आपकी खातिर
.... आज फिर ब्लैड प्रेशर 170-100 आया .शगूर भी बढ़ी हुई थी ..पर बन्तों ये मानने को तैयार नहीं थी की वो बिमार है .और उसे कोई परेशानी है ... क्योकि वो जिस समाज में रहती थी वहां औरत को हर वक्त जवान और सेहतमंद रहना ज़रूरी है नहीं तो पति उससे दूर चला जायेगा इसका डर उसे हर वक्त लगा रहता है...
तभी फोन बजता है वो फोन उठाती है ..और बोलती है .हां जी अभी डॉक्टर के पास से आ रहे हैं ..डॉक्टर ने कहा की कोई परेशानी नहीं है ..सब ठीक है .. कोई घबराने की बात नहीं ... दूसरी तरफ से आवाज़ आती हां तुझे तो ड्रामें का शौक है ..यूहीं नाटक करती रहती है.. बन्तों कुछ नहीं बोलती बस हंसतें हुए कहे देती है बस जी यूं ही,,,,
गाड़ी चलाते हुए उसका दमाद अपनी पत्नी को देखता है ..पत्नी बन्तों की तरफ देख कर बोलती है, मम्मी तुम्हे शगूर है, तुम्हे परहेज़ करना है और डॉक्टर ने कहा कि अगर बीपी ठीक नहीं हुआ तो जान का भी खतरा है ..तुम डैडी को सच क्यों नहीं बता देती .. बन्तों कहती है बस तू तो यूंही पीछे पड़ जाती है ..
सब घर आजाते हैं बन्तों, नौकर और बच्चे को छोड कर दामाद और बेटी अपने दफ्तर चले जाते हैं ..बन्तो छह महीने के बच्चे को देख कर कहती है ये क्या जाने क्या सहा है मैनें और क्या क्या सह रही हूं मैं.. अभी दो महीने ही हुये थे बन्तों के जवान बेटे की मौत के ...कि उसके सुसराल वालों औऱ उसके पति ने शुरू कर दिया था कि भई हमें तो अपना वारिस चाहिये हम तो दूसरी शादी कर कर रहे हैं ..बन्तों के घरवालों ने सुसराल वालों को समझाया भी आपकी बेटी भी है दामाद भी है ..ये क्यों कर रहे हैं...पर किसी ने कुछ नहीं सुना आखिर में बन्तों ने ही कहां मैं ही दूंगी आपको वारिस ..सब चौके पर बात सही निकली 53 साल की उम्र में उसने दिल्ली में अपने दामाद औऱ बेटी घर आकर आईवीएफ के द्वारा एक बेटे को जन्म दिया..
इस दौरान उसे बहुत कुछ सुनना और सहना पड़ा और क्या क्या सुनना पड़ा होगा ये आप अच्छी तरह से समझ सकते होगे..पर उसने अपना घर अपनी पति को बचाने के लिये ये कदम उठाया ...तब भी डॉक्टरों ने मना किया था पर बन्तों की भले ही सेहत साथ नहीं थी पर हिम्मत हमेशा से साथ थी जिसके सहारे वो चल रही थी .. अब वापस अपने घर जाने का वक्त पास है पति लेने आ रहा तो उसे लगता है कि वारिस तो मैने दे दिया पर अगर अब उसके पति को पता चलेगा की वो बिमार है तो वो इस वारिस को पालने के लिये दूसरी न ले आये ..क्या क्या वो करे इस ज़िन्दगी की ख़ातिर ....आपकी खातिर...
तभी फोन बजता है वो फोन उठाती है ..और बोलती है .हां जी अभी डॉक्टर के पास से आ रहे हैं ..डॉक्टर ने कहा की कोई परेशानी नहीं है ..सब ठीक है .. कोई घबराने की बात नहीं ... दूसरी तरफ से आवाज़ आती हां तुझे तो ड्रामें का शौक है ..यूहीं नाटक करती रहती है.. बन्तों कुछ नहीं बोलती बस हंसतें हुए कहे देती है बस जी यूं ही,,,,
गाड़ी चलाते हुए उसका दमाद अपनी पत्नी को देखता है ..पत्नी बन्तों की तरफ देख कर बोलती है, मम्मी तुम्हे शगूर है, तुम्हे परहेज़ करना है और डॉक्टर ने कहा कि अगर बीपी ठीक नहीं हुआ तो जान का भी खतरा है ..तुम डैडी को सच क्यों नहीं बता देती .. बन्तों कहती है बस तू तो यूंही पीछे पड़ जाती है ..
सब घर आजाते हैं बन्तों, नौकर और बच्चे को छोड कर दामाद और बेटी अपने दफ्तर चले जाते हैं ..बन्तो छह महीने के बच्चे को देख कर कहती है ये क्या जाने क्या सहा है मैनें और क्या क्या सह रही हूं मैं.. अभी दो महीने ही हुये थे बन्तों के जवान बेटे की मौत के ...कि उसके सुसराल वालों औऱ उसके पति ने शुरू कर दिया था कि भई हमें तो अपना वारिस चाहिये हम तो दूसरी शादी कर कर रहे हैं ..बन्तों के घरवालों ने सुसराल वालों को समझाया भी आपकी बेटी भी है दामाद भी है ..ये क्यों कर रहे हैं...पर किसी ने कुछ नहीं सुना आखिर में बन्तों ने ही कहां मैं ही दूंगी आपको वारिस ..सब चौके पर बात सही निकली 53 साल की उम्र में उसने दिल्ली में अपने दामाद औऱ बेटी घर आकर आईवीएफ के द्वारा एक बेटे को जन्म दिया..
इस दौरान उसे बहुत कुछ सुनना और सहना पड़ा और क्या क्या सुनना पड़ा होगा ये आप अच्छी तरह से समझ सकते होगे..पर उसने अपना घर अपनी पति को बचाने के लिये ये कदम उठाया ...तब भी डॉक्टरों ने मना किया था पर बन्तों की भले ही सेहत साथ नहीं थी पर हिम्मत हमेशा से साथ थी जिसके सहारे वो चल रही थी .. अब वापस अपने घर जाने का वक्त पास है पति लेने आ रहा तो उसे लगता है कि वारिस तो मैने दे दिया पर अगर अब उसके पति को पता चलेगा की वो बिमार है तो वो इस वारिस को पालने के लिये दूसरी न ले आये ..क्या क्या वो करे इस ज़िन्दगी की ख़ातिर ....आपकी खातिर...
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