अविनाश विनाश की राह पर...
अविनाश विनाश की राह पर...
आज जब ये खबर मिली की अविनाश दाश ने एक लड़की के साथ बल्तकार किया है तो एक दम से झटका लगा ....फिर जा कर नेट पर देखा तो बात छेड़खानी की लिखी थी ...फिर किसी और का ब्लॉग पढा तो उसमें लिखा था कि उन्होने उसको पहले... दफ्तर बुलाया फिर उसे घर छोड़ने का ऑफर दिया ..फिर उससे चाय पीने को कहा ..फिर उसके कमरे मे घुसे ..फिर रेप की कोशिश की ...जब उसने विरोध किया तो उसे छोड़ कर चले गये बाद में एस एम एस का दौर शुरू हुआ...
कहने का मतलब ये है किसी के पास पूरी जानकारी नहीं है ..पर मुंह से बात निकल रही है और फैलती जा रही..हमें कुछ लिखने से पहले ,कुछ बोलने से पहले सच की पड़ताल कर लेनी चाहिये...
जहां तक मुझे पता है अविनाश एक बहुत ही गरीब परिवार से आते हैं..उनके पिता दिन रात शराब मे डूबे रहते हैं..उन्होने काफी संघर्ष किया और आगे बढ़े.. लिखते बढ़िया हैं इसमें कोई दो राय नहीं.
जब उन्हे टीवी चैनल में नौकरी मिली तो उन्होने अपने दोस्तों से कहा यार बहुत पैसा मिल रहा है .. जबकि उस वक्त उनकी सैलरी दफ्तर में दूसरे लोगों को मिलने वाली पगार से काफी कम थी ...
उन्होने डेस्क में क्राइम में काफी काम किया है ..इस लिये अगर ऐसी हरकत उन्होने की है तो इसके नतीजे के बारे में उन्हे पता होगा ..
बेटी ब्लॉग लिखने पर उन्हे ऑर्वड भी मिल चुका .जो लड़की के बारे इतने अच्छे विचार रखता हो ..वो इस तरह की हरकत करे ... बहुत शर्मनाक बात है ..
एक साल के करीब की उनकी बेटी भी है
पर अगर किसी लड़की ने उनकी शिकायत की है तो वो बेबुनियाद नहीं होगी ..
अगर संस्थान ने उन्हे निकाला है तो कोई कारण भी होगा..
आम आदमी की तरह शयाद अविनाश भी शौहरत के नशे में डूब तो नहीं गये .जिन बॉसों की वो आलोचना करते थे कहीं उनकी तरह खुद तो नहीं हो गये..
लेकिन फिर कहूंगा हमें किसी के चरित्र के बार में कहने से पहले सोच लेना चाहिये ..आप को याद दिला दू ..2003 या 04 में एक रावण की भूमिका अदा करने वाले अभिनेता की भांजी ने उस पर ऐसा ही आरोप लगाया था....वो बार बार कहता रहा कि उसने कुछ नहीं किया ...पर मीडिया ने उसे रावण मामा बना दिया था ..और सब ने उसे बल्तकारी बता दिया अंत में उसने खुदकुशी कर ली ...
जो सच है वो सामने आये ..अगर अविनाश दोषी हैं.... उनको कानूनी तौर पर जो सज़ा हो वो मिले..और अगर साज़िश है तो उन साज़िश करने वालो का पर्दाफाश हो ....
आज जब ये खबर मिली की अविनाश दाश ने एक लड़की के साथ बल्तकार किया है तो एक दम से झटका लगा ....फिर जा कर नेट पर देखा तो बात छेड़खानी की लिखी थी ...फिर किसी और का ब्लॉग पढा तो उसमें लिखा था कि उन्होने उसको पहले... दफ्तर बुलाया फिर उसे घर छोड़ने का ऑफर दिया ..फिर उससे चाय पीने को कहा ..फिर उसके कमरे मे घुसे ..फिर रेप की कोशिश की ...जब उसने विरोध किया तो उसे छोड़ कर चले गये बाद में एस एम एस का दौर शुरू हुआ...
