Pub culture…
Pub culture…
काफी दोस्तों ने मुझसे pub culture क्या होता है पब में क्या होता है लिखने को कहा..मैं किसी को कोई दिशा नहीं देना चाहता । पर जो वहां होता है वो में साफ साफ लिख रहा हूं..सही ग़लत बताने वाला मैं कोई नहीं ..और pub culture का न मैं विरोध कर रहा हू और न समर्थन ..हमारी अपनी ज़िन्दगी है हम जिस राह चाहे चल सकते है ..
काम काज के लिये मैने कई साल मुंबई में बिताये है , इसी दौरान शाराब ,पब डांसिंग बार ..कार्ल गर्ल ,नशा और दौलत कमाने के रात के तरीकों को बहुत करीब से देखा और समझने कि कोशिश की है ..और उसी में से एक pub culture के बारे में और पब में आने वालों की ज़िन्दगी के बारे में लिखने जा रहा हूं... .
उस दौरान टीवी में थ्रीलर का काफी चलन शुरू हुआ था । और क्राईम लिखने के लिए प्लॉट की तलाश करते हुए रात को होने वाली गतिविधियों को देखने चल देते थे ।...
मुबंई एयरपोर्ट के पास एक डिस्को थीक ये एक ऐसी जगह थी जहां स्टैग एंटरी हो सकती है यानी अकेला आदमी भी जा सकता है ।वैसे ऐसे पबों में अकेले आना वर्जित होता है ..यानि अगर आपको आना है तो आपके साथ दूसरे लिंग का व्यक्ति होना ज़रूरी होता है ..लड़के के साथ लड़की और लड़की के साथ लड़का होना ज़रूरी होता है।
जैसे ही आप पहुचेंगे दरवाज़े पर आपको चार पांच लोग मिलेगे..जो आप के पैसों के बदले कुछ कोपन देगें और हाथ में मोहर लगायेंगें ये मोहर पहचान है कि आप कानूनी तौर से इस के अंदर आये हैं क्योंकि इस जगह के कई रास्ते होते हैं...औऱ ज्यादा रात होते ही मैंन दरवाज़ा बंद हो जाता है और दूसरे दरवाज़े खुल जाते हैं...।
मुस्कुराते हुए अंदर घूसिये.. और अंदर हल्की नीले, लाल रंग की रोशनी .. उत्तेजना वाले रंग अंधेरे में ..और तेज़ संगीत इतना , की किसी को कुछ बोलना हो तो एकदम नज़दीक जी एक- दूसरे को अपना शरीर एकदम जोड़ना पड़ जाता है अपनी बात सुनाने के लिये . ..
एक काउंटर होता है जिसके चारों तरफ स्टूल लगें होते हैं ..बीच में बार टैंडर, बहुत कम रोशनी, गिलासों की चमक, पानी का शोर, छम-छम करती बाहर आती शराब हवा में नशा जो आप सुनते हैं वो वहां आप महसूस कर सकते हैं ..
हर तरह की शराब हर किस्म का नशा ,विदेशी खाना ...
पब के चारों तरफ आपको काले लिबास में काफी ताकतवर नौजवान लड़के दिख जायेगें जिन का काम है की कही किसी का, नशे में झगड़ा न हो ..ये एक और काम भी करते हैं ।जिसके बारे में आप को मैं बाद में बताऊंगा ...
पब के एक कोने में बहुत बड़ा सा शीशा लगा होता है और उसी के पास प्लैटफार्म..जिसके नीचे भी लाइट लगी होती है जो संगीत की धुन के साथ कम और ज्यादा होती रहती है ।
सात आठ बजे से कार्यक्रम शुरू हो जाता है और घीरे घीरे लोग आने लगते हैं.. चमकीले ब्रांडिड कपडे हर तरह के फैशन ...छोटी,बड़ी ,सैकर्ट कमीज़ के बटन खुले हुये टी शर्ट थोड़ी फटी हुई .. हाथ में तरह तरह के बैंड, हर तरह के जैल बालों में .. एक दूसरे का हाथ हाथों में ....
पहले संगीत बार के लोग ही बजाते है फिर आता है डीजे.. जो लोगों की नव्ज़ के हिसाब से गाना बजाता है ..इसका दूसरा काम होता है वो ये इसके पास, पब में आने वाले हर आदमी की पूरी जानकारी होती है.. हां इसके पास हर नशे की पुड़ीया भी मिल जाये गी ..।
रात गहराते ही रंगीन होने लगती है छोटी सी जगह और उम्मीद से ज्यादा सैलाब..जवान लड़के लड़कियों हैं। एक दो बुर्ज़ग भी, जिन्दगी के गुज़रे हुए लम्हों का जाते हुए वक्त में मज़ा लूटने के लिये । अंग से अंग लग जाये तो आंनद आ जाये ।
संगीत के साथ कदम हिलने लगते है ,कदम के साथ हाथ ,हाथ के साथ कमर और कमर के साथ छाती ,छाती के साथ बाल और फिर सब एक साथ ..
सुनीता,अनीता,, रेखा ,अंजू,मंजू.. राकेश महेश रज़ा बॉबी कहां खो कर क्या बन जाते कुछ समझ नही आता ..
हर का शरीर एक दूसरे के इतने करीब की पहचान में ही न आये फिर दोनो के हाथ दूसरों के कपड़ों के अंदर ऐसे चले जायेंगे की किसी को होश ही न रहे ।ये सब देखते भी हैं और नहीं भी, कभी कोई तो कभी कोई..
टॉयलेट का भी यही हाल कोई उल्टी कर रहा होता है। कहीं लड़का लड़की बंद होते है क्या कर रहे होते हैं पता नहीं..
फिर कभी गिरती संभली कुछ लड़कियों को बांउसर सहरा देते हैं उनका मज़बूत शरीर इतना बढ़ीया लगता है कि वो उनके साथ ही चल देते हैं..
सब आते तो अपने पैरों पर फिर जाते हैं किसी के सहारे से ..और फिर आप सुबह खबर सुनते है ......एक कार ने इतनों को कुचल दिया...
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