ाहिर है इसका विरोध भी काफी ज्यादा होगा...
इधर भारत में इंदोर शहर में कॉलेज और जैन मंदिर में जीन्स पर पांबदी कर दी गई..बाद में कॉलेज पर दबाव पड़ने के बाद उन्होने पाबंदी हटा ली । लेकिन जैन मंदिर की पांबन्दी लागू..। तर्क है हमारी संस्कृति पर ग़लत प्रभाव पड़ेगा...
कहने का अर्थ ये हैं की यूरोप हो या एशिया..फ्रांस हो या भारत या फिर तालिबान इंसान की सोच एक सी है...
जो संस्कृति और धर्म लिबास के पहने और उतारने से डमाडोल होता हो तो ऐसे कमज़ोर धर्म और संस्कृति को अपने साथ सजोय रखने का क्या फायदा ।
फ्रांस ने धर्मनिरपेक्षता को आधार बनाया है तो क्या वो चर्च में मौजूद नंनस की पोशक को बदला जाएगा अगर नहीं तो क्यो सिर्फ एक धर्म को ही निशाना बनाया जा रहा है।
अगर जीन्स और पैंटस से संस्कृति प्रभावित होती है तो क्या पुरूष को भी धोती कुर्ता पहन कर आने को कहा जाएगा अगर नहीं तो क्यो हम नारी को अपने आधीन रखने से अपने आप को रोक नहीं पाते ।..
बुर्का हो या फिर जीन्स ..हम किसी की आज़ादी में सिर्फ और सिर्फ वर्चस्व साबित करने के लिए खलल क्यों डालते हैं ।।
Comments
umda aalekh !
yahan se sirf hum hi gujrenge...
सभी मज़हब बराबरी की बात करते हैं | कई दोस्तों ने मुझे बताया कि इस्लाम में सब बराबर हैं, कोई भेदभाव नहीं | मैं इस बात को मानता हूँ, पर मेरा सवाल खडा हो जाता है कि अगर ऐसा तो मुसलमान मर्द बुर्का क्यों नहीं पहनते ? नियम हो तो सबके लिए हो...
वैसे बुर्का और नीयत का ज्यादा रिश्ता नहीं है | उदाहरण के लिए पाकिस्तान को देखते हैं. इस http://www.themuslimwoman.org/entry/alarming-increase-in-rape-cases-in-pakistan/
वेब साईट के अनुसार तो मुझे कुछ और ही जानकारी मिलती है.