कहने का मतलब ये है किसी के पास पूरी जानकारी नहीं है ..पर मुंह से बात निकल रही है और फैलती जा रही..हमें कुछ लिखने से पहले ,कुछ बोलने से पहले सच की पड़ताल कर लेनी चाहिये...
जहां तक मुझे पता है अविनाश एक बहुत ही गरीब परिवार से आते हैं..उनके पिता दिन रात शराब मे डूबे रहते हैं..उन्होने काफी संघर्ष किया और आगे बढ़े.. लिखते बढ़िया हैं इसमें कोई दो राय नहीं.
जब उन्हे टीवी चैनल में नौकरी मिली तो उन्होने अपने दोस्तों से कहा यार बहुत पैसा मिल रहा है .. जबकि उस वक्त उनकी सैलरी दफ्तर में दूसरे लोगों को मिलने वाली पगार से काफी कम थी ...
उन्होने डेस्क में क्राइम में काफी काम किया है ..इस लिये अगर ऐसी हरकत उन्होने की है तो इसके नतीजे के बारे में उन्हे पता होगा ..
बेटी ब्लॉग लिखने पर उन्हे ऑर्वड भी मिल चुका .जो लड़की के बारे इतने अच्छे विचार रखता हो ..वो इस तरह की हरकत करे ... बहुत शर्मनाक बात है ..
एक साल के करीब की उनकी बेटी भी है
पर अगर किसी लड़की ने उनकी शिकायत की है तो वो बेबुनियाद नहीं होगी ..
अगर संस्थान ने उन्हे निकाला है तो कोई कारण भी होगा..
आम आदमी की तरह शयाद अविनाश भी शौहरत के नशे में डूब तो नहीं गये .जिन बॉसों की वो आलोचना करते थे कहीं उनकी तरह खुद तो नहीं हो गये..
लेकिन फिर कहूंगा हमें किसी के चरित्र के बार में कहने से पहले सोच लेना चाहिये ..आप को याद दिला दू ..2003 या 04 में एक रावण की भूमिका अदा करने वाले अभिनेता की भांजी ने उस पर ऐसा ही आरोप लगाया था....वो बार बार कहता रहा कि उसने कुछ नहीं किया ...पर मीडिया ने उसे रावण मामा बना दिया था ..और सब ने उसे बल्तकारी बता दिया अंत में उसने खुदकुशी कर ली ...
जो सच है वो सामने आये ..अगर अविनाश दोषी हैं.... उनको कानूनी तौर पर जो सज़ा हो वो मिले..और अगर साज़िश है तो उन साज़िश करने वालो का पर्दाफाश हो ....
Comments
मुझ पर जो अशोभनीय लांछन लगे हैं, ये उनका जवाब नहीं है। इसलिए नहीं है, क्योंकि कोई जवाब चाह ही नहीं रहा है। दुख की कुछ क़तरने हैं, जिन्हें मैं अपने कुछ दोस्तों की सलाह पर आपके सामने रख रहा हूं - बस।
मैं दुखी हूं। दुख का रिश्ता उन फफोलों से है, जो आपके मन में चाहे-अनचाहे उग आते हैं। इस वक्त सिर्फ मैं ये कह सकता हूं कि मैं निर्दोष हूं या सिर्फ वो लड़की, जिसने मुझ पर इतने संगीन आरोप लगाये। कठघरे में मैं हूं, इसलिए मेरे लिए ये कहना ज्यादा आसान होगा कि आरोप लगाने वाली लड़की के बारे में जितनी तफसील हमारे सामने है - वह उसे मोहरा साबित करते हैं और पारंपरिक शब्दावली में चरित्रहीन भी। लेकिन मैं ऐसा नहीं कह रहा हूं और अभी भी पीड़िता की मन:स्थिति को समझने की कोशिश कर रहा हूं।
