नज़ीर बनारसी की नज़्म

नज़ीर बनारसी की नज़्म

किसने झलक पर्दे से दिखा दी।
आंख ने देखा दिल ने दुआ दी।।
होश की दौलत उनपे गवां दी।
कीमते जलवा हमने चुका दी।।
रात इक ऐसी रौशनी देखी।
मारे खुशी के शम्मा बुझा दी।।
तुमने दिखाए ऐसे सपने ।
नींद में सारी उम्र गवां दी।।
पूछें हैं वह भी वजहे –खमोशी।
जिसके लबों पर मोहर लगा दी।।
उनको न दे इल्ज़ाम ज़माना ।
खुद मेरे दिल ने मुझको दगा दी ।।
आंच नज़ीर आ जाए न उन पर।
दिल की लगी ने आग लगा दी ।।

Comments

उनको न दे इल्ज़ाम ज़माना ।
खुद मेरे दिल ने मुझको दगा दी ।।
आंच नज़ीर आ जाए न उन पर।
दिल की लगी ने आग लगा दी ।।

गज़ब की पंक्तियाँ है .....अतिसुन्दर
नज़ीर बनारसी की नज़्म
सुन्दर नज़्म...
Udan Tashtari said…
तुमने दिखाए ऐसे सपने ।
नींद में सारी उम्र गवां दी।।

-वाह! नज़ीर बनारसी की उम्दा नज़्म पढ़वाने के लिए आपका आभार.
Unknown said…
kamaal hai kamaal
nihaal kar diya
bahut khoob !
______________abhinandan !

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