आज वक्त है

वक्त है

आज वक्त है तो इस लिये लिख रहा हूं और इसीलिये ही अपने ब्लॉग का नाम भी वक्त रखा है। अगर आप के पास वक्त हो तो पढ़ना और नहीं हो तो, जब हो तो ,तब पढ़ लेना हर काम जिन्दगी मे तब किया या ये कहूं की सारे काम तब हुये जब वक्त निकल गया स्कूल में पढाई समझ में नहीं आई, आई भी तो बस इतनी की पास होने के नम्बर मिल जाते जब धीरे धीरे नम्बर का महत्व समझता तब तक वक्त निकल चुका था। कॉलेज में गर्ल फ्रंड और बाईक पाने की इच्छा हुई जब तक इच्छा पूरी करने के लिये जोड़ तोड़ करता तब तक जवानी बस में गुज़र गई और गर्लफ्रंड के नाम पर बीवी आ गयी । ये अभी शुरूआत है मेरी तरह ज़रूर बहुत से लोग होगे जिन्होने ने वक्त पर कभी कोई काम नही किया होगा या जिनका कोई काम कभी वक्त पर नहीं हुआ होगा आज हम शुरू करेगें वक्त है तो करेगें.....

Comments

nikhil nagpal said…
sach kaha aapne!
nikhil nagpal said…
aaj phir se waqt nikla hai aapka pehla anubhav padhne ka.kabhi-kabhi kuch purani cheezein naye lagti hai aur phir se kuch kehne aur sochne ko majboor karti hain...

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