मैं दोषी हूं, तो मुझे सलाखों के पीछे होना चाहिए। पीट पीट कर मुझसे सच उगलवाया जाना चाहिए। या लड़की के आरोपों से मिलान करते हुए मुझसे क्रॉस क्वेश्चन किये जाने चाहिए। या फिर मेरी दलील के आधार पर उसके आरोपों की सच्चाई परखनी चाहिए। लेकिन अब किसी को कुछ नहीं चाहिए। पीड़िता को बस इतने भर से इंसाफ़ मिल गया कि डीबी स्टार का संपादन मेरे हाथों से निकल जाए।
दुख इस बात का है कि अभी तक इस मामले में मुझे किसी ने भी तलब नहीं किया। न मुझसे कुछ भी पूछने की जरूरत समझी गयी। एक आरोप, जो हवा में उड़ रहा था और जिसकी चर्चा मेरे आस-पड़ोस के माहौल में घुली हुई थी - जिसकी भनक मिलने पर मैंने अपने प्रबंधन से इस बारे में बात करनी चाही। मैंने समय मांगा और जब मैंने अपनी बात रखी, वे मेरी मदद करने में अपनी असमर्थता जाहिर कर रहे थे। बल्कि ऐसी मन:स्थिति में मेरे काम पर असर पड़ने की बात छेड़ने पर मुझे छुट्टी पर जाने के लिए कह दिया गया।
ख़ैर, इस पूरे मामले में जिस कथित कमेटी और उसकी जांच रिपोर्ट की चर्चा आ रही है, उस कमेटी तक ने मुझसे मिलने की ज़हमत नहीं उठायी।
मैं बेचैन हूं। आरोप इतना बड़ा है कि इस वक्त मन में हजारों किस्म के बवंडर उमड़ रहे हैं। लेकिन मेरे साथ मुझको जानने वाले जिस तरह से खड़े हैं, वे मुझे किसी भी आत्मघाती कदम से अब तक रोके हुए हैं। एक ब्लॉग पर विष्णु बैरागी ने लिखा, ‘इस किस्से के पीछे ‘पैसा और पावर’ हो तो कोई ताज्जुब नहीं...’, और इसी किस्म के ढाढ़स बंधाने वाले फोन कॉल्स मेरा संबल, मेरी ताक़त बने हुए हैं।
मैं जानता हूं, इस एक आरोप ने मेरा सब कुछ छीन लिया है - मुझसे मेरा सारा आत्मविश्वास। साथ ही कपटपूर्ण वातावरण और हर मुश्किल में अब तक बचायी हुई वो निश्छलता भी, जिसकी वजह से बिना कुछ सोचे हुए एक बीमार लड़की को छोड़ने मैं उसके घर तक चला गया।
मैं शून्य की सतह पर खड़ा हूं और मुझे सब कुछ अब ज़ीरो से शुरू करना होगा। मेरी परीक्षा अब इसी में है कि अब तक के सफ़र और कथित क़ामयाबी से इकट्ठा हुए अहंकार को उतार कर मैं कैसे अपना नया सफ़र शुरू करूं। जिसको आरोपों का एक झोंका तिनके की तरह उड़ा दे, उसकी औक़ात कुछ भी नहीं। कुछ नहीं होने के इस एहसास से सफ़र की शुरुआत ज़्यादा आसान समझी जाती है। लेकिन मैं जानता हूं कि मेरा नया सफ़र कितना कठिन होगा।
एक नारीवादी होने के नाते इस प्रकरण में मेरी सहानुभूति स्त्री पक्ष के साथ है - इस वक्त मैं यही कह सकता हूं।
क्या यह ध्रुव सत्य है ?
कल विरोध ब्लाग पर भी बहुत सुन्दर और प्यारे ढंग से लिखा गया था, हमें विश्वास है कि आगे भी विरोध और जनादेश पर एसी ही सूचनायें मिलती रहेंगी
साधुवाद
Mai aise longo ke liye aansu nahi bahati…. Sab sambhalkar rakhe hai is dharti se bedakhal aadhi aabadi ke liye.
पहली बात सही, और दूसरी बात सरासर गलत.. इतना ही काफी है यह बताने को कि आप अविनाश को कितना जानते हैं.. प्लीज कोई कयास ना लगायें..