2014 नितिन गडकरी की प्रधानमंत्री बनने की तैयारी ?
2014 नितिन गडकरी की प्रधानमंत्री बनने की तैयारी ?
बीजेपी के नए अध्यक्ष नितिन गडकरी का कहना है कि काग्रेस ने देश के मुस्लमानो को क्या दिया रिक्शा पैंचर टप्पर बेरोज़गारी ..मैने अपने महाराष्ट्र के शासन में मुस्लमान लड़कियो के लिए कॉलेज बनवाया ..उन्होने ने कहा अरे हमारे पास आकर तो देखो ...देखो हमे और हमारे सिंद्धातों को यानि मुस्लमानो को लुभाने की पूरी कोशिश की ..
उनसे ठीक पहले पूर्व बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह कहे चुके कि हम मुस्लमानो को आरक्षण देने का विरोध करते हैं मुस्लमानो ने हिन्दुओ पर बड़े जुल्म किए हैं हमें अपनी विचारधारा पर कायम रहना चाहिए क्योकि इतिहास गवाह है जिसने अपनी विचारधारा छोड़ी वो पार्टी खत्म हो गई...
एक विचार पू्र्व अध्यक्ष के और एक विचार वर्तमान अध्यक्ष के ..एक तरफ हिन्दु और एक तरफ मुस्लमान ।तो क्या अपनी विचारधारा छोड़ कर गडकरी बीजेपी को खत्म करने की तैयारी कर रहे हैं । या फिर एक नई पार्टी की तैयारी कर रहे हैं ।
हिन्दु मुस्लमान गडकरी का ख्वाब ‘सत्ता 2014’ पाना क्या आसान होगा या बीजेपी फिर से दो सीटों पर पहुच जाएगी ।
गडकरी के बारे में कहा जाता है की वो संघ की पंसद है। संघ के बारे में अगर एक आम आदमी से पूछे तो कहेगा एक हिन्दु संगठन जो हिन्दुओ के हितो की बात करता है ..अगर एक आम हिन्दुस्तानी ये राय रखता है तो गडकरी उस परिवार से आने के बाद ऐसे ब्यान क्यों देते हैं कि आप हमें मंदिर बनाने दो हम पास में मस्जिद का निर्माण करा देगे..
ये उनका आत्मविशवास में कमी कहा जाएगा या एक रणनीति .. या अपने आप को वो अभी से प्रधानमंत्री के लिए तैयार कर रहे हैं और बीजेपी में अटल के बाद दूसरा ऐसा चेहरा जिसे कोई बुरा न कहे ।आडवाणी भले जिन्ना की तारीफ करे मस्जिद गिरने और गिराने की निंदा करे लेकिन देश का मुस्लमान कभी भी आडवाणी की रथ यात्रा भूल नही पाता । हिन्दुस्तान में मुस्लमान का बच्चा पैदा होते ही आडवाणी और अमेरीका को गाली देता है और भाजपा को अपना दुशमन मानता है ...पर अटल के नाम पर चुप हो जाता है या फिर उनकी तारीफ कर ही देता है ...और अटलबिहारी के सक्रिय राजनीति से दूर होने के बाद बीजेपी के पास कोई भी ऐसा नेता नहीं जिसकी इमेज सैक्युलर समझी जाए...नितिन गडकरी एक विकल्प दिख रहे हैं ।
आज उनको अनुभवहीन बताया जा रहा है पार्टी को एनजीओ की तरह चलाने पर उनका मज़ाक उडाया जा रहा है पर हमको नहीं भूलना चाहिए वो पार्टी के पोस्टर लगाने से पार्टी के अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुच चुके हैं।
बीजेपी को उतनी चोट काग्रेस से नहीं पहुची जितनी उनके अपनो ने दी ..ये बात गडकरी जानते हैं और ये भी जानते हैं कि कौन कौन है जो उनकी पीट में छुरा मार सकते है इसलिए उन्होने अपने पहले ही वक्तव्य में सब से हाथ जोड़ कर उनके अहम को शांत कर दिया और शांति से चेतावनी भी दे दी ..गडकरी को मालुम है उनके कुछ फैसले और बयानो से उनका कट्टर हिन्दु वोट कटेगा इसलिए दलित वोट , 10प्रतिशत बिखरे हुए वोट और साथ में गैर भाजपाई वोट पर काबिज़ होने का संदेश दे कर उन्होने अपनी नींव को मज़बूत किया है ..वो महाराष्ट्र से आए है और एक क्षेत्र की राजनीति करने वाली शिवसेना का हाल देखा हुआ है कि कैसे मराठी मानुस ही ने उसका साथ छोड़ दिया इसलिए केवल हिन्दुओ की बात करने से मंदिर तो चल सकता है पर देश नहीं सभाओ में भीड तो जुट सकती है पर पोलिंग बूथ में वोटर नहीं।
..इन चालों को कोई समझ सके या नहीं पर आडवाणी जी ज़रूर समझ गए तभी तो इतने दिनो के बाद ही सही उन्हे गडकरी की तारीफ करनी ही पड़ी । क्योंकि हिन्दुओ की बीजेपी को हिन्दुस्तान की बीजेपी अगर वो बना पाते तो आज शायद भारत के प्रधानमंत्री वो होते ...
