बस चल दिये

तलाश में किस की भटक रहे हैं हम ...
किस के लिये तरस रहे हम
न जाने खुदा को क्यों ढ़ूढ़ रहे हम ...
मौला मौला, आका आका, रब्बा रब्बा याद आ रहा है क्यों..
चाहिये एक ज़मीन.. .चाहिये एक नगर
गली गली इधर उधर क्यों मुड़ रहे हैं हम ..
देखो वो देख रहा है..
वो सब जान रहा है
उस को सब पता है
वो ही तुम्हारा है
वो ही तुम को लाया है
वो ही तुम को लेकर जायेगा
तुम अकेले नही हो
वो तुम्हारे साथ है
क्यो डर रहे हो
किससे डर रहे हो
उसे सब मालुम
वो किसी को कुछ नहीं बतायेगा
बस तुम को समझायेगा
दिलासा देगा
सहारा बनेगा
रास्ता दिखायेगा...
तुम को उससे मिल कर अच्छा लगेगा..
अरे वो तुम्हारे बारे में सब जानता है ..
तुम किससे मिलते हो
किससे मिलना चाहते तो
उसको पता है....
देखो कुछ दिन की तो बात है
फिर सब ठीक हो जायेगा
सब पहले जैसा
बिल्कुल पहले जैसा..
हां वो भी मिलेगे
और वो भी मिलेगा...
क्या चाहिये और..
कुछ बचा है क्या
अरे जो बच गया वो भी मिल जाये गा..
बस एक या दो दिन..
क्यों नही होगा अरे
सब कुछ तो हुआ है वो भी हो जायेगा..
देखो देखो सब भूल जाऊ..
अरे कर के तो देखो .
.मानो तो...बस यही है
बात नहीं मानते
मान जाते तो आज ये नहीं होता .
पर तुम क्यों मानोगे
आज तक कुछ माना है जो अब..
बस यार रहने दो
तुम्हारा कुछ नही हो सकता है
बस यूंही कूढ़ते रहो ..सड़ते रहों
अरे तुम्हारे लिये कितना किया
और कोई क्या करेगा ...
बस बहुत हुआ अब ताकत नही है
तुम्हारी जिन्दगी है तुम जानो
हम तो समझा सकते थे
समझा दिया ...
आगे अल्ला मालिक..
पर क्या करे दिल दुखता है
भई ग़लती हो गई माफ कर दो..
अच्छा जी चलें
ठीक .. देखो..सुनो ..चलो छोडो
तुम्हारी मर्जी़ ..जो दिल में आये करो.....

Comments

Anonymous said…
आपकी सुंदर अभिव्‍यक्ति के लिए मेरे तरफ से ये पंक्तियां स्‍वीकार करें-

रेशमी उजाले में चांद तन पिघलता है
जुगनुओं सा, सन्‍नाटा चीरकर निकलता है
सुब्‍हे नौ उनींदी सी भीगी-भीगी पलकों पर
कौन है जो शबनम सा सारी रात जलता है
Anonymous said…
bahut achhi lagi rachana badhai
आगे अल्ला मालिक..
पर क्या करे दिल दुखता है
भई ग़लती हो गई माफ कर दो..
अच्छा जी चलें
ठीक .. देखो..सुनो ..चलो छोडो
तुम्हारी मर्जी़ ..जो दिल में आये करो..... सुंदर अभिव्‍यक्ति
शुरू से अंत तक पढ़ते हुए एक बार भी ध्यान नहीं हटा .....बहुत अच्छी थी

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

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