आज फिर मन किया..

आज फिर मन किया...

मोदी और राहुल के फेरों से दूर खाध सुरक्षा बिल से परे..पाकिस्तान की हरकत और विक्रांत के अभिषेक से आगे कुछ सोचने को मन किया .. तो कुछ समझ में ही नहीं आया । बस जो याद रहा वो ये कि ज़िन्दगी की हकीकत रोटी है ... किस जगह की रोटी ..कैसी रोटी ..किस तरह की रोटी ... कितनी बार रोटी ... क्या रोटी की आपको चिंता है ... क्योंकि रोटी को आपकी चिंता हमेशा लगी रहती है ..और चिंता को दूर करने के लिए आपको दूर दूर का सफर तय करना पड़ता है ... कहते है दो रोटी नहीं मिलेगी तो सुधर जायेगा.. लगता है कुछ ज्यादा ही रोटी मिलने लगी है ... किस तरह से दूसरे को रोटी मिली यह भी सब जानने के लिये बेताब रहते हैं ..कुछ तो यही बताने में लगे रहते है कि उन्होने किस तरह से रोटी पाई... पांच रूपये में रोटी नहीं मिलती इस देश में इसको भी सबने बता दिया.. यानि रोटी पाने के लिए मोटी कमाई ज़रूरी है... पर मोटी कमाई का क्या मापदंड है इस पर भी विचार अकसर होता रहा है । कहते हैं हमारी नौकरी इसलिये गई क्यों कि कंपनी की कमाई घट गई थी ..यानि जब किसी की कमाई घटेगी तो आपकी रोटी पर असर ज़रूर पड़ेगा... और फिर से रोटी पाने के लिए आपका भाग दौड़ का सिलसिला शुरू हो जायेगा..और चलता रहेगा लेकिन जिन्दगी के एक दौर में हम और हमारा रोटी साथ छोड़ देती है.. जिसके लिये उम्र भर सारे जुगाड़ लगा दिये..अपनी रोटी के लिये दूसरों की रोटी पर लात मारते रहे..अपनी रोटी बचाने के लिये दूसरों की रोटी छीनते रहे.। सारे रिश्ते ताक पर रख दिये।हर से आंखे फेर कर अपनी नज़र सिर्फ अपनी रोटी पर लगाये रखे। आज उस रोटी से मुंह फेर लिया... एक टुकडा भी रोटी का मुंह में नहीं गया।

Comments

Popular posts from this blog

woh subhah kab ayaegi (THEATRE ARTISTE OF INDIA)

33 प्रतिक्षत में आम मुस्लमान औरतों के हिस्से क्या... कुछ नहीं..