आंधी
एक आंधी कुछ इस तरह से आती है
साथ अपने गर्द और राख लाती है
पीछे अपने अंधकार और मातम छोड़ जाती है
जिसने देखा वो थर्ऱा गया
जिसने सुना वो कांप गया
जो गया वो लौट कर न आया
जो बचा वो लौट कर जा न सका
उस मंज़र को शब्दों मे बयां कैसे करूं
उस रात को कलम से कैसे लिखूं
रोने की आवाज़े शोर में खो गईं
चीख पुकारे हवाओं मे उड गई
वो आंधी इस बार सब कुछ ले गई
साथ अपने गर्द और राख लाती है
पीछे अपने अंधकार और मातम छोड़ जाती है
जिसने देखा वो थर्ऱा गया
जिसने सुना वो कांप गया
जो गया वो लौट कर न आया
जो बचा वो लौट कर जा न सका
उस मंज़र को शब्दों मे बयां कैसे करूं
उस रात को कलम से कैसे लिखूं
रोने की आवाज़े शोर में खो गईं
चीख पुकारे हवाओं मे उड गई
वो आंधी इस बार सब कुछ ले गई
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क्या आपने अपनी वाणी, हमारी वाणी, या चिट्ठाजगत और इन्द्ली आदि एग्रीगेटर पर अपना ब्लॉग रजिस्टर नहीं किया है... बहुत अच्छा लेखन है आपका जारी रखें