डरे हुए नरेंद्र मोदी ......
डरे हुए नरेंद्र मोदी ......
टीवी पर खबर देखी, नरेंद्र मोदी चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए पहुंचे, सभा का स्थान मोदी का अपना घर था, जी हां मोदी का घर यानी गुजरात, अरे भई गुजरात तो मोदी का घर है ही । इसमे क्या दो राय। अब घर आप उसी जगह को कहते हैं जहां आप सुख चैन से अपने मन माफिक अंदाज़ में रहते हैं। घर के आप मालिक होते हैं । घर में आप जो चाहे वही करते हैं ।तो कुछ ऐसा ही हाल पूरे गुजरात का हैं। गुजरात मोदी के इशारे पर ही चलता हैं। गुजरात में जो मोदी चाहते हैं वही होता , फिर चाहे वो आमिर खान की फिल्मों का विरोध हो या फिर प्रदेश में नैनो प्लांट का आना यानी सब कुछ मोदी के इशारों पर । ये किसी से छुपा नही कि गुजरात में हर तरफ मोदी के ही जयकारे लगते हैं, मोदी की तारीफ करते लोग थकते नही हैं , गुजरात के लोग तो आडवाणी की जगह भी मोदी को ही देखना चाहते हैं भले ही वो मोदी की शर्म भर कर मुखर हो कर कुछ ना बोलें , और तो और जो लोग मोदी के घर आते हैं वो भी मोदीमय हो जाते हैं फिर वो चाहे कितने ही बड़े धनकुबेर क्यों ना हो। याद ही होगा आपको वाईब्रेंट गुजरात सम्मिट जब देश के बड़े उद्योगपतियों ने , मोदी के घर गुजरात में, मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे लायक बताया था। तो अब तो आपको कोई शक और शुबह नही रहा होगा , गुजरात को मोदी का घर मानने में।
मुझे टीवी पर मोदी की चुनावी सभा वाली खबर देखते हुए जो अटपटा लगा उसकी जड़ इसी में छुपी हैं कि- गुजरात मोदी का घर हैं। कहा जाता हैं कि अपने घर में तो कुत्ता भी शेर की तरह गुर्राता हैं , फिर गुजरात के शेर को ये क्या हुआ कि अपने घर में ही भीगी बिल्ली बन गया। बयानों में आग उगलने वाले नरेंद्र मोदी , खुद को समुद्र की बड़ी मछली( छोटी मछलियों को निगल कर ही जिंदा रहती हैं) करार देने वाले नरेंद्र मोदी, बीजेपी के सिंह, नरेंद्र मोदी ,जिनके महाराष्ट्र के चुनावी दौरे ने शिवसेना के शेर, बाला साहेब को भी गुर्राने पर मजबूर कर दिया था आखिर , जाल के पीछे क्यो पहुंच गया।
जी हां मोदी , जाल के पीछे , वो भी गुजरात में । बैडमिंटन कोर्ट में जैसा जाल आपने देखा होगा वैसा ही नेट, अहमदाबाद में उस मंच पर बंधा था जहां से नरेंद्र मोदी को चुनावी सभा को संबोधित करना था। मकसद तो आप समझ ही गए होंगे- सुरक्षा, और सुरक्षा भी किसी के उछाले जूते या चप्पल से।
तो नज़ारा कुछ ऐसा था कि बीजेपी का शेर, लेकिन जाल के पीछे वो भी अपने ही घर में । लेकिन अपने ही घर में जाल के पीछे तो शेर , शायद सिर्फ चिडियाघर में या सर्कस में ही दिखता हैं। तो बीजेपी का शेर , जाल के पीछे ..... और ये महज़ एक्वेरियम वाली मछली का जो बयान नरेंद्र मोदी ने दिया उसकी तरह काल्पनिक नही बल्कि हकीकत था। नरेद्र मोदी मंच पर जाल के पीछे।
