क्या चीज़ महुब्बत है...

क्या चीज़ महुब्बत है...
वक्त के साथ मुहब्बत बदलती जा रही है ...इश्क नये रास्ते इख्तियार करता जा रहा है । जहां पहले मुहब्बत में जान दे दी जाती थी आज प्रेमी और प्रेमिका एक दूसरे की जान ले लेते हैं ... पहले जो इज़हार नज़रों और कलामों से हुआ करता था आज सीडी और डीवीडी से होता है..पहले तस्वीर निशानी होती थी आज तस्वीर बदनामी हो गई है ...
गुरू और शिक्षक में अदब था आज वासना है ..नियत खराब है ...पहले पढ़ने वाल अपने उस्ताद को देख कर खड़ा हो जाता था ...आज उस्ताद खड़ा है ....
आज प्रेम बाज़ार है ..पहले बाज़ार में प्रेम करने की कोई सोच नही सकता था आज बाज़ार के लिये ही प्रेम होता है ..महुब्बत बिकती है ..और मुनाफे के लिये प्यार कराया और किया जाता है ...
बंद कमरों कि बातें कोई सुन न ले ..ऐसा ख्याअल सब रखते थे आज बंद कमरे में क्या हुआ इसे सब को दिखाया जाता है.... वो भी दावा करते थे अपनी मुहब्बत का ये भी दावा करते हैं अपने इश्क का ....
बस हम तो ये ही कहेगें...
दिल ग़म का निशाना है दुनिया की इनायत है ।
तकदीर से क्या शिकवा क्या उनसे शिकायत है ।.
महफिल में कहां बैठे.देखें तो किधर देखे।
इस सिम्त कयामत है ,उस सिम्त कयामत है ।।
ख्वाखों के झरोखों से ,खामोश गुज़र जाना ।
किस उम्र का ये बदला है ,कैसी ये कमायत है ।।
नादां है अभी हम इतना भी नहीं समझे।
क्या चीज़ महुब्बत है ,क्या चीज़ इबादत है ।।

Comments

दिल ग़म का निशाना है दुनिया की इनायत है ।
तकदीर से क्या शिकवा क्या उनसे शिकायत है ।.
महफिल में कहां बैठे.देखें तो किधर देखे।
इस सिम्त कयामत है ,उस सिम्त कयामत है ।।
ख्वाखों के झरोखों से ,खामोश गुज़र जाना ।
किस उम्र का ये बदला है ,कैसी ये कमायत है बहुत sunder शब्दों का chayan किया है
Udan Tashtari said…
बेहतरीन अभिव्यक्ति!! बधाई.

Popular posts from this blog

woh subhah kab ayaegi (THEATRE ARTISTE OF INDIA)

33 प्रतिक्षत में आम मुस्लमान औरतों के हिस्से क्या... कुछ नहीं..