बरसात कुछ लाती है

बरसात कुछ लाती है
अकसर बरसात में वो घड़ी याद आती है
एक मां अपने बेटे के साथ जाल लेकर आती हैं
सुमंद्र के किनारे लहरों में वो जाल फेंके खड़े रहते हैं
गिरती बूंदों से अपनी किस्मत की दुआ करते हैं
इस बरसात में झोली अपनी भर जाएगी
ये बारिश मेरे दुख, बहा ले जाएगी
लहरें भी झूम के मस्त होती है
हर बहाव में कुछ न कुछ भेजती है..
कोई बचता है कोई गीत गाता है
कोई देख कर ही लुत्फ उठाता है ।।
मुझे एक और घड़ी याद आती है
कड़ी- बल्ली ,पत्थर की छत टपकती है
घर की बिल्ली दुबक कर कहीं बैठती है
कमरो में हर वक्त छतरी खुली रहती है
मेरी चप्पल अकेले ही सैर पर निकल जाती है
कोई बचता है कोई गीत गाता है
कोई देख कर ही लुत्फ उठाता है ।।
मुझे एक और घड़ी याद आती है
हाथों मे हाथ डाले कोई चलता है
कोई इधर चलता है कोई उधर चलता है
पायचें उठाए ,जूते लिए बचकर कोई निकलता
फिर भी मोटर गाड़ी छीटे मार कर भाग जाती है
न जाने तब गाली कहां से मुंह में आती है
हर बार बरसात कुछ लाती है
कोई बचता है कोई गीत गाता है
कोई देख कर ही लुत्फ उठाता है ।।

Comments

Anonymous said…
Waah! Kya Baat Hai.....

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