इस बात का एक पहलू और भी हैं। उस गुजरात में जहां मोदी कहते हैं, कि कोई उनका विरोध नही करता , लोग पुरानी बातें भूल चुके हैं , सब विकास होते देखना चाहते हैं और कुछ मीडिया वाले ज़बरदस्ती अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के पास जाकर गढे मुर्दे उखाड़ कर , उन्हें बदनाम करने की कोशिश करते हैं ... लेकिन शायद दिल ही दिल में मोदी भी जानते हैं कि उसी गुजरात में , कुछ ऐसी प्रेत आत्माएं हैं जो अपने कातिल को ढूंढ रही हैं , एक तो 6 महीने के मासूम की रूह है जो 2002 के दंगो में अपनी मां की कोख में छुपा हुआ , खुद को महफूज़ समझ रहा था लेकिन कातिल ने उसकी मां के पेट को चीर कर उसे ढूंढ निकाला। बेआबरू कर के टुकड़े- टुक़ड़े कर दी गई कई मासूम लड़कियों के जिस्म के वो टुक़ड़े हैं , जिंदा जला दिए गए सैंकड़ो लोगों के जिस्मों की राख हैं इन सब को तलाश हैं अपने गुनहगार की , मोदी ये जानते हैं पर क्या जाल मोदी को बचा सकेंगा। शायद अभी मोदी सिर्फ डरे हुए इसी लिए ज्यादा कुछ सोच ना पा रहे हो और जाल के पीछे खुद को सुरक्षित समझ रहे हो , अलबत्ता जब मोदा का डर, हकीकत बन कर मोदी के सामने आएगा तो शायद अपने किए की नीचता का अहसास हो , डरे हुए नरेंद्र मोदी को।
टीवी पर खबर देखी, नरेंद्र मोदी चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए पहुंचे, सभा का स्थान मोदी का अपना घर था, जी हां मोदी का घर यानी गुजरात, अरे भई गुजरात तो मोदी का घर है ही । इसमे क्या दो राय। अब घर आप उसी जगह को कहते हैं जहां आप सुख चैन से अपने मन माफिक अंदाज़ में रहते हैं। घर के आप मालिक होते हैं । घर में आप जो चाहे वही करते हैं ।तो कुछ ऐसा ही हाल पूरे गुजरात का हैं। गुजरात मोदी के इशारे पर ही चलता हैं। गुजरात में जो मोदी चाहते हैं वही होता , फिर चाहे वो आमिर खान की फिल्मों का विरोध हो या फिर प्रदेश में नैनो प्लांट का आना यानी सब कुछ मोदी के इशारों पर । ये किसी से छुपा नही कि गुजरात में हर तरफ मोदी के ही जयकारे लगते हैं, मोदी की तारीफ करते लोग थकते नही हैं , गुजरात के लोग तो आडवाणी की जगह भी मोदी को ही देखना चाहते हैं भले ही वो मोदी की शर्म भर कर मुखर हो कर कुछ ना बोलें , और तो और जो लोग मोदी के घर आते हैं वो भी मोदीमय हो जाते हैं फिर वो चाहे कितने ही बड़े धनकुबेर क्यों ना हो। याद ही होगा आपको वाईब्रेंट गुजरात सम्मिट जब देश के बड़े उद्योगपतियों ने , मोदी के घर गुजरात में, मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे लायक बताया था। तो अब तो आपको कोई शक और शुबह नही रहा होगा , गुजरात को मोदी का घर मानने में।
मुझे टीवी पर मोदी की चुनावी सभा वाली खबर देखते हुए जो अटपटा लगा उसकी जड़ इसी में छुपी हैं कि- गुजरात मोदी का घर हैं। कहा जाता हैं कि अपने घर में तो कुत्ता भी शेर की तरह गुर्राता हैं , फिर गुजरात के शेर को ये क्या हुआ कि अपने घर में ही भीगी बिल्ली बन गया। बयानों में आग उगलने वाले नरेंद्र मोदी , खुद को समुद्र की बड़ी मछली( छोटी मछलियों को निगल कर ही जिंदा रहती हैं) करार देने वाले नरेंद्र मोदी, बीजेपी के सिंह, नरेंद्र मोदी ,जिनके महाराष्ट्र के चुनावी दौरे ने शिवसेना के शेर, बाला साहेब को भी गुर्राने पर मजबूर कर दिया था आखिर , जाल के पीछे क्यो पहुंच गया।
