समय दो
आज दफ्तर का माहौल कुछ अजीब सा था हर आदमी अपने में व्यस्त था
किसी के पास समय नही था हर काम वो समय से पहले करना चाह रहा था
तभी मुझे ....
अपनी एक पुरानी कविता याद आई
मुझे कुछ और समय़ दो , मुझे कुछ और समय दो
मेरे जीवन की लौ को य़ूं न बुझने दो मुझे कुछ और समय़ दो
अभी तो मेरी आँख के आसू
आँख मे ही अटके हैं
उसको धरती पर तो गिरने दो
मुझे अभी कुछ और समय दो
कुछ और समय़ दो
अभी तो मेरे कानो में आज़ान भी नही गई है
अभी तो मेरे मुंह से राम का नाम भी नही निकला है
मुझे राम और रहीम का कुछ तो जान ने दो
मुझे कुछ और समय दो
मुझे कुछ और समय दो
अभी तो मुझे ममता की बांहे भी नही मिली हैं
अभी तो मैंने माँ के दूध का स्वाद भी नही लिया है
मुझे ममता की आगोश में कुछ पल तो रहने दो
मुझे कुछ और समय दो
मुझे कुछ और समय दो
यह कविता थी इस लिए समय मांगने की हिम्मत जुटा ली
पर ज़िन्दगी में एक बार समय गुजर जाता है वो फिर कोई नही देता , ये मैंने इस कविता के लिखने के दस साल बाद जाना। शायद आपने भी अपने गुजरे हुए वक्त के पन्नो से ज़रूर कुछ समझा होगा। आज बस इतना ही.
मुझे कुछ औऱ समय दो
किसी के पास समय नही था हर काम वो समय से पहले करना चाह रहा था
तभी मुझे ....
अपनी एक पुरानी कविता याद आई
मुझे कुछ और समय़ दो , मुझे कुछ और समय दो
मेरे जीवन की लौ को य़ूं न बुझने दो मुझे कुछ और समय़ दो
अभी तो मेरी आँख के आसू
आँख मे ही अटके हैं
उसको धरती पर तो गिरने दो
मुझे अभी कुछ और समय दो
कुछ और समय़ दो
अभी तो मेरे कानो में आज़ान भी नही गई है
अभी तो मेरे मुंह से राम का नाम भी नही निकला है
मुझे राम और रहीम का कुछ तो जान ने दो
मुझे कुछ और समय दो
मुझे कुछ और समय दो
अभी तो मुझे ममता की बांहे भी नही मिली हैं
अभी तो मैंने माँ के दूध का स्वाद भी नही लिया है
मुझे ममता की आगोश में कुछ पल तो रहने दो
मुझे कुछ और समय दो
मुझे कुछ और समय दो
यह कविता थी इस लिए समय मांगने की हिम्मत जुटा ली
पर ज़िन्दगी में एक बार समय गुजर जाता है वो फिर कोई नही देता , ये मैंने इस कविता के लिखने के दस साल बाद जाना। शायद आपने भी अपने गुजरे हुए वक्त के पन्नो से ज़रूर कुछ समझा होगा। आज बस इतना ही.
मुझे कुछ औऱ समय दो
Comments
kuch karne se bachne ka ek bahana ban gaya hai!
Good to realize the reader about the time and your one liability toward the society.
jyotirmay.tripathi@rsg.co.in