खुदा का क़हर या कुछ और-बरमूडा ट्रायएंगल..(bermuda)

खुदा का क़हर या कुछ और-बरमूडा ट्रायएंगल..(bermuda)
सोमवार को एयर फ्रांस का जहाज़ 447 ब्राज़ील से 7बजे उड़ा और अटलांटिक महासागर के ऊपर से गुज़रते हुए.. गायब हो गया ।
आज खबर आई कि उसके कुछ टुकड़े ब्राज़ील के समुद्र के किनारे पाए गए है..
इस हादसे ने लोगों के अंदर डर पैदा कर दिया और दुनिया को बरमूडा ट्रायएंगल के बारे में एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया..
आप में से ज्यादातर लोग बरमूडा त्रीकोण के बारे मे जानते होगे..पर जिन्हे नहीं मालुम उनको इसके बारे में जानना ज़रूरी है..ये दास्तान किसी जादुई कहानी से कम नहीं
कहते हैं सागर न जाने कितने राज़ अपने में दबाए हुए है और उसी में से एक राज़ है बरमुडा ट्रायएंगल ..ये एक ऐसा ब्लैक होल है, जिसकी चुबंक से बच कर निकलना बहुत मुश्किल है...जो भी इस के करीब पहुचता है उसको ये निगल लेता है..जब ये अपने असली रूप में होता है उस वक्त का मंज़र बहुत ही खौफनाक होता है ..तूफान का रूप ये ले लेता है और तकरीबन 55हज़ार फीट तक इसकी लहरे पहुच जाती है ..और कोई भी विमान ज्यादा से ज्यादा 33हज़ार फीट तक ही उड़ सकता है और इतने ताकतवर भंवर से पानी के जहाज़ का हाल क्या होगा खुद ही पता चल जाता है न जाने कितने जहाज़ और कितना ज़िन्दगियों को ये लील चुका है...
बरमूडा ट्राएंगल को शैतानी ट्रायएंगल भी कहा जाता है ..सब से पहले इसकी खबर आई दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब एक जहाज़ अचानक इसी इलाके से लापता हो गया तब लोगों का मानना था कि खुदा ने अपना कहर दिखाने के लिये ऐसा किया है क्योंकि इस दुनिया में बेकसूरों की जान जा रही है ..इस के बाद न जान क्यों ऐसा तभी होता जब दुनिया में ज़ुल्म और गुनाह बढ़ने लगते ।लगभग साठ साल से लगातार ऐसा ही हो रहा है ,,, ये कोई अंधविश्वास नहीं यहां सारे रिकॉर्ड मौजूद है।..वैज्ञानिकों ने इस मिथ को खत्म करने के लिये जहाज़ों और विमानों में कई सुधार भी किये गए पर..कोई फायदा नहीं हुआ...
नक्शे में ये इलाका उत्तर पश्चिम अटलांटिक महासागर पर है .. इस त्रीकोण के रेखाए ज्यादा साफ नहीं दिखती पर जो दिखता है वो ये कि इसका एक कोना फ्लोरिडा से जुडता है दूसरा बरमूडा से और तीसरा कोना प्यूरटोरिका से इसकी सरहदें बाहामास और कैरेबियाई सागर के पास हैं..और इसी के पास के सुमद्री इलाके से कई जहाज़ और विमान गुज़रते है .. ज़रा सा भी उनका भटकाऊ उन्हे जाने और अंजाने इसकी ओर ले जाता है और वो इसकी चपेट में आ ही जाते है ...... फिर कभी वापस नहीं आ पाते ..
उम्मीद करते हैं हम कि ये मिथ टूटे और फ्रांस के विमान से इसके राज़ का पर्दाफाश हो...पर अभी तक बरमूडा ट्रायएंगल का राज़ बरकरार है.......





Comments

Neeraj Rohilla said…
आह,
आपके लेख में कई गलत तथ्य हैं। बरमूडा टायएंगल में कोई ब्लैकहोल नहीं है। न ही कोई ऐसा अलग सा चुम्बकीय क्षेत्र ही। ५५००० फ़ीट तक लहरों वाली बात भी गलत है।
कृपया कम से कम विकीपीडिया से ही तथ्यों का मिलान कर लेते।
भई 55000 फिट उंची लहर कितनी उंची होती है हमे तो नही मालूम हमारा गणित कमज़ोर है..
Sachi said…
Scientific errors in your post..
I had seen later the post of Mr. Neeraj, as it was almost incredible for me.
शान भई, ब्लैक होल आकाशगंगा में होते हैं, समुद्र में नहीं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Gyanesh said…
Oye Shan, Shan Oye!! Yeh ki kitta oye..!!!

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