देखो बहुत हुआ

देखो बहुत हुआ
अब न होने देगें हम...
अब जली है वो लौ
जिसको बुझने न देगें हम.
भुगत रहे कई बरसों से
तुम्हारे गुनाहों की सज़ा हम
हर पल हर दम
हिन्दू मुस्लमां बनाये गए हम.
खून बहा हमारा ही
घर जले हमारे ही
सुबक सुबक कर
सहम सहम कर
क्यों जीये अब हम
देखो बहुत हुआ
अब न होने देगें हम
जब चाहा तुमने
जैसे चाहा तुमने
मारा हमको
रूलाया हमको
कभी बंदी तो कभी बंधक बनाया हमको
कभी मुसलमां भगवान तो
कभी हिन्दू अल्लाह याद दिलाया हमको
खुद सोये चैन से हमको खूब जगाया तुमने
देखो बहुत हुआ अब न होने देगे हम
हर बार लाशों के ढ़ेर से
सत्ता की सीढी चढ़ी तुमने
खुद पहना सफेद कुर्ता
हमको सफेद कफ़न पहनाया तुमने
जशन बनाया तुमने जीत का
जीत दिलाने वाले को खूब दुत्तकारा तुमने
पहुचें शहीद पर नोटों की सुगात लेकर
कोई एक लाख़ तो कोई एक करोड़ लेकर
पर अब न चलेगा तुम्हारा ये पडयंत्र
देखो बहुत हुआ.....

Comments

Anonymous said…
man ki peeda ko bhaavon mein achchi tarah vyakt kiya hai....

Popular posts from this blog

woh subhah kab ayaegi (THEATRE ARTISTE OF INDIA)

मुख्यमंत्री की बहू बनी कातिल....