ऐसी किस्मत हर किसी को नहीं मिलती ......
ऐसी किस्मत हर किसी को नहीं मिलती ......
आई याद मुझको शवण कुमार की गाथा
कैसे फिरता था वो लेकर अपने नेत्रहीन माता-पिता
न अपनी सुध...बस एक धुन
कैसे करूं उनकी सेवा जो हैं मेरे जन्मदाता
पर हो गई ये बात पुरानी
शवण तो है बस एक कहानी ...
इस युग की कहानी बदली है
नाम तो है शवण पर
फितरत कुछ हट के है
बोझ समझता है वो उनको
जिनके बाज़ूओं मे वो पला है
झिड़क देता है वो उनको
जिसने उसको जन्म दिया हे
छोड कर चल देता है उनको
जिसने उसके लिए सब छोड़ा
उनकी खांसी उनकी बीमारी
आज सब खलती है उसको
जिसके लिए उन्होने अपनी कितनी नींदों को तोड़ा है
रोते है वो शवण..
फिर भी तेरे लिए दुआ करते हैं..
सोच... क्या तुझ को जन्म देकर उन्होने कुछ ग़लत किया
ये वो नियामत है जो हर किसी को नहीं मिलती
इनके कदमो तले जनन्त है जो हर किसी को नहीं मिलती
मां बाप की खिदमत की तौफीक हर किसी को नहीं मिलती
हां ये सच है... शवण की तरह किस्मत हर किसी को नहीं मिलती ।।
आई याद मुझको शवण कुमार की गाथा
कैसे फिरता था वो लेकर अपने नेत्रहीन माता-पिता
न अपनी सुध...बस एक धुन
कैसे करूं उनकी सेवा जो हैं मेरे जन्मदाता... जो है मेरे जन्मदाता...
शान...
आई याद मुझको शवण कुमार की गाथा
कैसे फिरता था वो लेकर अपने नेत्रहीन माता-पिता
न अपनी सुध...बस एक धुन
कैसे करूं उनकी सेवा जो हैं मेरे जन्मदाता
पर हो गई ये बात पुरानी
शवण तो है बस एक कहानी ...
इस युग की कहानी बदली है
नाम तो है शवण पर
फितरत कुछ हट के है
बोझ समझता है वो उनको
जिनके बाज़ूओं मे वो पला है
झिड़क देता है वो उनको
जिसने उसको जन्म दिया हे
छोड कर चल देता है उनको
जिसने उसके लिए सब छोड़ा
उनकी खांसी उनकी बीमारी
आज सब खलती है उसको
जिसके लिए उन्होने अपनी कितनी नींदों को तोड़ा है
रोते है वो शवण..
फिर भी तेरे लिए दुआ करते हैं..
सोच... क्या तुझ को जन्म देकर उन्होने कुछ ग़लत किया
ये वो नियामत है जो हर किसी को नहीं मिलती
इनके कदमो तले जनन्त है जो हर किसी को नहीं मिलती
मां बाप की खिदमत की तौफीक हर किसी को नहीं मिलती
हां ये सच है... शवण की तरह किस्मत हर किसी को नहीं मिलती ।।
आई याद मुझको शवण कुमार की गाथा
कैसे फिरता था वो लेकर अपने नेत्रहीन माता-पिता
न अपनी सुध...बस एक धुन
कैसे करूं उनकी सेवा जो हैं मेरे जन्मदाता... जो है मेरे जन्मदाता...
शान...
Comments
nd i owe u a thanks for this one...
actually m a frnd of maaz and we read this poem in the "KAVI SAMMELAN" and the teacher loved it and we stood first...
thnks for this....
KARTIKAY MITTAL aka BORED MIND
http://boredmindnsoul.blogspot.com/
par har kisi ki kismat me ye sab nahin hotaa kyonki aaj ke maataa pitaa bhi shrvan ke maataa pitaa se theek ulte hain ;wo aaj unhin ke hai jo unko dukhee kartaa hai ,sewaa karne waale bete ke bete ko to wo ullu samajhte hain or yadi aisaa betaa kahin bhanwar me fns gyaa to doobne dete hai ,bachaate nahi taaki doosre makkaar bete naaraaj naa ho jaaye
par har kisi ki kismat me ye sab nahin hotaa kyonki aaj ke maataa pitaa bhi shrvan ke maataa pitaa se theek ulte hain ;wo aaj unhin ke hai jo unko dukhee kartaa hai ,sewaa karne waale bete ke bete ko to wo ullu samajhte hain or yadi aisaa betaa kahin bhanwar me fns gyaa to doobne dete hai ,bachaate nahi taaki doosre makkaar bete naaraaj naa ho jaaye