शौहरत और दौलत

शौहरत और दौलत
अक्सर सोचता हूं ..जिन्दगी जो हम जी रहे हैं किस लिए...उसमें क्या क्या महत्वपूर्ण हैं.. जिससे पूछा ,सब ने कहा एक खुशहाल जीवन के लिए जिन्दगी में खुशियां होनी ज़रूरी हैं ,,और खुशियों को कैसे परिभाषित किया जाए..तो कहा सब ठीक ठाक हो...सब स्वस्थ रहे , एक अच्छा घर हो कामकाज चलता हो दुनिया में अपनी पहचान हो..बस और क्या चाहिए...
फिर मुझे ध्यान आया की वो लोग कितने महान है जो जीवन में इन सब को त्याग कर के अलग रहते हैं .दौलत शौहरत से दूर .सहेत की न परवाह न अपने हाल की चिंता..वो भी तो जीवन जी रहे हैं...पर हममें से शायद ही कोई उस तरह का जीवन वितित करना चाहता हो.. क्यों...
दुनिया में दौलत औऱ शौहरत इसकी प्यास सब को है.. हर शाम,हर रोज़ हर सुबह मां बाप, अम्मी अब्बू अपने लख्तेजिगर को दौलत और शौहरत से धनी लोगों का ज़िक्र करते नहीं थकते ..देखो उसने ये कर लिया वो विदेश में बस गया उसका कितना नाम है ..आज उसके पास हर चीज़ है..
बात को आगे बढ़ाने के लिए आपको दो सधारण लोगो के बारे में बताता चलू.. पहले सम्मान जाति का होता था ..यानि जो उच्च जाति का है उसको समाज में सम्मानजनक नज़रों से देखा जाता था ..छोटे शहरों में अभी भी है .. दिल्ली जब बस रही थी ..लोग छोटे-छोटे शहरों से आ कर दिल्ली के इलाकों में रहने लग रहे थे..हर समाज की अलग अलग बिरादरी के लोग एक साथ जुड़ रहे थे ..तभी दो शख्स आए एक बढ़ई दूसरा कबाड़ी.।रियासत और नवाब ..छोटा धंधा है इसलिए लाज़मी है इसको करने वाले लोग भी छोटे तबके के होगें..उंची जाति के लोगों ने उनके साथ न अच्छा बरताव किया न बुरा हां सलाम दुआ रखा क्योंकि वो परदेश की ज़रूरत थी ..और हां किसी ने अपने बच्चों को उनकी तरह बनने की नसीहत भी नहीं दी..
वक्त बदला नौकरी पेशा लोग वही रहे गए..और रियासत सच में रियासतों का मालिक हो गया..और नवाब सच में नवाब बन गया..और पैतीस साल बाद हालत और हालात बदल गए। आज ऊंची बिरादरी के लड़के उनके यहां काम कर रहे और उनकी तरह बनने की कोशिश..यानि दौलत ने सारी परंपरा और सारा नज़रिया बदल दिया...
धोनी ,युसूफ पठान ..इनको शायद इनका शहर न जानता .पर ..आज इनका शहर इनसे जाना जा रहा है ... तो क्या ये सच है कि जीवन में जो है वो दौलत औऱ शौहरत ही है.. जिसके पीछे दुनिया दौड़ रही है ..और क्यों न दौड़े जब ये सत्य है औऱ सत्य को पाना, हासिल करना ,हर इंसान को सीखाया जाता है...
एक सवाल और कि पहले दौलत या शौहरत.. ये मुर्गी और अंडे की पेचीदा सवाल नही हैं ... शौहरत के लिए दौलत का होना ज़रूरी है जब आपका चहेरा चमकदार होगा तभी उसकी तस्वीर ली जाएगी..खाली शौहरत न मिलती है और न ही किसी काम की होती है .. काम का अर्थ है ज़िन्दगी को रफतार देना..
मेरा दोस्त प्रोफेसर मैं पहले भी उसका ज़िक्र कर चूका हू कि कई काम और कई जगह नौकरी करने के बाद भी उसे सफलता नहीं मिल सकी हम सबसे उधार लेकर हम सबको नराज़ कर चुका था वो ..पर कल किसी ने कहा यार प्रोफेसर तो प्रॉपर्टी के काम में बहुत पैसा कमा रहा है ..इतना सुनते ही न जाने कहां से मेरे मन में उसकी इज्ज़त बढ गई..तुरंत अपने दूसरे दोस्त को फोन कर के खबर दी ..और यकीन मानिये हमने तकरीबन 20मिनट उसकी यानि प्रोफेसर की तारीफ की......और आज एक लेख उस पर लिख रहा हूं....

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