ये मुजाहिदीन नहीं

ये मुजाहिदीन नहीं

आज दिल्ली में इंडिया गेट पर मुस्लिम संगठ हाथों में बैनर पोस्टर लिये खामोशी से आंतकवाद का विरोध करने के लिये इकठ्ठा होये। सब के लब बंद थे और ज़हन में कई सवाल धूम रहे थे। सोच रहे थे की ये दशहतगर्द किस इस्लाम और किस मुस्लमान की पैरवी कर रहे है ये वो मज़हब के मानने वाले तो नहीं जो कुरान पर इमान लाये थे। हमने वहां मौजूद फैजान नक़वी से पूछा की आंतकवादी अपने को मुजाहिदीन कहते है क्या ये सही है उन्होने बिना रुके कहा की मुजाहिदीन कभी भी बच्चे और औरतों को निशाना नहीं बनाते और इस्लाम को मानने और अपने को मुस्लमान कहने वालों को रमज़ान के महिने का भी ख्याल नहीं आया ।
आज चंद लोगों की वजह से एक पूरी कौम कटघरे में खड़ी है ये दाग जो लगा है न जाने कभी मिटेगा भी या नहीं... क्या ये मुजाहिदीन हैं ........

Comments

Gyan Darpan said…
दहशत गर्दों की कोई कोम नही होती वे तो सिर्फ़ अपनी कौम के नाम का फायदा अपने बचाव के लिए उठातें है फ़िर चाहे वे हिंदू दहशत गर्द हों या मुस्लमान | उन्हें कोम की इज्जत का जरा भी ख्याल नही रहता | और मुठी भर लोग अपने बुरे कामों से पुरे समुदाय को बदनाम कर देतें ऐसे लोगों से हमें सावधान रहना होगा |

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