खामोशी कितनी सही..
खामोशी कितनी सही..
रिश्तों में खामोशी की कितनी जगह है और खामोशी का रिश्तों में क्या मतलब है ।हर जगह खामोशी का प्रयोग अलग अलग लिहाज़ और अलग अलग तरह से होता है ।कल किसी का फोन आया कुछ देर हाय हैलो करने के बाद लंबी खामोशी हो गई दोनो समझ गए कि दोनो के पास कुछ कहने को नहीं है फोन को रख दिया गया । फोन रखने के बाद भी शायद दोनो तरफ खामोशी ही रही होगी ... जब तक या तब तक कोई दूसरा ख्याल ने ज़हन में दस्तख़ न दी होगी ।
कभी खामोशी बनाती तो कभी खामोशी बात को बिगाड़ देती है । पति पत्नी के संबध में खामोशी संबधो में खिचाव पैदा करती है तनाव बढ़ता है और रिश्ता संभलने के बजाय टूट ही जाता है ।बड़े लोगों के सामने खामोशी सम्मान का प्रीतक नज़र आती है ।भीड़ में खामोशी आपको को कसूरवार ठहराती है । बच्चों के सामने खामोशी आपका दर्द और मोहब्बत जताती है
कुछ सवाल
क्या खामोशी आपको संतुष्ठी देती है ?
क्या खामोशी कमज़ोरी की निशानी है?
क्या खामोशी आपकी ग़लती का एहसास है ?
क्या खामोशी आपकी फिक्रमंदी है ?
क्या खामोशी आपकी आदत है ?
क्या आपका नज़रिया ही खामोश है ?
सोचिए आप आखिरी बार कब खामोश रहे थे आप के लब सील थे और आंखे नम थी । किसी के जाने के बाद खामोशी एक दर्पण बन कर आती है जिसमें वो सब नज़र आता है जो आपने और उसने कहा था ..पर नहीं दिखती है वो होती है खामोशी ।।
रिश्तों में खामोशी की कितनी जगह है और खामोशी का रिश्तों में क्या मतलब है ।हर जगह खामोशी का प्रयोग अलग अलग लिहाज़ और अलग अलग तरह से होता है ।कल किसी का फोन आया कुछ देर हाय हैलो करने के बाद लंबी खामोशी हो गई दोनो समझ गए कि दोनो के पास कुछ कहने को नहीं है फोन को रख दिया गया । फोन रखने के बाद भी शायद दोनो तरफ खामोशी ही रही होगी ... जब तक या तब तक कोई दूसरा ख्याल ने ज़हन में दस्तख़ न दी होगी ।
कभी खामोशी बनाती तो कभी खामोशी बात को बिगाड़ देती है । पति पत्नी के संबध में खामोशी संबधो में खिचाव पैदा करती है तनाव बढ़ता है और रिश्ता संभलने के बजाय टूट ही जाता है ।बड़े लोगों के सामने खामोशी सम्मान का प्रीतक नज़र आती है ।भीड़ में खामोशी आपको को कसूरवार ठहराती है । बच्चों के सामने खामोशी आपका दर्द और मोहब्बत जताती है
कुछ सवाल
क्या खामोशी आपको संतुष्ठी देती है ?
क्या खामोशी कमज़ोरी की निशानी है?
क्या खामोशी आपकी ग़लती का एहसास है ?
क्या खामोशी आपकी फिक्रमंदी है ?
क्या खामोशी आपकी आदत है ?
क्या आपका नज़रिया ही खामोश है ?
सोचिए आप आखिरी बार कब खामोश रहे थे आप के लब सील थे और आंखे नम थी । किसी के जाने के बाद खामोशी एक दर्पण बन कर आती है जिसमें वो सब नज़र आता है जो आपने और उसने कहा था ..पर नहीं दिखती है वो होती है खामोशी ।।
Comments
ब्लॉग-राग: कैसे जीतता है सच में सच