मुंबई से आया ये गडकरी बाबू लंबी छलांग लगाने की तैयारी कर रहा है ॥अच्छा है अगर देश के लिए अच्छा है ।। आज भले आप को ये बात भी मज़ाक और जल्दबाज़ी मे लिखी हुई लगे है पर याद रखिए आज आज ही खत्म हो जाता है और कल शुरू हो जाता है ।।
बीजेपी के नए अध्यक्ष नितिन गडकरी का कहना है कि काग्रेस ने देश के मुस्लमानो को क्या दिया रिक्शा पैंचर टप्पर बेरोज़गारी ..मैने अपने महाराष्ट्र के शासन में मुस्लमान लड़कियो के लिए कॉलेज बनवाया ..उन्होने ने कहा अरे हमारे पास आकर तो देखो ...देखो हमे और हमारे सिंद्धातों को यानि मुस्लमानो को लुभाने की पूरी कोशिश की ..
उनसे ठीक पहले पूर्व बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह कहे चुके कि हम मुस्लमानो को आरक्षण देने का विरोध करते हैं मुस्लमानो ने हिन्दुओ पर बड़े जुल्म किए हैं हमें अपनी विचारधारा पर कायम रहना चाहिए क्योकि इतिहास गवाह है जिसने अपनी विचारधारा छोड़ी वो पार्टी खत्म हो गई...
एक विचार पू्र्व अध्यक्ष के और एक विचार वर्तमान अध्यक्ष के ..एक तरफ हिन्दु और एक तरफ मुस्लमान ।तो क्या अपनी विचारधारा छोड़ कर गडकरी बीजेपी को खत्म करने की तैयारी कर रहे हैं । या फिर एक नई पार्टी की तैयारी कर रहे हैं ।
हिन्दु मुस्लमान गडकरी का ख्वाब ‘सत्ता 2014’ पाना क्या आसान होगा या बीजेपी फिर से दो सीटों पर पहुच जाएगी ।
गडकरी के बारे में कहा जाता है की वो संघ की पंसद है। संघ के बारे में अगर एक आम आदमी से पूछे तो कहेगा एक हिन्दु संगठन जो हिन्दुओ के हितो की बात करता है ..अगर एक आम हिन्दुस्तानी ये राय रखता है तो गडकरी उस परिवार से आने के बाद ऐसे ब्यान क्यों देते हैं कि आप हमें मंदिर बनाने दो हम पास में मस्जिद का निर्माण करा देगे..
ये उनका आत्मविशवास में कमी कहा जाएगा या एक रणनीति .. या अपने आप को वो अभी से प्रधानमंत्री के लिए तैयार कर रहे हैं और बीजेपी में अटल के बाद दूसरा ऐसा चेहरा जिसे कोई बुरा न कहे ।आडवाणी भले जिन्ना की तारीफ करे मस्जिद गिरने और गिराने की निंदा करे लेकिन देश का मुस्लमान कभी भी आडवाणी की रथ यात्रा भूल नही पाता । हिन्दुस्तान में मुस्लमान का बच्चा पैदा होते ही आडवाणी और अमेरीका को गाली देता है और भाजपा को अपना दुशमन मानता है ...पर अटल के नाम पर चुप हो जाता है या फिर उनकी तारीफ कर ही देता है ...और अटलबिहारी के सक्रिय राजनीति से दूर होने के बाद बीजेपी के पास कोई भी ऐसा नेता नहीं जिसकी इमेज सैक्युलर समझी जाए...नितिन गडकरी एक विकल्प दिख रहे हैं ।
आज उनको अनुभवहीन बताया जा रहा है पार्टी को एनजीओ की तरह चलाने पर उनका मज़ाक उडाया जा रहा है पर हमको नहीं भूलना चाहिए वो पार्टी के पोस्टर लगाने से पार्टी के अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुच चुके हैं।
बीजेपी को उतनी चोट काग्रेस से नहीं पहुची जितनी उनके अपनो ने दी ..ये बात गडकरी जानते हैं और ये भी जानते हैं कि कौन कौन है जो उनकी पीट में छुरा मार सकते है इसलिए उन्होने अपने पहले ही वक्तव्य में सब से हाथ जोड़ कर उनके अहम को शांत कर दिया और शांति से चेतावनी भी दे दी ..गडकरी को मालुम है उनके कुछ फैसले और बयानो से उनका कट्टर हिन्दु वोट कटेगा इसलिए दलित वोट , 10प्रतिशत बिखरे हुए वोट और साथ में गैर भाजपाई वोट पर काबिज़ होने का संदेश दे कर उन्होने अपनी नींव को मज़बूत किया है ..वो महाराष्ट्र से आए है और एक क्षेत्र की राजनीति करने वाली शिवसेना का हाल देखा हुआ है कि कैसे मराठी मानुस ही ने उसका साथ छोड़ दिया इसलिए केवल हिन्दुओ की बात करने से मंदिर तो चल सकता है पर देश नहीं सभाओ में भीड तो जुट सकती है पर पोलिंग बूथ में वोटर नहीं।
..इन चालों को कोई समझ सके या नहीं पर आडवाणी जी ज़रूर समझ गए तभी तो इतने दिनो के बाद ही सही उन्हे गडकरी की तारीफ करनी ही पड़ी । क्योंकि हिन्दुओ की बीजेपी को हिन्दुस्तान की बीजेपी अगर वो बना पाते तो आज शायद भारत के प्रधानमंत्री वो होते ...
मुंबई से आया ये गडकरी बाबू लंबी छलांग लगाने की तैयारी कर रहा है ॥अच्छा है अगर देश के लिए अच्छा है ।। आज भले आप को ये बात भी मज़ाक और जल्दबाज़ी मे लिखी हुई लगे है पर याद रखिए आज आज ही खत्म हो जाता है और कल शुरू हो जाता है ।।
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