जी हां मोदी , जाल के पीछे , वो भी गुजरात में । बैडमिंटन कोर्ट में जैसा जाल आपने देखा होगा वैसा ही नेट, अहमदाबाद में उस मंच पर बंधा था जहां से नरेंद्र मोदी को चुनावी सभा को संबोधित करना था। मकसद तो आप समझ ही गए होंगे- सुरक्षा, और सुरक्षा भी किसी के उछाले जूते या चप्पल से।
तो नज़ारा कुछ ऐसा था कि बीजेपी का शेर, लेकिन जाल के पीछे वो भी अपने ही घर में । लेकिन अपने ही घर में जाल के पीछे तो शेर , शायद सिर्फ चिडियाघर में या सर्कस में ही दिखता हैं। तो बीजेपी का शेर , जाल के पीछे ..... और ये महज़ एक्वेरियम वाली मछली का जो बयान नरेंद्र मोदी ने दिया उसकी तरह काल्पनिक नही बल्कि हकीकत था। नरेद्र मोदी मंच पर जाल के पीछे।
इस बात का एक पहलू और भी हैं। उस गुजरात में जहां मोदी कहते हैं, कि कोई उनका विरोध नही करता , लोग पुरानी बातें भूल चुके हैं , सब विकास होते देखना चाहते हैं और कुछ मीडिया वाले ज़बरदस्ती अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के पास जाकर गढे मुर्दे उखाड़ कर , उन्हें बदनाम करने की कोशिश करते हैं ... लेकिन शायद दिल ही दिल में मोदी भी जानते हैं कि उसी गुजरात में , कुछ ऐसी प्रेत आत्माएं हैं जो अपने कातिल को ढूंढ रही हैं , एक तो 6 महीने के मासूम की रूह है जो 2002 के दंगो में अपनी मां की कोख में छुपा हुआ , खुद को महफूज़ समझ रहा था लेकिन कातिल ने उसकी मां के पेट को चीर कर उसे ढूंढ निकाला। बेआबरू कर के टुकड़े- टुक़ड़े कर दी गई कई मासूम लड़कियों के जिस्म के वो टुक़ड़े हैं , जिंदा जला दिए गए सैंकड़ो लोगों के जिस्मों की राख हैं इन सब को तलाश हैं अपने गुनहगार की , मोदी ये जानते हैं पर क्या जाल मोदी को बचा सकेंगा। शायद अभी मोदी सिर्फ डरे हुए इसी लिए ज्यादा कुछ सोच ना पा रहे हो और जाल के पीछे खुद को सुरक्षित समझ रहे हो , अलबत्ता जब मोदा का डर, हकीकत बन कर मोदी के सामने आएगा तो शायद अपने किए की नीचता का अहसास हो , डरे हुए नरेंद्र मोदी को।
Comments
पढ़े लिखे हो, थोडा पढ़ भी लिया करो, सिर्फ लिखने से काम नहीं होता.
आप जिस बच्ची का पेट फाड़ कर हत्या करने की बात कर रहे हैं वह समाचार बांटे वाली महिला आज स्वयं झूठ का पुलिंदा लिए मुंह छुपाते घूम रही हैं.
http://hindimedia.in/index.php?option=com_content&task=view&id=5946&Itemid=203
अब कोख से बच्चा निकालने वाली बात तो लिखना छोड़ो भाई, यह कहानी गलत साबित हो चुकी... इस कहानी से जिन्हे पैसा बनाना था बना लिया. जिन्हे मूर्ख बनना था बन लिये...जै हो...
http://timesofindia.indiatimes.com/India/Guj-govts-not-an-SIT-report/articleshow/4407434.cms
त्यागी जी, और बेनाम महोदय को भी यह रिपोर्ट देख लेनी चाहिए
संजय बेंगाणी जी, आप सही कह रहे हैं कि वास्तव में तो डरे हुए तो कोई और ही हैं, धर्म के नाम पर, क्रिया की प्रतिक्रिया के नाम पर जिस कौम का कत्लेआम किया जाए वह डरी हुई होगी ही...
लेकिन जूते का ही सही, मोदी और अन्य नेताओं को भी डर तो है ही
गौ की धरा पे ज़ुल्म तो होता ही रहा है,
फ़िर गौ-धरा पे ज़ुल्म हुआ देखते रहे।
बेह्तर होगा अब हम मानवीय पक्ष उजागर करे और सभी के लिये न्याय और सम्मान की बात करे।
-मन्सूर अली हाश्मी